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Rahul Gandhi convicted: 2013 में जिस बिल को फाड़ा आज वो होता तो बच जाते राहुल गांधी
कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी को आज सूरत की एक अदालत ने आपराधिक मानहानि के मामले में दोषी करार देते हुए दो साल कैद की सजा सुनाई है.
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Rahul Gandhi convicted: कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी को आज सुरत की एक अदालत ने आज उनको दो साल कैद की सजा सुना दी. उनको यह सजा 2019 में एक चुनावी रैली के दौरान पीएम मोदी को निशाने बनाते समय पूरे मोदी समय को अपमानित करने के लिए की गई. अदालत ने राहुल को सजा सुनाने के बाद तुरंत जमानत भी दे दी. ऐसे में लोकप्रतिनिधित्व कानून के तहत क्या राहुल को अपनी संसद सदस्यता गंवानी पड़ सकती है?
ये वही कानून है जिसके प्रारंभिक ड्राफ्ट को 2013 में कभी राहुल गांधी ने भरी प्रेस कॉन्फ्रेंस में नाकाफी बताते हुए फाड़ दिया था. तब राहुल ने कहा था, इस कानून को और मजबूत किए जाने की जरूरत हैं. बाद में यूपीए-2 सरकार में ही ये बिल कानून बना, कानूनी विशेषज्ञों का कहना है, अगर राहुल उसी बिल को पास हो जाने देते तो आज उनकी संसद सदस्यता पर खतरा नहीं पैदा होता.
क्या है लोकप्रतिनिधित्व कानून?
लोक प्रतिनिधित्व कानून 1951 की धारा 8 (1) और (2) के अनुसार यदि कोई सांसद या विधायक हत्या, बालात्कार, धर्म, भाषा या क्षेत्र के आधार पर शत्रुता पैदा करता है तो उसकी संसद सदस्यता तत्काल प्रभाव से रद्द कर दी जाएगी. साथ ही इसी अधिनियम की धारा 8(3) में प्रावधान है कि दो साल की सजा सुनाए जाने पर ही किसी विधायक या संसद की सदस्यता रद्द की जा सकती है.
इसी कानून के आधार पर यह माना जा रहा है लोकसभा सचिवालय कांग्रेस नेता और सांसद राहुल गांधी की संसद सदस्यता रद्द कर सकता है.
सजा के बाद क्या बोले राहुल गांधी?
सजा मिलने के बाद राहुल गांधी ने प्रतिक्रिया देते हुए कहा, सत्य मेरा भगवान है. उन्होंने कहा, मेरा धर्म सत्य और अहिंसा पर आधारित है, सत्य मेरा भगवान है, अहिंसा उसे पाने का साधन. कोर्ट में राहुल ने कहा, मैंने किसी समुदाय को बदनाम करने के लिए कोई बयान नहीं दिया था. किसी को हानि पहुंचाने का मेरा कोई भी इरादा नहीं था. मेरा उद्देश्य सिर्फ भ्रष्टाचार को उजागर करना था.
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