स्पेशल रिपोर्ट: पेट्रोल-डीजल को GST के दायरे में लाना क्यों जरूरी है?
केंद्र सरकार और पेट्रोलियम एक्सपर्ट मानते हैं तेल की महंगाई से जनता को बचाने का एक मात्रा रास्ता उसे जीएसटी के दायरे में लाना है. देश में अभी तेल को जीएसटी के दायरे से बाहर रखा गया है.

नई दिल्ली: देश में जब तेल महंगा होता है. तो मंहगाई दबे पांव आम आदमी के घर में दाखिल हो जाती है. लेकिन भारत में तेल राजनीति के खेल में फंसा रहा जाता है. अभी देश में बीजेपी शासित 12 राज्यों ने पेट्रोल डीजल पर ढाई रुपए तक टैक्स में कटौती करके जनता को राहत दी है. लेकिन ऐसा नहीं है कि अब पेट्रोल-डीजल के बढ़ते दामों पर फुल स्टॉप लग जाएगा. हर दिन कुछ कुछ पैसे बढ़कर फिर से पेट्रोल डीजल जनता की जेब ढीली कर सकता है.
कहां-कहां कितना इस्तेमाल होता है पेट्रोल?
नील्सन की 2014 की रिसर्च के मुताबिक, देश में 99% पेट्रोल ट्रांसपोर्ट सेक्टर में खपता है. देश में 61% पेट्रोल दोपहिया वाहन वाले इस्तेमाल करते हैं. वो दोपहिया वाहन वाले जिनकी आय सीमित होती है. जबकि 34% पेट्रोल की खपत कार वाले करते हैं. 1.5 फीसदी पेट्रोल महंगी एसयूवी में चलने वाले खर्च करते हैं. 13% डीजल की खपत देश के किसान खेती में करते हैं.
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अपनी जरूरत का 80 फीसदी तेल आयात करता है भारत
अंतरराष्ट्रीय तेल बाज़ार में कच्चे तेल की कीमत नवंबर 2014 के बाद सबसे ऊंचे स्तर 85 डॉलर प्रति डालर पर पहुंच चुकी है. भारत अपनी जरूरत का 80 फीसदी तेल आयात करता है. आशंका है कि जिस रफ्तार से अभी पेट्रोल-डीजल धीरे धीरे करके महंगा हो रहा है. नवंबर के अंतिम हफ्ते तक पेट्रोल डीजल वापस उसी स्तर पर पहंच जाएगा, जहां पर तीन अक्टूबर तक था. यानी सरकारों की पांच रुपए प्रति लीटर वाली राहत अभी नवंबर के अंत तक ही चल पाएगी.
जीएसटी के दायरे में आने के बाद सस्ता मिलेगा पेट्रोल
खुद केंद्र सरकार और पेट्रोलियम एक्सपर्ट मानते हैं तेल की महंगाई से जनता को बचाने का एक मात्रा रास्ता उसे जीएसटी के दायरे में लाना है. देश में अभी तेल को जीएसटी के दायरे से बाहर रखा गया है. अगर केंद्र और राज्यों के सारे टैक्स हटाकर GST के दायरे में लाएं तो-
- 12% GST की दर से पेट्रोल 51.06 रुपए का मिलेगा.
- 18% GST की दर से पेट्रोल 53.75 रुपए का मिलेगा.
- 28% GST की दर से पेट्रोल 58.30 रुपए का मिलेगा.
जीएसटी की सबसे ऊंची दर लगाने पर भी पेट्रोल अभी के मुकाबले 21 रुपए 1 पैसे सस्ता मिल सकता है. हालांकि इसके लिए जरूरी है केंद्र और राज्य सरकारें एक आम सहमति बनाएं.
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Source: IOCL





















