14 सितंबर से शुरू हो सकता है संसद का मॉनसून सत्र, इतिहास में पहली बार ऐसी होगी बैठने की व्यवस्था
कोरोना काल में संसद का सत्र 14 सितंबर से शुरू होकर 1 अक्टूबर तक चलने की संभावना दिख रही है. राष्ट्रपति की मंजूरी मिलने के बाद औपचारिक एलान कर दिया जाएगा.

दिल्ली: कोरोना काल में संसद सत्र चलने का रास्ता अब साफ होता जा रहा है. एबीपी न्यूज को सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक, संसद का सत्र 14 सितंबर से शुरू होकर 1 अक्टूबर तक चलने की संभावना है. सूत्रों के मुताबिक सरकार ने इस बारे में राष्ट्रपति को सिफारिश भेज दी है. राष्ट्रपति की मंजूरी मिलने के बाद संसद सत्र शुरू करने का औपचारिक एलान कर दिया जाएगा.
सत्र की प्रस्तावित समय सारणी के मुताबिक, संसद सत्र 14 सितंबर यानि सोमवार को शुरू होगा जबकि 1 अक्टूबर यानि गुरुवार को ख़त्म होगा. इस दौरान संसद के दोनों सदनों की 18 बैठकें होने की संभावना है. दोनों सदनों की बैठक रोज़ाना दो अलग-अलग पालियों में करवाएं जाने की संभावना है, जिससे कोरोना के खिलाफ प्रोटोकॉल का पूरी तरह से पालन किया जा सके. लोकसभा की कार्यवाही सुबह चलने की संभावना है जबकि लोकसभा की कार्यवाही खत्म होने के दो घण्टे बाद राज्यसभा की कार्यवाही शुरू हो सकेगी. दोनों सदनों की कार्यवाही के बीच सांसदों के बैठने के स्थान को पूरी तरह सैनिटाइज़ किया जाएगा.
सत्र के दौरान एक रोचक बात देखने को मिल सकती है. एबीपी न्यूज़ को सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक़ समय की कमी को देखते हुए दोनों सदनों की कार्यवाही बिना किसी छुट्टी के चलने की संभावना है. संसद की कार्यवाही चलाने के लिए व्यापक स्तर पर तैयारी की गई है. इस बार के संसद सत्र का नजारा पूरी तरह से बदला हुआ नज़र आएगा, जब एक सदन के सांसद अपने सदन के अलावा दूसरी जगहों पर भी बैठे दिखाई पड़ेंगे.
उदाहरण के लिए, लोकसभा के सांसद लोकसभा के चैंबर के अलावा राज्यसभा के चेंबर और सेंट्रल हॉल में भी बैठे दिखाई पड़ेंगे. ऐसा इसलिए किया जाएगा, जिससे सत्र के दौरान सोशल डिस्टेंसिंग के नियमों का पालन किया जा सके. नई व्यवस्था के चलते प्रधानमंत्री, दोनों सदनों में सदन के नेता और विपक्ष के नेताओं को छोड़कर सभी नेताओं के लिए आरक्षित सीटें बदल दी जाएंगी.
सत्र के दौरान सरकार की प्राथमिकता उन 11 अध्यादेशों को संसद की मंजूरी दिलाना है जो संसद सत्र नहीं चलने के चलते अस्तित्व में आए हैं. संसद का बजट सत्र कोरोना महामारी के चलते अचानक ही खत्म कर देना पड़ा था जिसके चलते सरकार के कई प्रस्तावित बिलों को संसद की मंजूरी नहीं मिल पाई थी. इन बिलों को बाद में अध्यादेश के तौर पर लागू किया गया था. इसके अलावा कोरोना काल में मोदी सरकार ने कृषि और वित्तीय क्षेत्र को लेकर कुछ अध्यादेशों को भी मंजूरी दी थी.
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