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Explained: जंग की कगार पर दो मुस्लिम देश! कैसे पाकिस्तान और अफगानिस्तान बने दुश्मन, भारत पर असर क्या?

ABP Explainer: एक्सपर्ट्स के मुताबिक, पाकिस्तान और तालिबान में तनाव बढ़ने का फायदा भारत को होगा क्योंकि भारत और अफगानिस्तान के रिश्ते बेहतर होंगे.

अफगानिस्तान के विदेश मंत्री अमीर खान मुत्तकी का भारत आना पाकिस्तान को बर्दाश्त नहीं हुआ. 9 अक्टूबर को मुत्तकी के भारत पहुंचते ही दो मुस्लिम देशों के बीच अचानक बमबारी शुरू हो गई और वजह बताई गई- भारत का दौरा. तालिबान ने पलटवार करते हुए पाकिस्तानी चौकियां कब्जा लीं. पाकिस्तान और तालिबान की लड़ाई सालों पुरानी है, लेकिन ताजी हवा ने चिंगारी फिर भड़का दी.

तो आइए ABP एक्सप्लेनर में समझते हैं कि आखिर दो मुस्लिम देश एक-दूसरे के दुश्मन कैसे बने, क्या आने वाले समय में बड़ी जंग होगी और भारत का रुख क्या होगा... 

सवाल 1- अफगानिस्तान और पाकिस्तान सीमा पर चल क्या रहा है?
जवाब- दोनों देशों की सीमाओं पर बमबारी और चौकियों को कब्जे में लिया जा रहा है...

  • 9 अक्टूबर की रात पाकिस्तान ने अफगानिस्तान की राजधानी काबुल समेत खोस्त, जलालाबाद और पक्तिका प्रांतों में एयरस्ट्राइक की. इसकी वजह तहरीके-तालिबान पाकिस्तान यानी TTP के चीफ नूर वली मेहसूद को बताया गया.
  • 10 अक्टूबर को TTP ने पाकिस्तान में एक पुलिस ट्रेनिंग स्कूल पर हमला किया. इसमें एक मेजर और लेफ्टिनेंट कर्नल रैंक के ऑफिसर समेत 20 जवान और 3 नागरिक मारे गए.
  • 11 अक्टूबर की रात तालिबान की फोर्सेज ने पाकिस्तानी सीमा पर जवाबी कार्रवाई की. तालिबान सरकार के प्रवक्ता जबीहुल्लाह मुजाहिद ने काबुल में प्रेस कॉन्फ्रेंस में दावा किया कि कार्रवाई में 58 से ज्यादा पाकिस्तानी जवाब मारे गए और 30 घायल हुए. 25 पाकिस्तानी चौकियों पर कब्जा किया, लेकिन लड़ाई खत्म होने के बाद उन्हें वापस कर दिया.
  • अफगान रक्षा मंत्रालय ने कहा, 'हमारा ऑपरेशन आधी रात को खत्म हो गया. अगर पाकिस्तान ने फिर से हरकत की, तो हमारी सेना देश की रक्षा के लिए पूरी तरह तैयार है.'

विदेश मामलों के जानकार और JNU के रिटायर्ड प्रोफेसर ए. के. पाशा कहते हैं कि दोनों तरफ से कार्रवाई पूरी होने के बाद मामला शांत पड़ सकता है. अगर दोनों से तरफ से हमले बंद नहीं हुए, तो जंग की नौबत आ सकती है.

सवाल 2- पाकिस्तान और तालिबान के बीच झगड़े की क्या वजहें हैं?
जवाब-  पाकिस्तान और तालिबान के बूीच झगड़े की 4 बड़ी वजहें हैं...

1. अफगानिस्तान और पाकिस्तान सीमा विवाद
दोनों देशों के बीच करीब 2,640 किलोमीटर लंबी सीमा है, जिसे 1893 में अंग्रेज ऑफिसर मॉर्टिमर डूरंड ने खींचा था. अफगानिस्तान इस सीमा को नहीं मानता. ये रेखा पश्तून और बलोच समुदाय के इलाकों से खींची गई, जिससे इन समुदायों के लोग दो देशों में बंट गए.

2. तालिबान पर TTP को पनाह देने के आरोप
TTP को पाकिस्तान का सबसे बड़ा आतंकवादी खतरा माना जाता है. दावा है कि 2007 से अब तक TTP ने 14 हजार से ज्यादा पाकिस्तानियों को मार दिया. इस ग्रुप ने यूनिवर्सिटीज, धार्मिक नेताओं और आम लोगों को भी निशाना बनाया. 2021 में अफगानिस्तान में तालिबान की सत्ता आने के बाद से TTP ने पाकिस्तानी सुरक्षा बलों के खिलाफ 'गुरिल्ला युद्ध' छेड़ रखा है.

3. अफगानी शरणार्थियों को पाकिस्तान से निकाला
अफगानिस्तान पर सोवियत रूस के हमले के वक्त से ही अफगानी शरणार्थी पाकिस्तान के लिए बड़ी मुश्किल बने हुए हैं. 1990 के दशक तक 30 लाख शरणार्थी पाकिस्तान पहुंचे. इसके बाद अमेरिकी हमलों के दौरान भी अफगानी शरणार्थियों ने पाकिस्तान में डेरा डाला. यूनाइटेड नेशंस हाई कमिश्नर फॉर रिफ्यूजीज (UNHCR) के मुताबिक, अभी पाकिस्तान में करीब 15 लाख अफगान शरणार्थी हैं. पाकिस्तान ने 2023 में अवैध तरीके से रह रहे अफगानियों को वापस भेजने का प्लान शुरू किया. वह इसे आतंकवाद की घुसपैठ से बचने के लिए जरूरी बताता है.

4. मुत्तकी के भारत आने की बौखलाहट
जब 9 अक्टूबर को मुत्तकी भारत पहुंचे, तो उसी दिन पाकिस्तान के रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ ने अफगानिस्तान को सबसे बड़ा दुश्मन बताया. उन्होंने कहा, 'अब सेना और सराकर का सब्र जवाब दे रहा है. अफगानिस्तान की धरती से पाकिस्तान के खिलाफ आतंकवाद बर्दाश्त नहीं किया जाएगा.' भारतीय विदेश मंत्री एस. जयशंकर और मुत्तकी की मुलाकात के बाद जारी संयुक्त बयान पर भी पाकिस्तान तिलमिला गया. तालिबान ने जम्मू-कश्मीर के पहलगाम हमले की निंदा की थी.

 

अफगानिस्तान के विदेश मंत्री अमीर खान मुत्तकी ने भारतीय विदेश मंत्री एस. जयशंकर से मुलाकात की.
अफगानिस्तान के विदेश मंत्री अमीर खान मुत्तकी ने भारतीय विदेश मंत्री एस. जयशंकर से मुलाकात की.

सवाल 3- पाकिस्तान और तालिबान की लड़ाई बढ़ने पर क्या होगा?
जवाब- सैन्य और कूटनीतिक मोर्चे पर पाकिस्तान ज्यादा मजबूत है...

  • पाकिस्तान: ग्लोबल फायर पॉवर के मुताबिक, 6.54 लाख एक्टिव सैनिक, 17 हजार बख्तरबंद गाड़ियां, 2,600 से ज्यादा टैंक, 328 फाइटर एयरक्राफ्ट हैं. एडवांस्ड बैलिस्टिक और न्यूक्लियर मिसाइल्स भी हैं.
  • तालिबान: 1.5 लाख लड़ाके, करीब 500 टैंक, करीब 100 हेलीकॉप्टर और जेट्स हैं.

ORF के डिप्टी डायरेक्टर और मिडिल ईस्ट मामलों के रिसर्च फेलो कबीर तनेजा कहते हैं, 'अगर पाकिस्तान और अफगानिस्तान में लड़ाई हुई, तो तालिबान भले ही न जीते, लेकिन उसकी सोच अभी भी मिलिटेंट ऑर्गेनाइजेशन की तरह है. वह छापामार तरीके से हमला करके पाकिस्तान के लिए मुश्किलें बढ़ा देगा. वहीं, तालिबान और पाकिस्तान दोनों ही तरफ से TTP को समर्थन मिलता है. हालांकि, यह समर्थन छिपा हुआ है. ऐसे में तनाव बढ़ने पर पाकिस्तान को TTP से भी मुकाबला करना होगा.'

सवाल 4- ऐसे में भारत का रुख क्या होगा और कैसे तालिबान की मदद करेगा?
जवाब- कबीर तनेजा कहते हैं, 'पाकिस्तान और तालिबान में तनाव बढ़ने का फायदा भारत को होगा क्योंकि भारत और अफगानिस्तान के रिश्ते बेहतर होंगे. हालांकि, भारत के लिए चुनौती भी है कि तालिबान और पाकिस्तान के बीच टकराव से पूरे इलाके की सुरक्षा अस्थिर हो जाएगी. लेकिन भारत तालिबान का खुलकर साथ नहीं देगा. भारत के लिए तालिबान से जब तक मतलब निकलेगा, तब तक साथ देगा. उसके बाद भारत का इंट्रेस्ट खत्म हो जाएगा.'

सवाल 5- सऊदी अरब ने पाकिस्तान-अफगानिस्तान झगड़े पर क्या कहा?
जवाब- सऊदी अरब ने पाकिस्तान और अफगानिस्तान के तनाव पर चिंता जाहिर की. सऊदी अरब के विदेश मंत्रालय ने बयान देते हुए कहा, 'सऊदी अरब पाकिस्तान और अफगानिस्तान के बीच सीमाई इलाकों में बढ़ते तनाव और झड़पों पर चिंता के साथ नजर बनाए हुए है.'

कबीर तनेजा कहते हैं, 'सऊदी अरब और कतर इस मामले को सुलझाने की पूरी कोशिश करेंगे. अब यह मामला उलेमाओं के जिम्मे किया जाएगा. जिस पर दोनों देशों को राजी होना पड़ेगा. हाल ही में पाकिस्तान और सऊदी अरब के बीच एक रक्षा समझौता हुआ है, जिसके तहत किसी भी एक देश पर कोई तीसरा देश हमला करेगा, तो उसे दोनों देशों पर हमला माना जाएगा. इस वजह से सऊदी नहीं चाहेगा कि वह किसी भी तरह की लड़ाई में न फंसे.'

वहीं, कतर ने भी पाकिस्तान और अफगानिस्तान में हुई झड़पों और इलाके की सुरक्षा को लेकर चिंता जताई. कतर के विदेश मंत्रालय ने दोनों पक्ष से तनाव कम करने के लिए बातचीत और कूटनीतिक रास्ता अपनाने की अपील की है.

ज़ाहिद अहमद इस वक्त ABP न्यूज में बतौर सीनियर कॉपी एडिटर (एबीपी लाइव- हिंदी) अपनी सेवाएं दे रहे हैं. इससे पहले दो अलग-अलग संस्थानों में भी उन्होंने अपनी सेवाएं दी. जहां वे 5 साल से ज्यादा वक्त तक एजुकेशन डेस्क और ओरिजिनल सेक्शन की एक्सप्लेनर टीम में बतौर सीनियर सब एडिटर काम किया. वे बतौर असिस्टेंट प्रोड्यूसर आउटपुट डेस्क, बुलेटिन प्रोड्यूसिंग और बॉलीवुड सेक्शन को भी लीड कर चुके हैं. ज़ाहिद देश-विदेश, राजनीति, भेदभाव, एंटरटेनमेंट, बिजनेस, एजुकेशन और चुनाव जैसे सभी मुद्दों को हल करने में रूचि रखते हैं.

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