एक्सप्लोरर

क्या है चीन की BRI योजना जो बन सकता है कर्ज का फंदा, पूरी दुनिया है चुप सिर्फ पीएम मोदी ने धिक्कारा

बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव को न्यू सिल्क रोड भी कहा जाता है. इसकी शुरुआत 2013 में चीन के शी जिनपिंग ने की थी.

एससीओ शिखर सम्मेलन के दौरान बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव (बीआरआई) परियोजना का भारत ने विरोध जताया है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस महत्वाकांक्षी परियोजना को लेकर बीजिंग पर निशाना साधते हुए कहा कि संपर्क परियोजनाएं महत्वपूर्ण हैं, लेकिन अन्य देशों की संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता का सम्मान करना भी जरूरी है. 

शिखर सम्मेलन में पीएम मोदी ने कहा, "किसी भी क्षेत्र की प्रगति के लिए मजबूत संपर्क महत्वपूर्ण है. बेहतर कनेक्टिविटी न केवल आपसी व्यापार को बढ़ाती है, बल्कि आपसी विश्वास को भी बढ़ावा देती है. हालांकि, इन प्रयासों में एससीओ चार्टर के बुनियादी सिद्धांतों को बनाए रखना जरूरी है, विशेष रूप से सदस्य देशों की संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता का सम्मान करना जरूरी है".

चीन, भारत, रूस, पाकिस्तान, कजाकिस्तान, किर्गिस्तान, ताजिकिस्तान और उज्बेकिस्तान और अब ईरान यानी सभी एससीओ सदस्य देश वर्चुअल शिखर सम्मेलन के अंत में बीआरआई के पक्ष में दिखे, लेकिन भारत ने इससे इंकार कर दिया. दरअसल पीएम मोदी ने भारत ने बीआरआई का समर्थन करने वाले न्यू दिल्ली डिक्लेरेशन के पैराग्राफ पर हस्ताक्षर करने से इनकार कर दिया. ये चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग की पसंदीदा परियोजना है.

2023 की न्यू दिल्ली डिक्लेरेशन के बीआरआई पैराग्राफ में कहा गया है, "चीन की "बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव" (बीआरआई) पहल के लिए अपने समर्थन की पुष्टि करता है. इसके तहत कजाकिस्तान गणराज्य, किर्गिज गणराज्य,पाकिस्तान, रूसी संघ, ताजिकिस्तान गणराज्य और उजबेकिस्तान गणराज्य इस परियोजना को संयुक्त रूप से लागू करने के लिए चल रहे काम पर ध्यान देते हैं. इसमें यूरेशियन इकोनॉमिक यूनियन और बीआरआई के निर्माण को जोड़ने के प्रयास शामिल हैं. 

लेकिन बीआरआई परियोजना के बारे में ऐसा क्या है जो भारत को परेशान करता है? भारत इस पहल का विरोध क्यों कर रहा है, जबकि शी जिनपिंग इस  बुनियादी ढांचा परियोजना को क्षेत्रीय सहयोग और व्यापार और निवेश में सुविधा बता रहे हैं.  पहले समझते हैं कि बीआरआई क्या है. 

बीआरआई क्या है?

बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव को न्यू सिल्क रोड भी कहा जाता है. इसकी शुरुआत 2013 में चीन के शी जिनपिंग ने की थी. यह प्रोजेक्ट बुनियादी ढांचे के जरिए पूर्वी एशिया और यूरोप को जोड़ने के लिए तैयार की गई एक पहल है. 

ये परियोजना अफ्रीका, ओशिनिया और लैटिन अमेरिका में शुरू हुई है, इससे चीन के आर्थिक और राजनीतिक प्रभाव में काफी विस्तार हुआ है. पहले इसे 'वन बेल्ट, वन रोड' पहल भी कहा जाता था, लेकिन अब इसे बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव का नाम मिला है.

यूरोपीय बैंक के अनुसार, बीआरआई में भूमि मार्ग और समुद्री मार्ग शामिल है. भूमि मार्ग चीन को दक्षिण पूर्व एशिया, दक्षिण एशिया, मध्य एशिया, रूस और यूरोप से जोड़ता है और बाद में चीन के तटीय क्षेत्रों को दक्षिण पूर्व और दक्षिण एशिया, दक्षिण प्रशांत, पश्चिम एशिया, पूर्वी अफ्रीका और यूरोप से जोड़ता है.

इस मेगा परियोजना की लागत कितनी है?

द गार्जियन में छपी 2018 की एक रिपोर्ट में इस परियोजना की लागत  1 ट्रिलियन से ज्यादा आंकी गई थी, हालांकि अलग-अलग अनुमान हैं कि आज तक कितना पैसा खर्च किया गया है. 

एक विश्लेषण से पता चला है कि चीन ने इस पहल के लिए 210 अरब डॉलर से ज्यादा का निवेश किया है, जो एशिया में किसी भी परियोजना में निवेश की गई योजना में सबसे ज्यादा है. बेल्ट एंड रोड का मतलब यह भी है कि चीनी कंपनियां दुनिया भर में निर्माण कार्य में लगी हुई हैं. 

यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि बीआरआई शी जिनपिंग की पसंदीदा परियोजना है और इसे एशियाई राष्ट्र में अत्यधिक महत्वपूर्ण माना जा रहा है. अभी तक चीनी अधिकारियों ने ये भी नहीं बताया है कि को भी इस परियोजना में क्या शामिल है. जो कई तरह के संदेह पैदा करता है.

भारत बीआरआई का प्रतिरोधी क्यों है?

जब से यह परियोजना शुरू हुई है और देशों ने इसके लिए हस्ताक्षर करना शुरू किया है, भारत ने नियमित रूप से इसका विरोध किया है. विदेश मंत्री एस जयशंकर ने भी बुनियादी ढांचा परियोजना पर चिंता व्यक्त की है.

बीआरआई को लेकर भारत की सबसे बड़ी चिंता ये है कि इसकी एक महत्वपूर्ण शाखा, चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारा (सीपीईसी) से शुरू होती है. ये गलियारा चीन के शिनजियांग उइघुर स्वायत्त क्षेत्र में काशगर से पाकिस्तान के दक्षिण-पश्चिम बलूचिस्तान में ग्वादर बंदरगाह तक जाती है. उसके बाद ये गिलगित बाल्टिस्तान में पाकिस्तान के कब्जे वाले भारतीय क्षेत्र में प्रवेश करता है.

इसके अलावा निवेश परियोजना में पाकिस्तान के राष्ट्रीय राजमार्ग 35 काराकोरम राजमार्ग का नवीनीकरण भी शामिल है. इसे चीन-पाकिस्तान मैत्री राजमार्ग भी कहा जाता है. इस परियोजना में नियंत्रण रेखा (एलओसी) के उत्तर में गिलगित को स्कर्दू से जोड़ने वाले राजमार्ग का नवीनीकरण भी शामिल है.

भारत का दृढ़ मत है कि यह परियोजना संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता के साथ-साथ अंतर्राष्ट्रीय कानूनों का उल्लंघन करती है. भारत इस बात को लेकर भी चिंतित है कि यह परियोजना क्षेत्र में चीन की रणनीतिक उपस्थिति को बढ़ाती है. उसे यह भी डर है कि इस तरह की पहल से देश बीजिंग के कर्जदार हो जाएंगे. 

अक्टूबर 2021 में चीन में भारतीय दूतावास में द्वितीय सचिव प्रियंका सोहोनी ने कहा था, "जहां तक चीन के बीआरआई का सवाल है, हम इससे विशिष्ट रूप से प्रभावित हैं. तथाकथित चीन पाकिस्तान आर्थिक गलियारे (सीपीईसी) को एक प्रमुख परियोजना के रूप में शामिल करना भारत की संप्रभुता का उल्लंघन है.

पिछले साल विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने कहा था, "हमने सीपीईसी परियोजनाओं में तीसरे देशों की प्रस्तावित भागीदारी को प्रोत्साहित करने पर रिपोर्ट देखी है. किसी भी पार्टी द्वारा इस तरह की कोई भी कार्रवाई सीधे तौर पर भारत की संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता का उल्लंघन करती है.

नवंबर 2022 में विदेश मंत्री एस जयशंकर ने चीन के तत्कालीन प्रधानमंत्री ली क्विंग की मेजबानी में एससीओ की डिजिटल बैठक में परियोजना पर भारत की असहमति जताई थी. उन्होंने तब कहा था, "कनेक्टिविटी परियोजनाओं को सदस्य राज्यों की संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता का सम्मान करना चाहिए और अंतर्राष्ट्रीय कानून का सम्मान करना चाहिए".

पड़ोसी श्रीलंका में चीन प्रायोजित बुनियादी ढांचे का विकास किया. बुनियादी ढांचा परियोजनाओं ने श्रीलंका को चीन के लगभग 8 बिलियन डॉलर के कर्ज से दबा दिया. श्रीलंका अपने बकाये का भुगतान नहीं कर सकता, इसलिए उसने हंबनटोटा बंदरगाह परियोजना के लिए ऋण-फॉर-इक्विटी स्वैप पर बातचीत की है.  

सिर्फ श्रीलंका ही नहीं चीन ने 147 से ज्यादा देशों के साथ अपने वित्तीय और राजनीतिक प्रभाव का फायदा उठाने की पहल में लगभग एक ट्रिलियन डॉलर का निवेश किया है. कम आय वाले देशों की आर्थिक स्थिति गंभीर है और इस परियोजना के बाद बदतर होने के कगार पर है. डेटा चिंताजनक है

  •  कम आय वाले देशों पर 2022 में चीन के ऋण का 37% बकाया है, जबकि बाकी दुनिया के लिए यही ऋण 24% है.
  • इस परीयोजना में शामिल 42 देशों पर चीन का कर्जा हो चुका है.

एडडेटा और बीआरआई के आंकड़ों के अनुसार, सड़क-रेल-बंदरगाह-भूमि बुनियादी ढांचे के वित्तपोषण के लिए चीनी वैश्विक परियोजनाएं  इसमें शामिल सभी देशों के लिए ऋण का एक प्रमुख स्रोत रही हैं. 

इसमें पाकिस्तान 77.3 अरब डॉलर के ऋण के साथ सबसे आगे है. इसके बाद अंगोला (36.3 अरब डॉलर), इथियोपिया (7.9 अरब डॉलर), केन्या (7.4 अरब डॉलर) और श्रीलंका (7 अरब डॉलर) का कर्जदार है. 

मालदीव के वित्त मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार, 2022 की पहली तिमाही के अंत तक मालदीव का कर्ज बढ़कर 6.39 अरब डॉलर हो गया. यह मालदीव के सकल घरेलू उत्पाद का 113% है.  कर्ज की वजह चीन की परियोजना है. चीन ने मालदीव में सिनामाले पुल और एक नए हवाई अड्डे जैसी बुनियादी परियोजनाओं को वित्त पोषित किया गया था. 

बांग्लादेश पर बीजिंग के कुल विदेशी ऋण का 6% बकाया है, यानी लगभग 4 बिलियन डॉलर का कर्जा है. ढाका अब आईएमएफ से 4.5 अरब डॉलर के पैकेज की मांग कर रहा है. 

जिबूती और अंगोला पर पर भी बड़ा बोझ है क्योंकि ऋण सकल राष्ट्रीय आय (जीएनआई) के 40% से ज्यादा है. लाओस और मालदीव दोनों पर जीएनआई ( Gross National Income) का 30% ऋण बोझ है . 

अफ्रीका पर बीजिंग का 150 बिलियन डॉलर से ज्यादा का बकाया है. जाम्बिया भी चीनी बैंकों के लगभग 6 बिलियन डॉलर के साथ ऋण चुका रहा है.

अपारदर्शी वित्तपोषण शैली बनी कर्ज की वजह

पाकिस्तान, श्रीलंका और बांग्लादेश आईएमएफ से राहत की मांग कर रहे हैं. चीन की बेल्ट एंड रोड परियोजना में अपारदर्शी वित्तपोषण शैली अपनाई गई है. इस वजह से कम से कम 10 कम आय वाले देशों में ऋण ज्यादा हो गया है.

बता दें कि पिछली श्रीलंकाई सरकार चीन की तरफ ज्यादा झुकी हुई थी, वो भारत के खिलाफ थी. श्रीलंका में सरकार बदली जो भारत को लेकर थोड़ा नर्म है, अब बीजिंग ने आईएमएफ और पेरिस क्लब दोनों हवाला देकर ऋण चुकौती पर 10 साल की रोक पर हस्ताक्षर करने से इनकार कर दिया है. और चीनी एक्जिम बैंक केवल दो साल की मोहलत की पेशकश कर रहा है, इसका प्रतिरोध श्रीलंका में हो रहा है.

पाकिस्तान के साथ भी ऐसा ही है. अधिकांश बीआरआई अनुबंधों को जनता से गुप्त रखा गया है. ताकि चीनी बैंकों से बिजली-सड़क-बंदरगाह बुनियादी ढांचे के वित्तपोषण में उच्च ब्याज दरों का खुलासा न हो. 

और पढ़ें
Sponsored Links by Taboola
Advertisement

टॉप हेडलाइंस

जब सीजफायर के बारे में बता रहे थे विदेश मंत्री एस जयशंकर, तभी विपक्ष ने की टोका-टोकी... भड़क गए अमित शाह
जब सीजफायर के बारे में बता रहे थे विदेश मंत्री एस जयशंकर, तभी विपक्ष ने की टोका-टोकी... भड़क गए अमित शाह
साजिद रशीदी की डिंपल यादव पर टिप्पणी के बाद गुस्से में अखिलेश, तल्ख लहजे में पूछा ये सवाल
साजिद रशीदी की डिंपल यादव पर टिप्पणी के बाद गुस्से में अखिलेश, तल्ख लहजे में पूछा ये सवाल
SIR का विरोध कर रहे याचिकाकर्ताओं से बोला सुप्रीम कोर्ट- अभी रोक की जरूरत नहीं, अगर आपसे सहमत हुए तो पूरी प्रक्रिया..
SIR का विरोध कर रहे याचिकाकर्ताओं से बोला सुप्रीम कोर्ट- अभी रोक की जरूरत नहीं, अगर आपसे सहमत हुए तो पूरी प्रक्रिया..
सोशल मीडिया पर छलका ऋषभ पंत का दर्द, इंजरी पर खुद दिया बड़ा अपडेट; जानें वापसी पर क्या कहा
सोशल मीडिया पर छलका ऋषभ पंत का दर्द, इंजरी पर खुद दिया बड़ा अपडेट; जानें वापसी पर क्या कहा
Advertisement

वीडियोज

आयुष्मान भारत योजना में 1.2 लाख करोड़ बकाया, क्या Fail हो गई आयुष्मान भारत ?| Paisa Live
Share Market में गिरावट के बीच क्या वापस लौटेगी तेज़ी ? | Paisa Live
Dhadak 2 Song - Bas Ek Dhadak Making, Shifts In Trends On Reels & More Ft. Rashmi Virag & Mohsin
Tanushree Dutta Interview | Sushant Singh Rajput Death, Nana Patekar, Bollywood Mafia, Threat & More
Minimum Balance के चक्कर से परेशान? ये Video देखो!
Advertisement
corona
corona in india
470
Active
29033
Recovered
165
Deaths
Last Updated: Sat 19 July, 2025 at 10:52 am | Data Source: MoHFW/ABP Live Desk
Advertisement

फोटो गैलरी

पर्सनल कार्नर

टॉप आर्टिकल्स
टॉप रील्स
जब सीजफायर के बारे में बता रहे थे विदेश मंत्री एस जयशंकर, तभी विपक्ष ने की टोका-टोकी... भड़क गए अमित शाह
जब सीजफायर के बारे में बता रहे थे विदेश मंत्री एस जयशंकर, तभी विपक्ष ने की टोका-टोकी... भड़क गए अमित शाह
साजिद रशीदी की डिंपल यादव पर टिप्पणी के बाद गुस्से में अखिलेश, तल्ख लहजे में पूछा ये सवाल
साजिद रशीदी की डिंपल यादव पर टिप्पणी के बाद गुस्से में अखिलेश, तल्ख लहजे में पूछा ये सवाल
SIR का विरोध कर रहे याचिकाकर्ताओं से बोला सुप्रीम कोर्ट- अभी रोक की जरूरत नहीं, अगर आपसे सहमत हुए तो पूरी प्रक्रिया..
SIR का विरोध कर रहे याचिकाकर्ताओं से बोला सुप्रीम कोर्ट- अभी रोक की जरूरत नहीं, अगर आपसे सहमत हुए तो पूरी प्रक्रिया..
सोशल मीडिया पर छलका ऋषभ पंत का दर्द, इंजरी पर खुद दिया बड़ा अपडेट; जानें वापसी पर क्या कहा
सोशल मीडिया पर छलका ऋषभ पंत का दर्द, इंजरी पर खुद दिया बड़ा अपडेट; जानें वापसी पर क्या कहा
भारतीय चयनकर्ताओं पर बिफरे Washington Sundar के पिता, गुजरात टाइटंस को भी नहीं बख्शा; जानें क्या कहा
भारतीय चयनकर्ताओं पर बिफरे वाशिंगटन सुंदर के पिता, गुजरात टाइटंस को भी नहीं बख्शा; जानें क्या कहा
'पहलगाम के आतंकियों का पहले भी हो सकता था एनकाउंटर, लेकिन सरकार ने...', सपा सांसद का बड़ा बयान
'पहलगाम के आतंकियों का पहले भी हो सकता था एनकाउंटर, लेकिन सरकार ने...', सपा सांसद का बड़ा बयान
इससे तेज कर्मा नहीं देखा होगा...राहगीरों को भिगोते हुए निकला कार सवार फिर कुछ ही मीटर पर हो गया कांड- वीडियो वायरल
इससे तेज कर्मा नहीं देखा होगा...राहगीरों को भिगोते हुए निकला कार सवार फिर कुछ ही मीटर पर हो गया कांड- वीडियो वायरल
पंडित नेहरू के रोगन जोश से पीएम मोदी के गुजराती ढोकले तक.. जानें किस प्रधानमंत्री को क्या खाना था पसंद?
पंडित नेहरू के रोगन जोश से पीएम मोदी के गुजराती ढोकले तक.. जानें किस प्रधानमंत्री को क्या खाना था पसंद?
Embed widget