China-Taiwan Conflict: रेत से 'सोना' बनाते ताइवान पर चीन का नया तीर, प्रतिबंधों का कितना होगा असर?
Taiwan Sand: दुनिया के सबसे बड़े सेमीकंडक्टर निर्माता (Semiconductor Producer) ताइवान रेत से सिलिका निकालकर उसका इस्तेमाल सिलिकॉन उत्पादन करता है. रेत ताइवान की सबसे कमाऊ इंडस्ट्री के लिए कच्चा माल है
China on Sand Export: ताइवान में अमेरिका की हाउस स्पीकर नैंसी पेलोसी (Nancy Pelosi) के दौरे के बाद चीन (China) बौखलाया हुआ है. एक के बाद एक सैन्य अभ्यास कर रहा है. साथ ही ताइवान के खिलाफ पाबंदियों का ऐलान भी कर चुका है. चीन की पाबंदियों की फेहरिस्त में फल, मछली जैसे खाद्य उत्पादों के साथ साथ रेत भी है. यानी चीन के वाणिज्य मंत्रालय ने ऐलान किया है कि वो ताइवान को रेत का निर्यात (Sand Export) नहीं करेगा. चारों तरफ समंदर से घिरे ताइवान (Taiwan) के पास यूं तो काफी रेत है, लेकिन फिर भी वो बहुत सी रेत का आयात करता है और उसमें चीन की भी हिस्सेदारी है.
दरअसल दुनिया के सबसे बड़े सेमीकंडक्टर निर्माता (Semiconductor Producer) ताइवान रेत से सिलिका निकालकर उसका इस्तेमाल सिलिकॉन उत्पादन करता है. यानी रेत ताइवान की इस सबसे कमाऊ इंडस्ट्री के लिए कच्चा माल है.
रेत प्रतिबंध से ताइवान पर क्या पड़ेगा असर?
ताइवान के खनन मंत्रालय का दावा है कि चीन के रेत प्रतिबंध का कोई असर नहीं होगा क्योंकि उसके आयात में चीन की हिस्सेदारी 1 फीसद से भी कम है. वहीं, चीन का कहना है कि उसके निर्यात प्रतिबंध का सालाना 9 करोड़ टन रेत की खपत करने वाले ताइवान के सेमीकंडक्टर कारोबार पर इसका असर कारगर होगा, क्योंकि ताइवानी रेत आयात का एक तिहाई हिस्सा अकेले चीन से आता है. बहरहाल दावे दोनों तरफ से कुछ भी किए जाएं, लेकिन जहां ताइवान चीन से रेत का आयात करता रहा है तो ताइवानी सेमीकंडक्टर का बड़ा आयातक चीन भी है.
सेमीकंडक्टर का कारोबार जारी रहेगा
यही वजह है कि चीन ने ताइवान से आयात होने वाले कुई-कुई चिप्स को भले ही बैन कर दिया हो, लेकिन ताइवान स्व सेमीकंडक्टर चिप्स के आयात को बाहर रखा है. यानी तमाम तनाव के बावजूद दोनों देशों के बीच सेमीकंडक्टर का कारोबार पहले की तरह जारी रहेगा. इसकी वजह समझी जा सकती है. दुनिया की फैक्ट्री कहलाने वाले चीन को तमाम इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों के निर्माण के लिए सेमीकंडक्टर चिप्स की ज़रूरत है. आँकड़े बताते हैं कि ताइवान ही नहीं दुनिया की सबसे बड़ी सेमीकंडक्टर चिप निर्माता कंपनी TSMC के कुल रेवेन्यू का केवल 10 फीसद हिस्सा ही चीन से आता है. उसका सबसे बड़ा खरीददार अमेरिका है.
चीन को ताइवानी चिप की कितनी जरूरत?
दूसरे शब्दों में कहें तो चीन को अपने उत्पादन के इंजन को चलाने के लिए ताइवानी चिप की जरूरत ज़्यादा है. ताइवान के सिंचुआ सेमीकंडक्टर पार्क के विशेषज्ञ स्कॉट हुआ कहते हैं कि ताइवान अगर सेमीकंडक्टर देना बंद कर दे तो चीन के पहिए थम सकते हैं. चीन को अपने वाहनों, मशीनों से लेकर विमानों तक हर चीज़ के लिए सेमीकंडक्टर चिप की ज़रूरत है. केवल चीन ही नहीं, लगभग दुनिया के हर देश को सेमीकंडक्टर चिप की ज़रूरत है क्योकि लड़ाकू विमान से लेकर मिसाइल तक और लेटेस्ट आईफोन से लेकर नए सेटेलाइट तक, हर इलेक्ट्रॉनिक सामान के लिए इसकी ज़रूरत होती है. यही ताइवान की ताकत भी है.
कितने का है चीन और ताइवान का कारोबार?
अमेरिका (America) कभी नहीं चाहेगा कि उसके बी 52 लड़ाकू विमानों के सेंसर में इस्तेमाल हो रही चिप (Chip) उसे चीन (China) से लेना पड़े. एक्सपर्ट स्कॉट हुआ कहते है कि सेमीकंडक्टर (Semiconductor) चिप की ज़रूरत ने भी ताइवान के लिए खींचतान बढ़ा दी है. हालांकि चीन और ताइवान (Taiwan) के बीच इतिहास के उलझे राजनीतिक तनाव में 70 साल बाद भी यह मामला सुलझा नहीं है. चीन और ताइवान के बीच आपसी कारोबार का ग्राफ इससे कमोबेश अप्रभावित रहा है. दोनों के बीच कुल कारोबार 122 अरब डॉलर से भी अधिक का है. साथ ही युद्ध की आशंकाओं के बीच भी आवाजाही का सिलसिला बरकरार है.
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