जेल से छूटने लायक 4200 कैदियों की मदद के लिए आगे आया सुप्रीम कोर्ट, तलब की सबकी केस फाइल
सुप्रीम कोर्ट की लीगल कमिटी जेल से छूटने लायक 4200 कैदियों की मदद के लिए आगे आई है. इस कमिटी ने सभी राज्यों के जेल महानिरीक्षकों की मदद से ऐसे कैदियों की पहचान की है.

सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस सूर्य कांत की अध्यक्षता वाली लीगल सर्विसेस कमिटी ने एक बड़ा फैसला लिया है. कमिटी देश भर के उन सभी कैदियों की कानूनी सहायता करेगी, जो जेल से बाहर आने योग्य होने के बावजूद अभी तक बंद हैं. 3 महीने चली लंबी कवायद के बाद ऐसे कैदियों की संख्या 4200 से ज़्यादा पाई गई है.
सुप्रीम कोर्ट लीगल सर्विसेस कमिटी के अध्यक्ष जस्टिस सूर्य कांत ने मंगलवार, 1 अप्रैल को सभी राज्यों की लीगल सर्विसेस अथॉरिटी और हाई कोर्ट की लीगल सर्विसेज कमिटी के अध्यक्षों से बात की. उन्होंने निर्देश दिया कि इस तरह के कैदियों की फाइल सुप्रीम कोर्ट लीगल सर्विसेस कमिटी को भेजी जाए ताकि उन्हें कानूनी सहायता उपलब्ध करवाते हुए उनकी तरफ से सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की जा सके.
सभी राज्यों के जेल महानिदेशक और हाई कोर्ट लीगल सर्विस कमिटी के प्रयासों से 3 श्रेणी के कैदियों की पहचान की गई है :-
1. जिनकी अपील हाई कोर्ट से खारिज हो चुकी है
2. जो अपने अपराध के लिए कानून में तय अधिकतम सजा का आधा से अधिक जेल में बिता चुके हैं और जिन्हें हाई कोर्ट ने जमानत नहीं दी है
3. जिनकी सजा खत्म करने का आवेदन राज्य सरकार ठुकरा चुकी है और हाई कोर्ट ने भी याचिका खारिज कर दी है
सुप्रीम कोर्ट लीगल सर्विसेस कमिटी का मानना है कि इन सभी कैदियों को कानूनी सहायता की जरूरत है. यह कैदी संभवतः सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल कर पाने में सक्षम नहीं हैं. ऐसे में कमिटी ने उनकी केस फाइल और उनके बारे में जारी आदेशों की प्रमाणित कॉपी तलब की है.
कमिटी ने यह भी कहा है कि यह सिर्फ एक बार की प्रक्रिया नहीं है. राज्यों की लीगल सर्विसेस ऑथोरिटी और हाई कोर्ट की कमिटी ऐसे कैदियों की लगातार पहचान करती रहे, जिन्हें कानूनी मदद की जरूरत है. जस्टिस सूर्य कांत ने इस बात पर जोर दिया कि जेल में बंद कैदियों को उनके कानूनी अधिकारों और उन्हें प्राप्त करने के लिए उपलब्ध विकल्पों की जानकारी दी जाती रहनी चाहिए.
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Source: IOCL
























