'निमिषा प्रिया को यमन में फिलहाल कोई खतरा नहीं', सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई 8 हफ्तों के लिए टाली
यमन में मौत की सजा पाने वाली भारतीय नर्स निमिषा प्रिया को लेकर गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट को सूचित किया गया कि अभी उन्हें तत्काल कोई खतरा नहीं है.कोर्ट ने मामले को 8 सप्ताह बाद सुनने का आदेश दिया.

सुप्रीम कोर्ट को गुरुवार (14 अगस्त, 2025) को सूचित किया गया कि यमन में हत्या के आरोप में मौत की सजा पाने वाली भारतीय नर्स निमिषा प्रिया को तत्काल कोई खतरा नहीं है. इसके बाद कोर्ट ने मामले को 8 सप्ताह बाद सुनवाई के लिए सूचीबद्ध कर दिया. प्रिया को कानूनी सहयोग दे रहे याचिकाकर्ता संगठन ‘सेव निमिषा प्रिया इंटरनेशनल एक्शन काउंसिल’ के वकील ने जस्टिस विक्रम नाथ और जस्टिस संदीप मेहता की पीठ से मामले को स्थगित करने का अनुरोध किया.
शीर्ष अदालत उस याचिका पर सुनवाई कर रही है, जिसमें केंद्र को केरल के पलक्कड़ की 38 साल की नर्स को बचाने के लिए राजनयिक माध्यमों का उपयोग करने का निर्देश देने का अनुरोध किया गया है. निमिषा प्रिया को 2017 में अपने यमनी कारोबारी साथी की हत्या का दोषी ठहराया गया था.
निमिषा को तत्काल खतरा नहीं
वकील ने कहा, ‘बातचीत चल रही है, फिलहाल कोई तत्काल खतरा नहीं है. कृपया इसे चार सप्ताह के लिए स्थगित कर दें. उम्मीद है कि उस समय तक सब कुछ ठीक हो जाएगा.’ इस पर पीठ ने कहा, ‘इस मामले को 8 सप्ताह बाद सूचीबद्ध किया जाए.’ याचिकाकर्ता के वकील ने कहा कि अगर कोई आवश्यकता हुई तो वह सुप्रीम कोर्ट के सामने मामले का उल्लेख करेंगे.
शीर्ष अदालत को पिछले महीने अवगत कराया गया था कि 16 जुलाई को होने वाली प्रिया की फांसी पर रोक लगा दी गई है. केंद्र ने 18 जुलाई को सुप्रीम कोर्ट को सूचित किया कि प्रयास जारी है और सरकार यह सुनिश्चित करने के लिए हर संभव कोशिश कर रही है कि प्रिया सुरक्षित रहे.
याचिकाकर्ता की कोर्ट से प्रतिनिधमंडल की अपील
याचिकाकर्ता संगठन ने अनुरोध किया कि बातचीत के लिए मृतक यमनी नागरिक के परिवार से मिलने के लिए यमन जाने के लिए केंद्र एक प्रतिनिधमंडल नियुक्त करे. पीठ ने कहा कि याचिकाकर्ता सरकार को अभ्यावेदन दे सकता है. याचिकाकर्ता के वकील ने पहले कहा था कि प्रिया की मां पीड़ित परिवार के साथ बातचीत करने के लिए यमन में थीं और वह वहां गई हैं, क्योंकि दिल्ली हाई कोर्ट ने केंद्र से उन्हें यात्रा की अनुमति देने के लिए कहा था.
मृतक के परिवार को ‘ब्लड मनी’ देने की संभावना
प्रिया को 2017 में दोषी ठहराया गया, 2020 में मौत की सजा सुनाई गई और 2023 में उसकी अंतिम अपील खारिज कर दी गई. वह यमन की राजधानी सना की एक जेल में कैद हैं. याचिकाकर्ता के वकील ने पहले शीर्ष अदालत को बताया था कि शरिया कानून के तहत मृतक के परिवार को ‘ब्लड मनी’ (हत्या के अपराध को माफ करने के बदले पैसा ) देने की संभावना को तलाशा जा सकता है.
उन्होंने कहा कि अगर ब्लड मनी का भुगतान किया जाए तो पीड़ित परिवार प्रिया को माफ कर सकता है. भारत ने 17 जुलाई कहा था कि वह मामले में ‘परस्पर स्वीकार्य समाधान’ तक पहुंचने के प्रयासों के तहत यमनी अधिकारियों के साथ-साथ कुछ मित्र देशों के संपर्क में है. यमनी अदालत के दस्तावेजों के अनुसार, प्रिया ने जुलाई 2017 में तलाल अब्दो महदी को कथित तौर पर नशीला पदार्थ खिलाकर उसकी हत्या कर दी थी.
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Source: IOCL






















