एक मुख्यमंत्री की बीमारी वाली चिट्ठी का वायरल सच
इस चिट्ठी में लिखा है, ‘’अब मैं समझ चुका हूं कि भविष्य के लिए जमा की गयी संपत्ति के अलावा और भी जरूरी काम करने चाहिए. इन कामों में रिश्तों को संभालना-सहेजना और सामाजिक काम करना हो सकता है.’’

नई दिल्ली: सोशल मीडिया पर एक मुख्यमंत्री की बीमारी वाली चिट्ठी वायरल है. दावा है कि गोवा के मुख्यमंत्री मनोहर पर्रिकर ने एक भावुक चिट्ठी लिखी है. लेकिन सवाल ये है कि क्या वाकई मुख्यमंत्री पर्रिकर ने ऐसी कोई चिट्ठी लिखी है? कहा जा रहा है कि ये चिट्ठी मराठी भाषा में लिखी गई है.
वायरल हो रही इस मराठी चिट्ठी का हिंदी में सार कुछ ऐसा है, ‘’राजनीति के क्षेत्र में मैंने बहुत यश और सफलता हासिल की है. दूसरों की नजर में मेरा जीवन और यश एक-दूसरे के समानार्थी शब्द हैं. फिर भी मेरे काम के अलावा अगर आनंद की बात की जाये तो वो मुझे बहुत कम मिला है. आखिर में मेरा राजनीतिक ओहदा मेरे लिये बस एक सच्चाई की तरह रह गया है. आज इस वक्त मैं बीमारी की वजह से बिस्तर पर पड़ा हुआ हूं और मेरा अतीत मेरी आंखों के सामने तैर रहा है. जिस ख्याति, प्रसिद्धि और धन संपत्ति को मैं सर्वस्व मानकर उसके अहंकार में रहा आज जब खुद को मौत के दरवाजे पर खड़ा देख रहा हूं तो मुझे सब कुछ निरर्थक लग रहा है. आज जब मौत मेरे पास आ रही है तो मुझे ये ग्रीन सिगनल दिखाने वाले और उम्र बढ़ाने वाले मेडिकल उपकरण दिख रहे हैं. मुझे उनकी आवाज भी सुनाई दे रही है जो मेरे नजदीक आती मौत का एहसास करवा रही है.’’
वायरल हो रही चिट्ठी के मुताबिक मनोहर पर्रिकर सिर्फ पूंजी जुटाने के अलावा समाज सेवा जैसे काम करने की सीख भी दे रहे हैं. इस बाबत चिट्ठी में लिखा है, ‘’अब मैं समझ चुका हूं कि भविष्य के लिए जमा की गयी संपत्ति के अलावा और भी जरूरी काम करने चाहिए. इन कामों में रिश्तों को संभालना-सहेजना और सामाजिक काम करना हो सकता है.’’
ये चिट्ठी यहीं खत्म नहीं होती. आगे कुछ और भी लिखा है, ‘’ऑपरेशन टेबल पर लेटे व्यक्ति के मन में एक ख्याल जरूर आता है कि उसे सिर्फ एक ही किताब पढ़नी बाकी रह गई है और वो किताब है 'निरोगी जीवन जीने की किताब'. आप इस वक्त जीवन की किसी भी स्थिति और उम्र से गुजर रहे हों, लेकिन वक्त एक न एक दिन ऐसे मोड़ पर लाकर जरूर खड़ा करता है जहां जिंदगी के नाटक का आखिरी सीन स्पष्ट दिखायी देता है. खुद को नजरअंदाज मत कीजिए, अपना आदर करिए और दूसरों के साथ प्यारपूर्ण बर्ताव कीजिए. लोग जिंदगी में दूसरों का इस्तेमाल करना सीखते हैं. असल में पैसे का इस्तेमाल करना और इंसानों को संभालना सीखना चाहिए. जिंदगी की शुरुआत ही रोने से होती है और जिंदगी खत्म दूसरों के रोने से होता है. इन दोनों स्थितियों के बीच जितना हंस सकें हंसें. खुद खुश रहें और दूसरों को भी खुश रखें.’’
अब इस वायरल तस्वीर की सच्चाई तक पहुंचने के लिए ABP न्यूज ने पड़ताल शुरु की तो गोवा के मुख्यमंत्री दफ्तर का नीले निशान वाले आधिकारिक ट्विटर अकाउंट पर हमें 25 मार्च को किया गया एक ट्वीट मिला. सीएमओ गोवा की तरफ से किए गए इस ट्वीट में लिखा है, ‘’ये देखा जा रहा है कि सोशल मीडिया पर मुख्यमंत्री के नाम से कई तरह के मैसेज घूम रहे हैं. सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे ये मैसेज सच नहीं हैं, ये किन्हीं शरारती तत्वों का काम है. अगर उनसे कोई भी जुड़ा मैसेज होगा तो वो सीधे मुख्यमंत्री पर्रिकर या फिर उनके आधिकारिक सोशल मीडिया अकाउंट के जरिए दिया जाएगा.’’
यानि गोवा मुख्यमंत्री कार्यालय ने मनोहर पर्रिकर की ने नाम से वायरल हो रही इस चिट्ठी का खंडन करते हुए ऐसी बातों और ऐसी किसी चिट्ठी पर विश्वास ना करने की अपील की है. पड़ताल में सामने आया कि यही चिट्ठी साल 2011 में एप्पल कंपनी के सह-संस्थापक स्टीव जॉब्स के निधन के समय भी वायरल हुई थी. इंटरनेट पर मौजूद कई वेबसाइट के लेखों में चिट्ठी में लिखी इन बातों को स्टीव जॉब्स के आखिरी शब्द बताए थे लेकिन इस बारे में कोई पुख्ता प्रमाण नहीं है. लेकिन इस बात के प्रमाण जरूर हैं कि ये चिट्ठी गोवा के मुख्यमंत्री ने नहीं लिखी है. इसलिए हमारी पड़ताल में मनोहर पर्रिकर की बीमारी का दावा करती ये चिट्ठी झूठी साबित हुई है.

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Source: IOCL






















