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कौन सी महामारी जिसमें सड़ जाती है इंसान की चमड़ी, 20 करोड़ से ज्यादा हुई मौत, जानकारी डरा देगी

ब्लैक डेथ यूरोप में अक्टूबर 1347 में आया, जब ब्लैक सी से 12 जहाज सिसिली के मेसिना बंदरगाह पर पहुंचे. जहाजों पर सवार अधिकांश नाविक या तो मर चुके थे या बहुत ही गंभीर रूप से बीमार थे.

World most Worst Pandemics: आज से 5 साल पहले यानी 2020 में कोरोना नाम की एक महामारी ने पूरी दुनिया को घुटने पर ला दिया था. इस महामारी में लाखों लोगों की मौत हो गई थी. कोविड-19 की शुरुआत चीन के वुहान शहर से हुई थी, जिसने धीरे-धीरे पूरी दुनिया को अपने जद में ले लिया था. उस दौरान हर जगह लॉकडाउन लगा दिया गया था. सड़कों से इंसानों का नामों-निशान तक मिट सा गया था. उसके बाद अब साल 2025 की शुरुआत में चीन से ही एक नए वायरस की शुरुआत हो चुकी है, जिसे HMVP कहा जा रहा हैं. हालांकि, इससे अभी तक ज्यादा गंभीर समस्या पैदा नहीं हुई है, लेकिन इसको हल्के में भी नहीं लिया जा सकता है. इसके दो मामले भारत में भी आ चुके हैं, जिसको लेकर पहले से ही गाइडलाइन जारी कर दी गई है. 

आज हम आपको दुनिया के एक ऐसे खतरनाक महामारी के बारे में बताने जा रहे हैं, जिसे मानव इतिहास की सबसे कुख्यात महामारियों में से एक कहा जाता है. उसे ब्लैक डेथ के नाम से जाना जाता है. University of Idaho की रिपोर्ट के मुताबिक इसने 14वीं शताब्दी में यूरोप, एशिया और अफ्रीका में भारी तबाही मचाई थी. इस मध्यकालीन प्लेग ने अनुमानित 75 मिलियन (7.5 करोड़) से लगभग 200 मिलियन (20 करोड़) लोगों की जान ले ली थी.  ऐसा माना जाता है कि इस महामारी की शुरुआत एशिया से हुई और यह पिस्सुओं द्वारा फैलाई गई, जो जहाजों पर चूहों और अन्य जानवरों को लेकर यूरोप जा रहे थे.

यूरोप में ब्लैक डेथ की शुरुआत
ब्लैक डेथ यूरोप में अक्टूबर 1347 में आया, जब ब्लैक सी से 12 जहाज सिसिली के मेसिना बंदरगाह पर पहुंचे. जो दृश्य वहां देखने को मिला वह भयावह था: जहाजों पर सवार अधिकांश नाविक या तो मर चुके थे या बहुत ही गंभीर रूप से बीमार थे, उनके शरीर काले फोड़े से ढके हुए थे, जिनसे खून और मवाद बह रहा था. स्थानीय अधिकारियों ने तुरंत ही जहाजों को बंदरगाह छोड़ने का आदेश दिया, लेकिन तब तक बहुत देर हो चुकी थी. प्लेग ने पहले ही यूरोप में अपनी घातक यात्रा शुरू कर दी थी.

यूरोप की एक तिहाई से अधिक आबादी मारी गई
अगले पांच सालों में, इस प्लेग ने यूरोप की एक तिहाई से अधिक आबादी को खत्म कर दिया. 1340 के दशक तक, यह प्लेग चीन, भारत, फारस, सीरिया और मिस्र में कहर बरपा चुका था. ब्लैक डेथ की तबाही केवल यूरोप तक सीमित नहीं थी. एशिया, अफ्रीका और यूरोप को जोड़ने वाले व्यापार मार्गों ने प्लेग के तेजी प्रसार में मदद की. यर्सिनिया पेस्टिस नामक बैक्टीरिया इस प्लेग के लिए जिम्मेदार था.

सिल्क रोड और समुद्री व्यापार मार्गों से फैली बीमारी
इतिहासकारों का मानना है कि यह बीमारी सिल्क रोड और समुद्री व्यापार मार्गों से फैली. एशिया से यह मध्य पूर्व के व्यापारिक केंद्रों में फैली, जिससे दमिश्क और काहिरा जैसे शहर बुरी तरह प्रभावित हुए. यूरोप में यह प्लेग तटीय क्षेत्रों से लेकर अंदरूनी हिस्सों तक तेज़ी से फैला, जहां की घनी आबादी और खराब स्वच्छता ने इसके प्रसार को और तेज किया. ब्लैक डेथ की चपेट में ग्रीनलैंड और उत्तरी अफ्रीका जैसे सुदूर इलाके भी आ गए, जो उस समय के विश्व की आपसी जुड़ाव की ओर संकेत करता है.

ब्लैक डेथ के लक्षण
ब्लैक डेथ के लक्षण भयावह और दर्दनाक थे. ब्यूबोनिक प्लेग, जो सबसे सामान्य प्रकार था, लसीका प्रणाली पर हमला करता था, जिससे शरीर में सूजन आ जाती थी, जिन्हें "बूबोस" कहा जाता था. ये सूजन आम तौर पर कमर, बगल या गर्दन में होती थीं, और ये सेब या अंडे के आकार की हो सकती थीं. इन फोड़ों के साथ-साथ अन्य गंभीर लक्षण भी दिखाई देते थे: तेज बुखार, कंपकंपी, सिरदर्द, मांसपेशियों में दर्द, और उल्टी. जैसे-जैसे संक्रमण बढ़ता जाता था, कई रोगियों को दौरे पड़ते थे और उनकी त्वचा सड़ने लगती थी, जिससे काले धब्बे हो जाते थे.  ब्यूबोनिक प्लेग का मृत्यु दर बहुत अधिक था. 

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