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Unified Pension Scheme: OPS-NPS से कितनी अलग है यूपीएस? 7 पॉइंट्स में समझिए

Unified Pension Scheme: मोदी सरकार ने सरकारी कर्मचारियों को बड़ा तोहफा दिया है. कैबिनेट की बैठक में ओल्ड पेंशन स्कीम और न्यू पेंशन स्कीम की जगह यूनिफाइड पेंशन स्कीम (UPS) पर मुहर लग गई है.

UPS Vs NPS Vs OPS: मोदी सरकार ने शनिवार (24 अगस्त) को यूनिफाइड पेंशन स्कीम को मंजूरी दे दी है. इसमें सरकारी कर्मचारियों को रिटायरमेंट के बाद में एक निश्चित पेंशन मिलेगी. ये स्कीम  1 अप्रैल, 2025 से लागू होगी. काफी समय से पेंशन स्कीम को लेकर विपक्ष केंद्र पर हमलावर था. 

हिमाचल प्रदेश (2023), राजस्थान (2022), छत्तीसगढ़ (2022) और पंजाब (2022) में पुरानी पेंशन को लागू कर दिया है. केंद्र सरकार ने जम्मू -कश्मीर, हरियाणा, महाराष्ट्र और झारखंड में आगामी विधानसभा चुनाव से पहले एक बड़ा पॉलिटिकल दांव खेला है.

जानें क्या है UPS में खास

यूनिफाइड पेंशन स्कीम (UPS) सरकारी कर्मचारियों के लिए नई पेंशन स्कीम है. इसके तहत कर्मचारियों के लिए एक निश्चित पेंशन स्कीम का प्रावधान किया जाएगा. केंद्रीय सूचना एंव प्रसारण मंत्री अश्विनी वैष्णव के अनुसार, UPS के 5 मुख्य स्तंभ हैं.

फिक्स्ड पेंशन-कर्मचारियों को रिटायरमेंट के बाद फिक्स पेंशन मिलेगी. ये पेंशन रिटारयमेंट के ठीक पहले के 12 महीनों के औसत मूल वेतन का 50 % होगी. इसका फायदा उन्ही कर्मचारियों को मिलेगा, जिन्होंने कम से कम 25 साल तक नौकरी की हो. 

निश्चित न्यूनतम पेंशन- अगर कोई कर्मचारी कम से कम 10 साल नौकरी करने के बाद रिटायर होता है तो उसे पेंशन के रूप में 10000 रुपए मिलेंगे. 

निश्चित पारिवारिक पेंशन- इस स्कीम के तहत पारिवारिक पेंशन भी मिलेगी. यह पेंशन कर्मचारी की मौत के बाद उसके परिवार को मिलेगी. 

इंफ्लेशन इंडेक्सेशन बेनिफिट-इन तीनों पेंशन पर महंगाई के हिसाब से डीआर का पैसा मिलेगा. यह ऑल इंडिया कंज्यूमर प्राइस इंडेक्स फॉर इंडस्ट्रियल वर्कर्स पर आधारित होगा.

ग्रेच्युटी-इसमें कर्मचारी को उसकी नौकरी के आखिरी 6 महीने का वेतन और भत्ता एक लमसम अमाउंट के तौर मिलेगा. इसका एकमुश्त भुगतान किया जाए. यह कर्मचारी के आखिरी बेसिक सैलरी का 1/10वां हिस्सा होगा. 

NPS ने ली OPS की जगह

1 जनवरी 2004 को एनपीएस ने ओपीएस की जगह ली थी. इसके बाद ज्वाइन करने वाले सरकारी कर्मचारियों को NPS के तहत रखा गया था. OPS के तहत, कर्मचारी अपने रिटायरमेंट के बाद अपनी आखिरी सैलरी का 50 प्रतिशत पेंशन के रूप में निकाल सकते थे. अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार ने इसकी शुरुआत की थी.

आंकड़ों के अनुसार, पिछले तीन दशकों में केंद्र और राज्यों की पेंशन भुगतान में लगातार बढ़ोतरी हुई है. 1990-91 में केंद्र का पेंशन बिल 3,272 करोड़ रुपये था और सभी राज्यों का कुल खर्च 3,131 करोड़ रुपये था. वहीं, 2020-21 तक केंद्र का बिल 58 गुना बढ़कर 1,90,886 करोड़ रुपये और राज्यों के लिए यह 125 गुना बढ़कर 3,86,001 करोड़ रुपये हो गया है. 

जानें किन्हें मिलेगा UPS का फायदा

केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने जानकारी देते हुए कहा, 'केंद्र सरकार के कर्मचारियों को यह फैसला लेने का अधिकार होगा कि वो एनपीएस में बने रहेंगे या यूनिफाइड पेंशन स्कीम में शामिल होंगे. वहीं,  कैबिनेट सचिव टी वी सोमनाथन ने कहा, 'ये स्कीम उन सभी पर लागू होगी, जो 2004 के बाद से NPS के तहत रिटायर हो गए हैं. 'बता दें कि यूपीएस 1 अप्रैल, 2025 से लागू होगी. वहीं, 2004 से लेकर 31 मार्च, 2025 तक NPS के तहत रिटायर हुए सभी कर्मचारी यूपीएस के पांचों लाभ उठा सकेंगे. उन्होंने आगे कहा, 'मेरा मानना है कि 99 फीसदी से ज्यादा मामलों में UPS में जाना बेहतर रहेगा. मुझे नहीं लगता है कोई भी एनपीएस में नहीं रहना चाहेगा.

जानें UPS और OPS में अंतर

UPS और OPS में अंतर को लेकर सोमनाथ ने कहा, 'बकाया राशि पर करीब 800 रुपये का खर्च किया जाएगा. इसे लागू करने के लिए सरकारी खजाने पर करीब 6,250 करोड़ रुपये अतिरिक्त भार पड़ेगा. पुरानी पेंशन स्कीम में रिटायरमेंट के बाद में आखिरी वेतन की आधी रकम पेंशन के तौर मिलती थी. यह कर्मचारी की बेसिक सैलरी और महंगाई के आंकड़ो से तय होती थी. पुरानी पेंशन स्कीम में 20 लाख रुपये की ग्रेच्युटी मिलती थी. यह पैसा रिटायर्ड कर्मचारी की मौत होने पर उसके परिवार को मिलता था. उन्होंने आगे कहा, 'आज जो बदलाव हुए हैं, उसमे एक अंतर यह है कि  चीजों को मार्केट पर छोड़ा नहीं जा सकता है. 

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