'विनम्र और शिष्ट बनें', सुप्रीम कोर्ट ने ज्यूडिशियल ऑफिसर्स को चेताया, पंजाब के जज को किया बहाल
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि पंजाब न्यायिक सेवा की अधिकारी नाजमीन सिंह की बहाली हाईकोर्ट के समक्ष बार सदस्यों के साथ उचित व्यवहार करने के वचन के अधीन होगी.

सुप्रीम कोर्ट ने बार सदस्यों, वादियों और अन्य के प्रति दुर्व्यवहार की घटनाओं पर गौर करते हुए सोमवार (17 मार्च, 2025) को कहा कि न्यायिक अधिकारियों को विनम्र, शिष्ट होना चाहिए और मानवीय दृष्टिकोण प्रदर्शित करना चाहिए.
जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस एन. कोटिश्वर सिंह की पीठ ने पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट को एक न्यायिक अधिकारी को अस्थायी रूप से बहाल करने का आदेश देते हुए यह टिप्पणी की, जिनकी सेवाएं चंडीगढ़ के पीजीआईएमईआर (स्नातकोत्तर चिकित्सा शिक्षा एवं अनुसंधान संस्थान) अस्पताल के डॉक्टरों के साथ कथित रूप से दुर्व्यवहार करने के बाद समाप्त कर दी गई थीं.
पीठ ने कहा, 'संस्था को बड़ा दिल वाला होना चाहिए.' हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि पंजाब न्यायिक सेवा की अधिकारी नाजमीन सिंह की बहाली हाईकोर्ट के समक्ष बार सदस्यों के साथ उचित व्यवहार करने के वचन के अधीन होगी.
पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट का प्रतिनिधित्व कर रहे सीनियर एडवोकेट एस. मुरलीधर से पीठ ने कहा, 'हमें प्रतिभाशाली एवं होनहार अधिकारी चाहिए. हम जानते हैं कि चयन प्रक्रिया कितनी कठिन है. वे संपत्ति की तरह हैं. हमें उन्हें उचित रूप से ढालने की जरूरत है. एक संस्था के रूप में, आपको इन अधिकारियों के साथ व्यवहार करते समय बड़ा दिल रखना चाहिए.'
हाईकोर्ट ने 27 सितंबर, 2024 के आदेश को चुनौती दी, जिसके तहत अधिकारी को बहाल करने का निर्देश दिया गया था और प्रशासनिक पक्ष से पारित उसके 9 अप्रैल, 2021 के बर्खास्तगी आदेश को निरस्त कर दिया गया था. इस तरह के कदाचार की बढ़ती शिकायतों पर चिंतित पीठ ने न्यायिक अधिकारियों को उनकी जिम्मेदारियों के बारे में संवेदनशील बनाने पर जोर दिया.
जस्टिस सूर्यकांत ने कहा, 'वे बार के सदस्यों, वरिष्ठों या वादियों के साथ उचित व्यवहार नहीं करते हैं. मुझे लगता है कि हमें अपने अधिकारियों को उनके आचरण के बारे में संवेदनशील बनाने की जरूरत है. मुझे ऐसे मामले की जानकारी है, जहां एक मजिस्ट्रेट ने सत्र न्यायाधीश के साथ उचित व्यवहार नहीं किया. उन्हें नियुक्त करने से पहले उन्हें कुछ पेशेवर प्रशिक्षण देने की जरूरत है.'
अधिकारी ने 2015 में पंजाब सिविल सेवा न्यायिक परीक्षा उत्तीर्ण की थी और 2016 में उन्हें सिविल जज (जूनियर डिवीजन) या न्यायिक मजिस्ट्रेट के रूप में नियुक्त किया गया था. अपनी नियुक्ति के बाद, उन्होंने लुधियाना और चंडीगढ़ की अदालतों में काम किया. साल 2018 में चंडीगढ़ में अपनी पोस्टिंग के दौरान, अधिकारी को मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट द्वारा चंडीगढ़ के पीजीआईएमईआर में अस्थमा और एड्स के कारण एक कैदी की मौत की जांच कार्यवाही के लिए कहा गया था.
हालांकि, 31 जुलाई, 2018 को मेडिकल बोर्ड के सदस्यों ने पीजीआईएमईआर, चंडीगढ़ के निदेशक से न्यायिक अधिकारी पर कदाचार का आरोप लगाते हुए शिकायत की, जिसके कारण हाईकोर्ट द्वारा जांच के बाद उन्हें बर्खास्त कर दिया गया.
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Source: IOCL





















