एक्सप्लोरर

Pandit Sukhram Passes Away: संचार क्रांति के मसीहा सुखराम के नाम दर्ज है विधानसभा चुनाव में ये रिकॉर्ड, मंडी में है एकछत्र राज

95 वर्ष की आयु में दुनिया छोड़ने वाले पंडित सुखराम की शुरूआत बतौर सरकारी कर्मचारी हुई थी. उन्होंने 1953 में नगर पालिका मंडी में बतौर सचिव अपनी सेवाएं दी. इसके बाद 1962 में मंडी सदर से निर्दलीय चुनाव लड़ा और जीते.

पंडित सुखराम अब ने इस दुनिया को अलविदा कर दिया है. 95 साल का उम्र में उन्होंने सोमवार को दिल्ली के एम्स अस्पताल में अंतिम सांस ली.  95 वर्ष की आयु में दुनिया छोड़ने वाले पंडित सुखराम की शुरूआत बतौर सरकारी कर्मचारी हुई थी. उन्होंने 1953 में नगर पालिका मंडी में बतौर सचिव अपनी सेवाएं दी. इसके बाद 1962 में मंडी सदर से निर्दलीय चुनाव लड़ा और जीते. 1967 में इन्हें कांग्रेस पार्टी का टिकट मिला और फिर से चुनाव जीतकर विधानसभा पहुंचे. इसके बाद पंडित सुखराम ने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा. उन्होंने मंडी सदर विधानसभा क्षेत्र से 13 बार चुनाव लड़ा और जीत हासिल की. पंडित सुखराम ने कभी विधानसभा चुनावों में हार का मुहं नहीं देखा. केंद्र में उनकी जरूरत महसूस होने पर उन्हें लोकसभा का टिकट भी दिया गया. वह लोकसभा का चुनाव भी जीते और केंद्र में विभिन्न मंत्रालयों का कार्यभार संभाला.

कैसा रहा राजनीतिक सफर?

1984 में सुखराम ने कांग्रेस पार्टी के टिकट पर पहला लोकसभा चुनाव लड़ा और प्रचंड बहुमत के साथ संसद पहुंचे. 1989 के लोकसभा चुनावों में उन्हें भाजपा के महेश्वर सिंह से हार का सामना करना पड़ा. 1991 के लोकसभा चुनावों में सुखराम ने महेश्वर सिंह को हराकर फिर से संसद में कदम रखा. 1996 में सुखराम फिर से चुनाव जीतकर लोकसभा पहुंचे. 1998 में पंडित सुखराम पर आय से अधिक संपति मामले को लेकर सीबीआई ने छापे डाले थे. इसके बाद पंडित सुखराम को कांग्रेस पार्टी से निकाल दिया गया. उन्होंने अपनी खुद की पार्टी बनाई, जिसका नाम दिया था ’’हिमाचल विकास कांग्रेस’’. इस पार्टी ने पूरे प्रदेश में विधानसभा का चुनाव लड़ा और पांच सीटों पर जीत हासिल की. 1998 में प्रदेश में गठबंधन की सरकार बनी और पंडित सुखराम की हिविकां ने भाजपा को समर्थन देकर प्रेम कुमार धूमल को पहली बार मुख्यमंत्री बनाने में योगदान दिया.

1998 में ही उनकी पार्टी ने लोकसभा का चुनाव भी लड़ा, जिसमें शिमला सीट पर कर्नल धनीराम शांडिल ने जीत हासिल की थी. पंडित सुखराम ने 2003 में अपना आखिरी विधानसभा का चुनाव लड़ा और फिर 2007 में सक्रिय राजनीति से सन्यास लेेकर अपनी राजनीतिक विरासत अपने बेटे अनिल शर्मा को सौंप दी. वर्ष 2017 के विधानसभा चुनावों के दौरान सुखराम का सारा परिवार भाजपा में शामिल हो गया. कारण बताया गया कांग्रेस पार्टी में हुआ अपमान. हालांकि भाजपा की सदस्यता सिर्फ अनिल शर्मा ने ही ली जबकि बाकी परिवार पार्टी के लिए ऐसे ही काम करता रहा. पंडित सुखराम ने मंडी जिला की कुछ सीटों पर भाजपा प्रत्याशियों के लिए प्रचार भी किया और वोट भी मांगे. मंडी जिला की 10 में से 9 सीटों पर भाजपा को जीत मिली और यहां से कांग्रेस का सफाया हो गया. अनिल शर्मा भारी मतों से जीतकर विधानसभा पहुंचे और उन्हें कैबिनेट मंत्री बनाया गया. 2019 के लोकसभा चुनावों के लिए सुखराम के पोते आश्रय शर्मा ने भाजपा से टिकट के लिए ऐड़ी-चोटी का जोर लगा दिया, लेकिन भाजपा ने मौजूदा सांसद को ही टिकट दिया. इससे खफा होकर पंडित सुखराम दोबारा से अपने पोते संग कांग्रेस में शामिल हो गए.

संचार क्रांति के मसीहा

बतौर लोकसभा सदस्य पंडित सुखराम ने दूर संचार राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) के रूप में अपना आखिरी कार्यकाल देखा. इस दौरान पंडित सुखराम ने प्रदेश सहित देश भर में जो संचार क्रांति लाई आज भी उसका जिक्र होता है. आज लोगों के हाथ में जो मोबाईल फोन है उसे अगर पंडित सुखराम की देन कहा जाए तो शायद गलत नहीं होगा. पंडित सुखराम को एक तरह से संचार क्रांति का मसीहा माना गया. हिमाचल प्रदेश में उन्हें संचार क्रांति के मसीहा के नाम से ही पुकारते हैं. उन्होंने संचार राज्य मंत्री रहते हिमाचल प्रदेश में वो संचार क्रांति ला दी थी जो शायद प्रदेश के भौगोलिक परिस्थितियों को देखते हुए बहुत देर से पहुंचती.

18 चुनाव लड़े, 2 बार हुई हार

पंडित सुखराम ने अपने राजनैतिक जीवन में 18 बार चुनाव लड़े. इनके नाम एक रिकार्ड दर्ज है. यह कभी भी विधानसभा का चुनाव नहीं हारे. मंडी सदर सीट पर इनके परिवार का आज तक एकछत्र राज चल रहा है. यहां से 13 बार खुद चुनाव लड़ा और जीता जबकि बेटा चौथी बार यहां से विधायक चुनकर विधानसभा पहुंचा हैं. सुखराम ने लोकसभा के पांच चुनाव लड़े जिनमें से 2 बार हार हुई. देश या प्रदेश में चाहे किसी भी राजनैतिक दल की लहर चली हो, इनका परिवार कभी विधानसभा का चुनाव नहीं हारा. मौके की नजाकत को भांपना और समय रहते निर्णय लेना पंडित सुखराम की खासियत रही और शायद यही कारण है कि इन्हें राजनीति का चाणक्य कहा गया.

कभी नहीं पहुंच पाए सीएम की कुर्सी तक

पंडित सुखराम हिमाचल प्रदेश के सीएम बनना चाहते थे लेकिन यह संभव नहीं हो सका. इस बात को लेकर उनका हमेशा सीएम वीरभद्र सिंह के साथ 36 का आंकड़ा रहा. पंडित सुखराम की वरिष्ठता को पार्टी ने हमेशा नजरअंदाज किया और इस बात की टीस उनमें हमेशा रही. यही कारण था कि पंडित सुखराम ने अपना एक अगल दल बना दिया था, लेकिन उसके दम पर भी वह सीएम की कुर्सी तक नहीं पहुंच सके.

ये भी पढ़ें: Pandit Sukh Ram Passes Away: पूर्व केंद्रीय संचार मंत्री पंडित सुखराम का निधन, AIIMS में चल रहा था इलाज

और पढ़ें
Sponsored Links by Taboola

टॉप हेडलाइंस

बांग्लादेश हिंसा: उस्मान हादी की हत्या के बाद मीडिया दफ्तरों में भीड़ ने लगाई आग, 27 साल में पहली बार नहीं छपा प्रथम आलो अखबार
बांग्लादेश हिंसा: मीडिया दफ्तरों में भीड़ ने लगाई आग, 27 साल में पहली बार नहीं छपा प्रथम आलो अखबार
CM योगी की जनता दरबार में दो टूक, विदेश भेजने के नाम पर धोखाधड़ी करने वालों पर हो सख्त कार्रवाई
CM योगी की जनता दरबार में दो टूक, विदेश भेजने के नाम पर धोखाधड़ी करने वालों पर हो सख्त कार्रवाई
'टैरिफ अब मेरा 5वां पसंदीदा शब्द...’, ट्रंप ने मजाकिया अंदाज में अमेरिका के लिए कर दिया ये बड़ा ऐलान
'टैरिफ अब मेरा 5वां पसंदीदा शब्द...’, ट्रंप ने मजाकिया अंदाज में कर दिया ये बड़ा ऐलान
'धुरंधर' के डर से पोस्टपोन हुई अगस्त्य नंदा की Ikkis? प्रोड्यूसर ने बताई वजह
'धुरंधर' के डर से पोस्टपोन हुई अगस्त्य नंदा की Ikkis? प्रोड्यूसर ने बताई वजह

वीडियोज

Top News: दोपहर की बड़ी खबरें | PM Modi | Hijab Controversy | Delhi Airport Controversy
West Bengal: क्या उस्मान हादी की हत्या Yunus समर्थकों ने की ?
Nitish Kumar Hijab Controversy: नौकरी ज्वाइन करेंगी डॉक्टर नुसरत परवीन | Patna News
Sarpanch Viral Video: सरपंच बने भालू तो गांव से भाग गए बंदर! | Telangana | Breaking News
Delhi Pollution News: दिल्ली एयरपोर्ट से 129 उड़ाने रद्द | Weather | Pollution Alert | AQI

फोटो गैलरी

Petrol Price Today
₹ 94.72 / litre
New Delhi
Diesel Price Today
₹ 87.62 / litre
New Delhi

Source: IOCL

पर्सनल कार्नर

टॉप आर्टिकल्स
टॉप रील्स
बांग्लादेश हिंसा: उस्मान हादी की हत्या के बाद मीडिया दफ्तरों में भीड़ ने लगाई आग, 27 साल में पहली बार नहीं छपा प्रथम आलो अखबार
बांग्लादेश हिंसा: मीडिया दफ्तरों में भीड़ ने लगाई आग, 27 साल में पहली बार नहीं छपा प्रथम आलो अखबार
CM योगी की जनता दरबार में दो टूक, विदेश भेजने के नाम पर धोखाधड़ी करने वालों पर हो सख्त कार्रवाई
CM योगी की जनता दरबार में दो टूक, विदेश भेजने के नाम पर धोखाधड़ी करने वालों पर हो सख्त कार्रवाई
'टैरिफ अब मेरा 5वां पसंदीदा शब्द...’, ट्रंप ने मजाकिया अंदाज में अमेरिका के लिए कर दिया ये बड़ा ऐलान
'टैरिफ अब मेरा 5वां पसंदीदा शब्द...’, ट्रंप ने मजाकिया अंदाज में कर दिया ये बड़ा ऐलान
'धुरंधर' के डर से पोस्टपोन हुई अगस्त्य नंदा की Ikkis? प्रोड्यूसर ने बताई वजह
'धुरंधर' के डर से पोस्टपोन हुई अगस्त्य नंदा की Ikkis? प्रोड्यूसर ने बताई वजह
सूर्यकुमार यादव के लिए किसी बुरे सपने से कम नहीं रही दक्षिण अफ्रीका टी20 सीरीज, आंकड़े देख सिर पकड़ लेंगे आप
सूर्यकुमार यादव के लिए किसी बुरे सपने से कम नहीं रही दक्षिण अफ्रीका टी20 सीरीज, आंकड़े देख सिर पकड़ लेंगे आप
ओमान में पीएम मोदी का वेलकम देखकर हिल गया मुस्लिम वर्ल्ड? पाक एक्सपर्ट चिढ़कर बोले- भारत को इतनी तवज्जो और पाकिस्तान...
ओमान में पीएम मोदी का वेलकम देखकर हिल गया मुस्लिम वर्ल्ड? पाक एक्सपर्ट चिढ़कर बोले- भारत को इतनी तवज्जो और पाकिस्तान...
अकेले रहना पसंद करने लगा है बच्चा? यह खतरे की घंटी हो सकती है, जानें इसके संकेत
अकेले रहना पसंद करने लगा है बच्चा? यह खतरे की घंटी हो सकती है, जानें इसके संकेत
गांव में कैसे शुरू कर सकते हैं खाद-बीज का बिजनेस, कहां से लेना होता है लाइसेंस?
गांव में कैसे शुरू कर सकते हैं खाद-बीज का बिजनेस, कहां से लेना होता है लाइसेंस?
Embed widget