राज्यसभा में पेश हुआ तीन तलाक बिल, चार घंटे की चर्चा के बाद मोदी सरकार की असली परीक्षा
तीन तलाक को अपराध बनाने वाले बिल को राज्यसभा से पास कराना मोदी सरकार के लिए चुनौती है. ‘मुस्लिम महिला (विवाह अधिकार संरक्षण) विधेयक 2019’ में दोषियों के लिए तीन साल की सजा का प्रावधान किया गया है.

नई दिल्ली: लोकसभा से पास होने के बाद तीन तलाक बिल आज राज्यसभा में पेश हो गया. कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने गृहमंत्री अमित शाह की मौजूदगी में सदन के पटल पर बिल को रखा. तीन तलाक बिल पर चर्चा के लिए राज्यसभा में चार घंटे का समय तय हुआ है, इसके बाद बिल पर वोटिंग होगी. सरकार के पास उच्च सदन में बहुमत नहीं है, इसलिए देखना होगा कि बिल पास होता है या एक बार फिर अटक जाता है. बिल को पेश करते हुए कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने कहा कि यह नारी न्याय, नारी सम्मान और नारी उत्थान का विषय है, ये इंसानियत और इंसाफ का सवाल है. वहीं कांग्रेस की ओर से चर्चा की शुरुआत में कहा गया कि तलाक सिर्फ एक कौम का मामला नहीं है, यह बिल सिर्फ एक महिला नहीं बल्कि पूरे परिवार से जुड़ा है.
बिल पेश करते हुए कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने कहा, ''20 से ज्यादा मुस्लिम देशों ने एक साथ तीन तलाक को प्रतिबंधित किया है. 2013 में सुप्रीम कोर्ट ने तीन तलाक के खिलाफ अपना फैसला सुनाते हुए कहा कि संसद को इस पर कानून बनाना चाहिए. हमने सोचा था कि कोर्ट के फैसले के बाद यह चीज खत्म हो जाएगी लेकिन हमारी पास जो जानकारी आई है यह मामले उससे कहीं ज्यादा हो सकते हैं. कोर्ट के फैसले के बाद तीन तलाक के 572 मामले सामने आए हैं. इसमें जुलाई 2019 के बाद 345 मामले सामने आए हैं. इसके खिलाफ हम अध्यादेश लेकर आए हैं, अध्यादेश के बाद 101 मामले हुए हैं.''
Union Minister Ravi Shankar Prasad on introducing Triple Talaq bill in Rajya Sabha: This is a matter of gender justice, dignity and equality. https://t.co/VPrZpVrUUV
— ANI (@ANI) July 30, 2019
प्रसाद ने कहा, ''रोटी काली हो गई तीन तलाक, पत्नी ने सब्जी के लिए पैसा मांगा तो तीन तलाक, यहां तक पति पत्नी का अश्लील वीडियो बनाना चाहता था पत्नी ने मना किया तो तीन तलाक. यह सब मामले अखबारों में मौजूद हैं. इस देश की महिलाओं से हम क्या कहें कि फैसला हो गया है लेकिन कार्रवाई नहीं हो रही है. इसलिए हम कानून लेकर आए हैं. हमने कानून में संशोधन भी किए हैं. तीन तलाक के सवाल को सियासत और वोटबैंक के चश्मे से ना देखा जाए, यह सवाल इंसानियत और इंसाफ का सवाल है. यह नारी न्याय, नारी गरिमा और नारी उत्थान का सवाल है. यह मामला लैंगिक समानता और लैंगिक न्याय का है.''
तीन तलाक पर राज्यसभा में केंद्र और विपक्ष आमने सामने राज्यसभा में एक बार फिर तीन तलाक बिल पर चार घंटे की चर्चा के बाद केंद्र सरकार और विपक्षआमने-सामने होंगे. इस दौरान सरकार मुस्लिमों के बीच तीन तालक को दंडनीय बनाने के लिए कुछ गैर एनडीए, गैर-यूपीए पार्टियों पर निर्भर रहेगी. बीजेपी के पास राज्य सभा में बहुमत नहीं है लेकिन उसने बीजू जनता दल, तेलंगाना राष्ट्र समिति (टीआरएस) और वाईएसआर कांग्रेस के समर्थन से पिछले सप्ताह सूचना का अधिकार विधेयक राज्य सभा में पारित कराया था. ऐसे में वह कई तरह के अंक गणित पर ध्यान दे रही जिससे राज्यसभा में तीन तलाक बिल को पास करवाया जा सके.
तीन तलाक बिल को राज्यसभा में पास कराने को लेकर भी बीजेपी को इन दलों से समर्थन की फिर से उम्मीद है, लेकिन चुनौती यह है कि एनडीए के साथी जनता दल (यू) द्वारा बिल का समर्थन नहीं करने का एलान किया गया है. ऐसे में आइए देखते हैं कैसे बीजेपी राज्यसभा में टीआरएस, बीजेडी और वाईएसआर कांग्रेस के समर्थन से तीन तलाक बिल को पास करवा सकती है?
राज्यसभा में कुल 245 सीटें हैं, 4 सीटें खाली होने के बाद आंकड़ा 241 होता है, इस लिहाज से बहुमत के लिए 121 सांसदों की जरूरत है. सत्ताधारी गठबंधन एनडीए के पास 113 सांसद ही हैं. बीजेपी के 78 सांसद राज्यसभा में हैं तो वहीं अन्य एनडीए के अन्य दलों की बात करें तो एआईएडीएमके 11, जेडीयू 6, शिवसेना 3, शिरोमणी अकाली दल 3 और निर्दलीय और नामांकित 12 सासंद हैं. इस तरह एनडीए के पक्ष में कुल 113 सांसदों का वोट तय माना जा रहा है लेकिन यह संख्या मेजोरिटी के 121 के मार्क से 8 कम है. ऐसे में अगर उसे बीजेडी के सात सांसद, तेलंगाना राष्ट्र समिति (टीआरएस) के 6, वाईएसआर कांग्रेस के दो सांसदों का साथ मिलता है तो बिल के समर्थन में 128 वोट पड़ेंगे और बिल आसानी से पास हो जाएगा.
गैर यूपीए और गैर एनडीए सांसदों की होगी अहम भूमिका जहां राज्य सभा में NDA के 113 सांसद हैं तो वहीं यूपीए की बात करें तो उसके पास कुल 68 सांसद राज्य सभा में हैं. कांग्रेस के 48, आरजेडी के 5, एनसीपी के 4, डीएसके के5, जेडीएस के 1 और निर्दलीय और नामांकित सदस्यों की संख्या 5 है. यूपीए और एनडीए के अलावा जो सांसद राज्य सभा में तीन तलाक बिल को पास करवाने में अहम भूमिका निभा सकते हैं वह हैं बीजेडी के सात सांसद, तेलंगाना राष्ट्र समिति (टीआरएस) के 6, वाईएसआर कांग्रेस के दो और एनपीएफ का एक सांसद. इसके अलावा दो निर्दलीय सांसद भी हैं. यानि गैर यूपीए और गैर एनडीए के 18 सांसदों पर सबकी नजर होगी. बीजेपी को अगर इनका साथ मिला तो बिल आसानी से पास हो जाएगा.
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