रेप के लिए लड़की को जिम्मेदार ठहराने वाले आदेश पर SC नाखुश, कहा- जज तथ्यों पर आदेश दें, गैरजरूरी टिप्पणी न करें
एसजी तुषार मेहता ने कोर्ट की राय से सहमति जताई और कहा कि न्याय का सिर्फ सही होना जरूरी नहीं, उसे होते हुए दिखाई पड़ना भी चाहिए.

बलात्कार के लिए पीड़िता को ही जवाबदेह बताने वाली हाई कोर्ट की टिप्पणी पर सुप्रीम कोर्ट ने नाराजगी जताई है. कोर्ट ने कहा है कि किसी जज को अगर सही लगे तो वह उपलब्ध तथ्यों के आधार पर आरोपी को जमानत दे सकते हैं, लेकिन उन्हें शिकायतकर्ता के बारे में अनुचित टिप्पणी से बचना चाहिए.
हाई कोर्ट ने क्या कहा था?
10 अप्रैल को इलाहाबाद हाई कोर्ट के जज जस्टिस संजय सिंह ने बलात्कार के एक आरोपी को दी थी. उस आदेश में उन्होंने कहा था कि शिकायकर्ता लड़की और आरोपी दिल्ली के एक बार में मिला. शिकायकर्ता पहले से शराब के नशे में थी. उन्होंने शराब पी और वह आरोपी के कहने पर आराम करने के लिए उसके घर चली गई. पीड़िता एमए की छात्रा थी. वह अपना भला-बुरा समझने में सक्षम थी. उसने मुसीबत को खुद ही निमंत्रण दिया. वह घटना के लिए खुद जिम्मेदार थी.
हाई कोर्ट के एक दूसरे फैसले पर हो रही थी सुनवाई
सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस भूषण रामाकृष्ण गवई की अध्यक्षता वाली बेंच ने हाई कोर्ट की टिप्पणी पर असंतोष जताया. जस्टिस गवई ने कहा कि जजों को कुछ कहते समय सावधानी बरतनी चाहिए. यह बेंच इलाहाबाद हाई कोर्ट के ही एक और आदेश के मसले पर सुनवाई के लिए बैठी थी. उस फैसले में हाई कोर्ट ने नाबालिग लड़की के स्तन दबाने और पैजामे की डोरी तोड़ने को रेप की कोशिश नहीं माना था. हालांकि, यह सुनवाई टल गई. उसी दौरान जजों ने हाई कोर्ट के नए आदेश का भी जिक्र किया.
सॉलिसिटर जनरल ने भी जताई सहमति
कोर्ट में मौजूद सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने भी कोर्ट की राय से सहमति जताई. उन्होंने कहा कि न्याय का सिर्फ होना ही जरूरी नहीं, उसे होते हुए दिखाई भी पड़ना चाहिए. ऐसे में, जजों को यह समझना चाहिए कि आम लोगों को कानूनी बारीकियों की बहुत जानकारी नहीं होती. वह इस तरह की विवादित टिप्पणी का गलत अर्थ लगा सकते हैं.
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Source: IOCL























