'किसी को मनमानी 'लक्ष्मण' रेखा खींचने नहीं' अधिकार, Sedition Law को लेकर केंद्रीय कानून मंत्री के बयान पर पी चिदंबरम का पलटवार
Sedition Law: केंद्रीय कानून मंत्री के बयान पर पूर्व वित्त मंत्री और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता पी चिदंबरम ने ट्वीट करके पलटवार किया है.
Sedition Law: सुप्रीम कोर्ट ने राजद्रोह कानून यानी धारा 124ए के खिलाफ लगाई गई याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए बड़ा फैसला सुनाया है. सुप्रीम कोर्ट ने फिलहाल इस कानून को निष्प्रभावी बना दिया है. इस मामले पर केंद्रीय कानून मंत्री किरण रिजिजू ने कार्यपालिका और न्यायपालिका समेत तमाम संस्थानों के लिए 'लक्ष्मण रेखा' की बात कही और कहा कि किसी को इसे पार नहीं करना चाहिए. उन्होंने कहा कि हम एक दूसरे का सम्मान करते हैं. अदालत को सरकार, विधायिका का सम्मान करना चाहिए.
इसी तरह सरकार को भी अदालत का सम्मान करना चाहिए. केंद्रीय कानून मंत्री के इस बयान पर पूर्व वित्त मंत्री और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता पी चिदंबरम ने ट्वीट करके पलटवार किया है. उन्होंने कहा कि केंद्रीय कानून मंत्री के पास कोई भी 'मनमानी लक्ष्मण रेखा' खींचने का कोई अधिकार नहीं है और उन्हें संविधान के अनुच्छेद-13 को पढ़ना चाहिए जो किसी भी पूर्व-संविधान कानून को अमान्य घोषित करने की अनुमति देता है यदि वे संवैधानिक अधिकारों के बारे में नहीं जानते.
The Law Minister of India has no authority to draw any arbitrary Lakshman Rekha
— P. Chidambaram (@PChidambaram_IN) May 12, 2022
He should read Article 13 of the Constitution
The Legislature cannot make a law, nor can a law be allowed to remain on the statute book, that violates the Fundamental Rights
विधायिका कोई कानून नहीं बना सकती
उन्होंने आगे कहा कि विधायिका कोई कानून नहीं बना सकती है, न ही ऐसे किसी कानून को कानून की किताब में रहने दिया जा सकता है, जो मौलिक अधिकारों का उल्लंघन करता है. कई कानूनी विद्वानों के विचार में, देशद्रोह कानून संविधान के अनुच्छेद-19 और 21 का उल्लंघन करता है. पी चिदंबरम ने साथ ही सरकार पर चुटकी लेते हुए कहा कि राजा के सभी घोड़े और राजा के सभी लोग, उस कानून को नहीं बचा सकते.
गौरतलब है कि बुधवार को सुप्रीम कोर्ट ने राजद्रोह कानून यानी धारा 124ए के खिलाफ लगाई गई याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए इस कानून को निष्प्रभावी बना दिया था. साथ ही कोर्ट ने कहा कि इस कानून के तहत नए मुकदमे दर्ज न हों और जो मुकदमे पहले से लंबित हैं, उनमें भी अदालती कार्यवाही रोक दी जाए. सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार का यह अनुरोध मान लिया कि उसे कानून की समीक्षा करने का समय दिया जाए. कोर्ट ने कहा कि जब तक सरकार कानून की समीक्षा नहीं कर लेती, तब तक यह अंतरिम व्यवस्था लागू रहेगी. कोर्ट के इस फैसले का कांग्रेस नेताओं ने स्वागत किया था. साथ ही इसी बहाने मोदी सरकार को भी निशाने पर लिया था.
सत्ता को आईना दिखाना राजद्रोह नहीं हो सकता
कांग्रेस ने इस फैसले को लेकर कहा कि देश की शीर्ष अदालत ने यह संदेश दिया है कि सत्ता को आईना दिखाना राजद्रोह नहीं हो सकता. पार्टी ने ये भी कहा कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश से यह भी साबित हो गया है कि 2019 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस ने राजद्रोह कानून को खत्म करने का जो वादा किया था वह सही रास्ता था.
वहीं कोर्ट के इस फैसले के बाद केंद्रीय कानून मंत्री ने कहा था कि प्रधानमंत्री मोदी की मंशा के बारे में भी कोर्ट को बता दिया है. हम कोर्ट और इसकी स्वतंत्रता का सम्मान करते हैं. लेकिन एक लक्ष्मण रेखा है, जिसका सभी को सम्मान करना चाहिए. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली एनडीए सरकार हमेशा भारत की एकता, अखंडता और संप्रभुता की रक्षा करेगी. हमारी सरकार संविधान में निहित मूल्यों की भी रक्षा करेगी. साथ ही उन्होंने कांग्रेस पर निशाना साधते हुए कहा था कि अगर कोई एक पार्टी है जो स्वतंत्रता, लोकतंत्र और संस्थानों के सम्मान की विरोधी है, तो वह भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस है. यह पार्टी हमेशा भारत को तोड़ने वाली ताकतों के साथ खड़ी रही है और भारत को विभाजित करने का कोई मौका नहीं छोड़ा है.
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