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लॉकडाउन में रेलवे को करना पड़ रहा है 96 लाख टिकटों का रिफंड, जानिए इससे जुड़ा पूरा नियम

इंडियन रेलवे ने 94 लाख टिकटों को रद्द करके यात्रियों को उनका पैसा लौटाने का निर्णय लिया है. इससे भारतीय रेलवे को राजस्व में 1,490 करोड़ रुपये का नुकसान होगा. रेलवे ने 21 दिन के लॉकडाउन लागू होने से तीन दिन पहले 22 मार्च को अपनी यात्री ट्रेन सेवाओं को व्यापक पैमाने पर स्थगित कर दिया था.

नई दिल्ली: लॉकडाउन के दोनों फ़ेज मिला कर रेलवे कुल 96 लाख टिकटों का रिफ़ंड कर रही है. इनमें से 32 लाख टिकट, ट्रेन रद्द होने की घोषणा से पहले ही, यात्रियों ने खुद ही कैंसिल किए हैं.

लॉकडाउन से पहले कैंसिल हुए टिकटों पर सिर्फ़ पार्शियल रिफ़ंड

ट्रेन रद्द होने की घोषणा से पहले ही जिन यात्रियों ने टिकट कैंसिल करा दिया था ऐसे 32 लाख टिकटों पर पार्शियल रिफ़ंड दिया जा रहा है. इन टिकटों पर कैंसिलेशन के वक़्त क्लर्केज़ चार्ज काटा गया है.

टिकट कैंसिलेशन के सामान्य नियम

टिकट के पूरे दाम के तीन हिस्से होते हैं - रेल किराया, कनविनिएंस् फ़ीस और बैंक चार्जेज़. ऑनलाइन टिकट कैंसिलेशन पर रिफ़ंड में एसी क्लास पर 30 रूपए और नॉन एसी क्लास पर 15 रूपए कनवीनिएंस फ़ीस कटती है. ये फ़ीस आईआरसीटीसी लेता है. कनविनियंस फ़ी सिर्फ़ सफल टिकट बुकिंग पर ही ली जाती है. लेकिन कैंसिलेशन में 10 रूपए सर्विस चार्ज या बैंक चार्ज भी अलग से कटता है जो कि बैंक लेता है.

कैंसिलेशन चार्ज उर्फ़ क्लर्केज़ चार्ज ट्रेन रद्द होने पर

कैंसिलेशन के वक्त कोई कैंसिलेशन चार्ज नहीं लिया जाता. लेकिन सामान्यतौर पर ट्रेन रद्द न होने की स्थिति में, ट्रेन छूटने के समय से 48 घंटे से लेकर 6 घंटे पहले तक टिकट कैंसिल कराने पे किराए का 25% क्लर्केज़ चार्ज के नाम पर कट जाता है. 6 घंटे से 2 घंटे पहले तक कैंसिलेशन कराने पर किराए का 50% कट जाता है. जबकि ट्रेन छूटने से 2 घंटे पहले से ट्रेन छूटने के बीच कैंसिलेशन पर रिफ़ंड नहीं मिलता. क्लर्केज़ चार्ज आईआरसीटीसी के खाते में नहीं बल्कि सीधे रेलवे के खाते में जाता है.

कनवीनिएंस फ़ीस कभी वापस नहीं होती

आईआरसीटीसी बुकिंग के वक्त जो सर्विस चार्ज लेता है वो कैंसिलेशन के समय वापस नहीं करता क्योंकि उसके अनुसार बुकिंग की सुविधा वो दे चुका है. यानी टिकट काउंटर पर जा कर कतार में लग कर होने वाली असुविधा से वो पहले ही यात्री को बचा चुका है. इसलिए जो सुविधा यात्री पहले ही ले चुके हैं उसका सर्विस चार्ज वापस नहीं किया जाता.

लॉकडाउन फ़ेज़ 1

सिर्फ़ लॉकडाउन फ़ेज़ 1 के दौरान रद्द यात्राओं के 56,35000 टिकट रिफ़ंड किए जा रहे हैं. इनमें फ़ुल रिफ़ंड और पार्शियल रिफ़ंड शामिल हैं. इनमें 32 लाख पार्शियल रिफ़ंड उनके हैं जिन्होंने ट्रेनों के रद्द होने की घोषणा से पहले ही टिकट कैंसिल कराए थे. एबीपी न्यूज़ से बात करते हुए आईआरसीटीसी के राष्ट्रीय प्रवक्ता सिद्धार्थ सिंह ने कहा कि रिफ़ंड की इस पूरी प्रक्रिया में बहुत सारे संसाधनों और मैन पॉवर का इन्वॉल्व्मेंट भी होता है जिसे ध्यान में रखा जाना चाहिए.

पूरा किराया वापस मिलेगा

दोनों फ़ेज मिलाकर कुल 96 लाख टिकटों में से शेष 64 लाख टिकट ट्रेनों के रद्द होने की घोषणा के बाद कैंसिल हुए हैं लिहाज़ा इन्हें ट्रेन किराए का फ़ुल फ़ेयर वापस किया जा रहा है.

27% टिकट रिज़र्वेशन काउंटर से बुक होते हैं

रेलवे के 73% यात्री टिकट ऑन लाईन बुक होते है जबकि शेष 27% टिकट काउंटर से बुक होते हैं. लॉक डाउन के दोनों फ़ेज़ मिलाकर कुल क़रीब 35 लाख टिकट रिज़र्वेशन काउंटर खुलने पर रिफ़ंड किए जाएँगे. लॉक डाउन से पहले रोज़ क़रीब 3 लाख टिकट रिज़र्वेशन काउंटर से बुक होते रहे हैं. लॉक डाउन के बाद जब इन 35 लाख टिकटों का रिफ़ंड लेने लोग टिकट काउंटर पर आएँगे तब उस भीड़ को सम्भालना भी रेलवे के लिए एक चुनौती होगी.

रद्द ट्रेनों के टिकटों पर कनविनिएंस फ़ीस क्यों ?

आईआरसीटीसी ने कनविनिएंस फ़ीस लिए जाने पर सफ़ाई देते हुए कहा कि यात्री अगर अपने घर से टिकट की लाईन में लगने जाते तो उन्हें 15 या 30 रूपए की कनविनिएंस फ़ीस से ज़्यादा पैसा और समय खर्च करना पड़ता. पेट्रोल/ डीज़ल को छोड़ भी दें तो कनविनिएंस फ़ीस से ज़्यादा तो उन्हें पार्किंग का भी पैसा देना पड़ता. कनविनिएंस फ़ीस लाइन में न लगने देने की एक सर्विस है जो यात्री ले चुका है. इसके एवज़ में अगर उन्हें घर बैठे ऑनलाइन टिकट दिया जा रहा है तो जायज़ कनविनिएंस फ़ीस ही ली जा रही है. क्योंकि कोई टैक्सी या रिक्शा करके टिकट काउंटर आएगा तो उसका अलग पैसा खर्च होगा.

काउंटर से लिए टिकट का नुक़सान

जिन यात्रियों ने लॉकडाउन से पहले टिकट काउंटर से अपने टिकट कैंसिल कराए हैं वो यात्री अगर ये सोचें की उनकी ट्रेन तो आगे चल कर लॉकडाउन के कारण रद्द हो गई इसलिए उन्हें पार्शियल रिफ़ंड मिलना चाहिए तो ऐसा वो नहीं कर पाएंगे क्योंकि उनके टिकट तो काउंटर पर कैंसिलेशन के वक़्त ही टिकट काउंटर में जमा हो गए थे. यानी अब उनके पास यात्री होने का कोई प्रमाण नहीं है. जबकि लॉकडाउन से पहले ऑनलाईन कैंसिलेशन करने वालों को पार्शियल रिफ़ंड दिया जाएगा.

जाने बैंक चार्ज के बारे में ज़रूरी बात

यूपीआई से टिकट कराने पर कोई चार्ज नहीं लगता. नेट बैंकिंग से टिकट कराने पर 10 रूपए बैंक चार्ज लगता है. क्रेडिट कार्ड से टिकट कराने पर कुल अदा की गई राशि का 1% बैंक चार्ज कटता है जबकि डेबिट कार्ड से भी 0.4% बैंक चार्ज कटता है. टिकट कैंसिलेशन पर बैंक चार्ज वापस नहीं होता.

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