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दिल्ली से लेकर काबुल तक था राज, लेकिन कभी नेपाल क्यों नहीं जीत पाए मुगल बादशाह? जानें वजह

नेपाल पर मुगलों का कब्जा नहीं हो पाया क्योंकि कठिन भूगोल, सीमित आर्थिक महत्व, गोरखा योद्धाओं की ताकत, सांस्कृतिक अस्मिता और व्यापारिक संबंधों ने उसे स्वतंत्र बनाए रखा.

नेपाल इस समय अशांत दौर से गुजर रहा है. बेरोजगारी बढ़ रही है, युवा सड़कों पर आंदोलन कर रहे हैं और सरकार पर भ्रष्टाचार के आरोप लग रहे हैं. इसी बीच राजशाही की वापसी की मांग भी उठ रही है. इस राजनीतिक अस्थिरता के बीच एक पुराना सवाल फिर चर्चा में है- भारत जैसे विशाल देश पर 300 साल से अधिक शासन करने वाले मुगलों ने नेपाल को कभी पूरी तरह अपने अधीन क्यों नहीं किया?

मुगलों का साम्राज्य और नेपाल का सवाल

16वीं से 18वीं शताब्दी तक मुगल साम्राज्य भारतीय उपमहाद्वीप की सबसे शक्तिशाली ताकत था. बाबर से लेकर औरंगज़ेब तक मुगलों का प्रभाव बंगाल, पंजाब, दक्कन और अफगान सीमा तक फैला हुआ था. इसके बावजूद नेपाल उनके कब्जे से बाहर ही रहा.

नेपाल की भौगोलिक स्थिति मुगलों के लिए सबसे बड़ी चुनौती थी. ऊंचे पर्वत, संकरे दर्रे, गहरी घाटियां और घने जंगल नेपाल को प्राकृतिक सुरक्षा प्रदान करते थे. भारी तोपखाने और विशाल घुड़सवार सेना पर निर्भर मुगल, पहाड़ी युद्ध में कमजोर पड़ जाते.

आर्थिक महत्व कम

मुगलों की नजर अधिकतर मैदानी और उपजाऊ इलाकों पर रहती थी. गंगा-यमुना का दोआब, बंगाल और गुजरात उनके लिए समृद्धि और व्यापार का बड़ा स्रोत थे. इसके मुकाबले नेपाल सीमित कृषि उत्पादन और कठिन भूगोल वाला क्षेत्र था. इसलिए यह साम्राज्य के लिए आकर्षक लक्ष्य नहीं था.

उस समय नेपाल कई छोटे-छोटे राज्यों में बंटा हुआ था—काठमांडू, भक्तपुर और ललितपुर. ये राज्य आपस में भले लड़ते हों, लेकिन बाहरी हमले के समय मिलकर प्रतिरोध करने में सक्षम थे. यही एकजुटता मुगलों के खिलाफ सुरक्षा कवच बनी.

नेपाल भारत और तिब्बत के बीच व्यापारिक संबंध

नेपाल भारत और तिब्बत के बीच व्यापारिक सेतु था. नमक, ऊन, मसाले और धातुओं का बड़ा कारोबार यहीं से होता था. मुगलों के लिए नेपाल से संघर्ष करने के बजाय व्यापारिक संबंध बनाए रखना ज्यादा फायदेमंद था.

सांस्कृतिक कारण

नेपाल हिन्दू और बौद्ध परंपराओं का मजबूत केंद्र था. वहां की जनता अपनी सांस्कृतिक पहचान के लिए सजग थी. मुगल शासन को सांस्कृतिक खतरे के रूप में देखा जाता था. यही कारण था कि नेपाल ने बाहरी अधीनता को स्वीकार नहीं किया.

सैन्य रणनीति की चुनौती

नेपाल के गोरखा योद्धा पहाड़ी गुरिल्ला युद्ध में निपुण थे. इसके मुकाबले मुगल सेना मैदानी रणनीति पर आधारित थी. पहाड़ों में उन्हें भारी नुकसान झेलना पड़ सकता था. इसलिए उन्होंने नेपाल पर चढ़ाई करने का जोखिम नहीं उठाया.

मुगलों के सामने कई अन्य बड़ी चुनौतियां थीं. उत्तर-पश्चिम में अफगान और ईरानी खतरे, दक्षिण में मराठों से संघर्ष और पूर्व में असम व बंगाल की कठिनाइयां. ऐसे में नेपाल जैसा छोटा और कठिन भूभाग उनके विस्तार का लक्ष्य नहीं बना.

ऐतिहासिक साक्ष्य क्या हैं?

  • आइन-ए-अकबरी में नेपाल का उल्लेख व्यापार और सांस्कृतिक संबंधों तक सीमित है.
  • जे.एन. सरकार ने लिखा है कि नेपाल कभी भी मुगलों के प्रत्यक्ष शासन में नहीं आया.
  • नेपाली इतिहासकार भी मानते हैं कि नेपाल ने हमेशा अपनी संप्रभुता को बचाए रखा.

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