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Best Masoor Varieties: मसूर की खेती से मालामाल होंगे किसान, जानें किस राज्य की मिट्टी में कौन-सी मसूर उगायें

मसूर की किस्में (फाइल तस्वीर)

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भारत में दलहनी फसलों की खेती बड़े पैमाने पर की जाती है. खासकर हर राज्य के पास अलग किस्म की दाल को उगाने में महारथ हासिल है. बात करें मसूर की खेती के बारे में तो ज्यादातर देशों में भारत से ही मसूर की दाल का निर्यात होता है. ऐसे में जरूरी है कि मसूर की उन्नत किस्मों का ही चुनाव करके बुवाई की जाये. कृषि विशेषज्ञों की मानें तो हर राज्य की मिट्टी के हिसाब से मसूर की कई उन्नत किस्में ईजाद की गई है. आइये जानते हैं राज्यवार मसूर की उन्नत किस्मों के बारे में-
भारत में दलहनी फसलों की खेती बड़े पैमाने पर की जाती है. खासकर हर राज्य के पास अलग किस्म की दाल को उगाने में महारथ हासिल है. बात करें मसूर की खेती के बारे में तो ज्यादातर देशों में भारत से ही मसूर की दाल का निर्यात होता है. ऐसे में जरूरी है कि मसूर की उन्नत किस्मों का ही चुनाव करके बुवाई की जाये. कृषि विशेषज्ञों की मानें तो हर राज्य की मिट्टी के हिसाब से मसूर की कई उन्नत किस्में ईजाद की गई है. आइये जानते हैं राज्यवार मसूर की उन्नत किस्मों के बारे में-
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उत्तर भारत में मसूर की खेती के लिये पीएल-639, मलिका (K-75), एनडीएल-2, डीपीएल-62, आईपीएल-81, आईपीएल-316, एल-4076, एचयूएल-57, डीपीएल-15 आदि किस्में मिट्टी और जलवायु के अनुरूप बेहतर उत्पादन देती हैं. इनकी बुवाई से पहले ठीक प्रकार बीजोपचार और खेत में जल निकासी का प्रबंधन कर लेना चाहिये.
उत्तर भारत में मसूर की खेती के लिये पीएल-639, मलिका (K-75), एनडीएल-2, डीपीएल-62, आईपीएल-81, आईपीएल-316, एल-4076, एचयूएल-57, डीपीएल-15 आदि किस्में मिट्टी और जलवायु के अनुरूप बेहतर उत्पादन देती हैं. इनकी बुवाई से पहले ठीक प्रकार बीजोपचार और खेत में जल निकासी का प्रबंधन कर लेना चाहिये.
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कम पानी वाला राज्य होने के कारण राजस्थान में भी मसूर की खेती के जरिये बेहतर उत्पादन लिया जा सकता है. यहां की जलवायु और मिट्टी के हिसाब से पंत एल-8 (पीएल-063), डीपीएल-62 (शेरी), आईपीएल 406 (अंगूरी) आदि किस्मों की बिजाई करना फायदेमंद साबित होगा.
कम पानी वाला राज्य होने के कारण राजस्थान में भी मसूर की खेती के जरिये बेहतर उत्पादन लिया जा सकता है. यहां की जलवायु और मिट्टी के हिसाब से पंत एल-8 (पीएल-063), डीपीएल-62 (शेरी), आईपीएल 406 (अंगूरी) आदि किस्मों की बिजाई करना फायदेमंद साबित होगा.
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देवभूमि उत्तराखंड के लिये भी कृषि वैज्ञानिकों ने मसूर की कई उन्नत किस्में ईजाद की हैं, जिसमें वीएल-103, वीएल-507, वीएल-129, वीएल-514, वीएल-133, पीएल-5,  पीएल-6, आदि किस्में मौसम और मिट्टी के अनुरूप अच्छी उपज देती हैं.
देवभूमि उत्तराखंड के लिये भी कृषि वैज्ञानिकों ने मसूर की कई उन्नत किस्में ईजाद की हैं, जिसमें वीएल-103, वीएल-507, वीएल-129, वीएल-514, वीएल-133, पीएल-5, पीएल-6, आदि किस्में मौसम और मिट्टी के अनुरूप अच्छी उपज देती हैं.
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जम्मू और कश्मीर के किसान भी मसूर की खेती करके अच्छा लाभ कमा सकते हैं, जिसके लिये सर्द जलवायु और मिट्टी के अनुरूप मसूर की उन्नत किस्मों- वीएल 507, वीएल 125, वीएल 125, पंत एल 406 , पंत एल 639, एचयूएल 57 का प्रयोग करके ही बुवाई करनी चाहिये. ये किसानों को कम मेहनत में बेहतर उत्पादन देने में मदद करती हैं.
जम्मू और कश्मीर के किसान भी मसूर की खेती करके अच्छा लाभ कमा सकते हैं, जिसके लिये सर्द जलवायु और मिट्टी के अनुरूप मसूर की उन्नत किस्मों- वीएल 507, वीएल 125, वीएल 125, पंत एल 406 , पंत एल 639, एचयूएल 57 का प्रयोग करके ही बुवाई करनी चाहिये. ये किसानों को कम मेहनत में बेहतर उत्पादन देने में मदद करती हैं.
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मसूर की खेती के लिये बिहार की मिट्टी और जलवायु बेहतरीन रहती है. इस राज्य की आवोहवा के हिसाब से मसूर की पंत एल 406, पीएल 639, मल्लिका (के -75), एनडीएल 2, डब्ल्यूबीएल 58, एचयूएल 57, डब्ल्यूबीएल 77, अरुण (पीएल 777-12) आदि किस्मों की खेती करना लाभकारी साबित हो सकता है.
मसूर की खेती के लिये बिहार की मिट्टी और जलवायु बेहतरीन रहती है. इस राज्य की आवोहवा के हिसाब से मसूर की पंत एल 406, पीएल 639, मल्लिका (के -75), एनडीएल 2, डब्ल्यूबीएल 58, एचयूएल 57, डब्ल्यूबीएल 77, अरुण (पीएल 777-12) आदि किस्मों की खेती करना लाभकारी साबित हो सकता है.
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दलहनी फसलों की खेती के लिये मध्य प्रदेश एक बड़ा उत्पादक राज्य बनकर उबरा है. यहां के किसान जी तोड़ मेहनत करके दलहनी फसलें उगा रहे हैं. बात करें मसूर की खेती के बारे में तो इसकी मलाइका (K-75), आईपीएल-81 (नूरी), जेएल-3, आईपीएल-406, एल-4076, आईपीएल 316, डीपीएल 62 (शेरी) आदि किस्मों की बुवाई करके बंपर उपज हासिल कर सकते हैं.
दलहनी फसलों की खेती के लिये मध्य प्रदेश एक बड़ा उत्पादक राज्य बनकर उबरा है. यहां के किसान जी तोड़ मेहनत करके दलहनी फसलें उगा रहे हैं. बात करें मसूर की खेती के बारे में तो इसकी मलाइका (K-75), आईपीएल-81 (नूरी), जेएल-3, आईपीएल-406, एल-4076, आईपीएल 316, डीपीएल 62 (शेरी) आदि किस्मों की बुवाई करके बंपर उपज हासिल कर सकते हैं.
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हरियाणा और पंजाब के किसानों के लिये भी मसूर की खास किस्में मौजूद हैं, जिनमें पंत एल-4, डीपीएल-15 (प्रिया), सपना, एल-4147, डीपीएल-62 (शेरी), पंत एल-406, पंत एल-639 के साथ-साथ पीएल-639, एलएल-147, एलएच-84-8, एल-4147, आईपीएल-406, एलएल-931 और पीएल 7 किस्में मिट्टी और जलवायु में फिट बैठती हैं.
हरियाणा और पंजाब के किसानों के लिये भी मसूर की खास किस्में मौजूद हैं, जिनमें पंत एल-4, डीपीएल-15 (प्रिया), सपना, एल-4147, डीपीएल-62 (शेरी), पंत एल-406, पंत एल-639 के साथ-साथ पीएल-639, एलएल-147, एलएच-84-8, एल-4147, आईपीएल-406, एलएल-931 और पीएल 7 किस्में मिट्टी और जलवायु में फिट बैठती हैं.

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