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Pakistan: 'हर किसी को जिहाद का ऐलान करने का अधिकार नहीं', पाकिस्तान के मौलवियों ने जारी किया फतवा
Fatwa In Pakistan: पाकिस्तान के मौलवियों ने 14 पेज के फतवे पर अपने हस्ताक्षर किए है. यह फतवा टीटीपी के खैबर पख्तूनख्वा और बलूचिस्तान प्रांतों में सुरक्षा बलों पर हमला करने के बाद जारी किया गया है.
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Pakistan Fatwa Issued: पाकिस्तान के जाने-माने कुछ मौलवियों ने देशभर में बढ़ते आतंकवादी हमलों के बीच आतंकी गतिविधियों की निंदा करते हुए एक फतवा जारी किया है. फतवा में कहा गया है अगर लोगों ने कानून का पालन नहीं किया तो उन्हें दंड मिलना चाहिए.
पाकिस्तान के एक टीवी चैनल की खबर के अनुसार खैबर पख्तूनख्वा प्रांत में दारुल उलूम पेशावर और जामिया दारुल उलूम हक्कानिया समेत कई मदरसों से जुड़े मौलवियों ने फतवा जारी किया. पुलिस और सेना के खिलाफ हथियार उठाने को शरिया (इस्लामी कानून) में 'हराम' (निषिद्ध) बताया गया है. जो कोई भी पाकिस्तान के संविधान और कानून का पालन नहीं करेगा उसको सजा मिलेगी.
'हर किसी को जिहाद की घोषणा करने का अधिकार नहीं'
उग्रवाद प्रभावित पख्तूनख्वा प्रांत के मौलवियों की ओर से जारी फतवे में घोषणा की गई है कि केवल इस्लामिक राज्य के प्रमुख के पास “जिहाद” (पवित्र युद्ध) घोषित करने का विशेषाधिकार है. हर किसी को जिहाद की घोषणा करने का अधिकार नहीं है.
पाकिस्तान के कई मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, मौलाना कारी एहसानुल हक, मुफ्ती सुभानल्लाह जान, डॉ मौलाना अताउर रहमान, मौलाना हुसैन अहमद, मुफ्ती मुख्तरुल्लाह हक्कानी, अल्लामा आबिद हुसैन शाकरी और मौलाना अब्दुल करीम सहित अलग-अलग विद्यालयों के मौलवियों ने 14 पेज के फतवे पर अपने हस्ताक्षर किये है. दरअसल यह फतवा टीटीपी के खैबर पख्तूनख्वा और बलूचिस्तान प्रांतों में सुरक्षाबलों पर हमला करने के बाद जारी किया गया.
टीटीपी और अल-कायदा के संबंध
ऐसा कहा जाता है कि टीटीपी और अल-कायदा के बीच काफी अच्छे रिश्ते है. दोनों ही संगठन की विचारधारा काफी हद तक मिलती है. कुछ दिनों पहले ही टीटीपी ने पाकिस्तान के पीपीपी के शीर्ष नेताओं को निशाना बनाने की धमकी दी थी. टीटीपी ने पाकिस्तान को खुली चुनौती दी थी कि अगर उग्रवादियों के खिलाफ कठोर कदम उठाये जायेगें तो उनके नेताओं के लिए अच्छा नहीं होगा.
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