वक्फ बाय यूजर का रजिस्ट्रेशन बिना वैध डीड के नहीं; वक्फ के लिए 5 साल मुस्लिम रहने की शर्त को भी कोर्ट ने सही माना, बस एक वजह से फिलहाल लगाई रोक
कोर्ट ने सिर्फ इस आधार पर इस प्रावधान पर रोक लगाई है कि फिलहाल किसी व्यक्ति के 5 साल से इस्लाम का पालन करनी की पुष्टि के लिए कोई उपयुक्त व्यवस्था मौजूद नहीं है.

सुप्रीम कोर्ट ने वक्फ संशोधन एक्ट पर दिए फैसले में वक्फ बाय यूजर यानी इस्तेमाल के आधार पर वक्फ पर बड़ी बात कही है. अब ऐसी संपत्तियों का रजिस्ट्रेशन बिना वैध डीड के नहीं हो सकेगा. कोर्ट ने कहा है कि सरकारी संपत्ति को वक्फ के नाम पर कब्जाने की कोशिशों को बेअसर करने के लिए ऐसा करना ठीक है.
चीफ जस्टिस बी आर गवई और ऑगस्टिन जॉर्ज मसीह की बेंच ने कहा है कि 1995 के कानून के मुताबिक वक्फ बाय यूजर संपत्ति के रजिस्ट्रेशन के लिए अधिक दस्तावेज की ज़रूरत नहीं थी. जिन मुतवल्लियों ने 30 साल तक संपत्ति को रजिस्टर्ड नहीं करवाया, वह अब यह दलील नहीं दे सकते कि उनसे वक्फ की वैध डीड न मांगी जाए. जो कानून है, उसका पालन करना होगा.
'5 साल मुस्लिम होने की शर्त गलत नहीं'
वैसे तो सुप्रीम कोर्ट ने उस प्रावधान पर रोक लगाई है जिसमें वक्फ के लिए 5 साल मुस्लिम होने की शर्त रखी गई थी, लेकिन कोर्ट ने वक्फ संशोधन कानून में ऐसी शर्त रखने को सही कहा है. कोर्ट ने कहा है कि ऐतिहासिक रूप से यह देखा गया है कि लोग कुछ कानूनों से बचने के लिए खुद को मुस्लिम घोषित कर देते हैं. ऐसे दुरुपयोग से बचने के लिए यह प्रावधान सही है.
कोर्ट ने सिर्फ इस आधार पर इस प्रावधान पर रोक लगाई है कि फिलहाल किसी व्यक्ति के 5 साल से इस्लाम का पालन करनी की पुष्टि के लिए कोई उपयुक्त व्यवस्था मौजूद नहीं है. सरकार जब तक एक्ट की धारा 109 के तहत नियम नहीं बना लेती. तब तक इस प्रावधान को लागू नहीं किया जा सकता.
'2 शादी करना या कानून से बचना भी मकसद'
कोर्ट ने कहा है कि 1923 में वक्फ कानून बनाने वालों ने पाया था कि वक्फ को अक्सर 'चालाक हथियार' के तौर पर इस्तेमाल किया जाता है. कई बार खुद को मुस्लिम बता कर संपत्ति को वक्फ घोषित कर देने का एक मकसद लेनदारों से बचना होता है. कुछ लोग दूसरी शादी करने के लिए खुद को मुसलमान कहना शुरू कर देते हैं. वह ऐसा कर दूसरी शादी के खिलाफ बने कानून से बच जाते हैं. ऐसे दुरुपयोग को रोकने के लिए वक्फ से पहले वास्तविक मुस्लिम की पहचान करना सही नहीं है. लेकिन उपयुक्त नियमों के अभाव में फिलहाल इसे लागू नहीं किया जा सकता
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Source: IOCL

























