जामिया लाइब्रेरी का नया वीडियो वायरल, यूनिवर्सिटी को-ऑर्डिनेशन कमेटी ने दी सफाई
15 दिसंबर को जामिया में हुई हिंसा का एक नया वीडियो सामने आया है. इसके बाद जामिया को-ऑर्डिनेशन कमेटी ने सपष्ट किया है कि ये वीडियो उनकी तरफ से जारी नहीं किया है.
नई दिल्ली: जामिया मिलिया इस्लामिया में 15 दिसंबर 2019 को हिंसा की घटना में दावे हुए कि लाइब्रेरी के अंदर पुलिस ने घुसकर छात्रों पर बर्बरता की. घटना के दो महीने बाद सोशल मीडिया पर एक वीडियो वायरल हुआ, जिसमें दावा किया गया कि वीडियो जामिया की ओल्ड लाइब्रेरी के अंदर का है. वीडियो में कुछ छात्र लाइब्रेरी के एक कमरे में बैठे दिख रहे हैं, जिसमें पुलिस आती है और छात्रों पर लाठीचार्ज करती है. लेकिन उन छात्रों पर भी सवाल उठ रहा है कि लाइब्रेरी के अंदर पढ़ने वाली जगह पर छात्र मुंह पर कपड़ा ढके और मास्क लगाए क्यों बैठे हैं.
तीन दिन के अंदर जामिया से जुड़ी लगातार तीन नए वीडियो सामने आए हैं. यह वीडियो अलग-अलग सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म से वायरल होना शुरू हुईं. हर वीडियो में दावा किया गया कि वीडियो जामिया कैंपस की और लाइब्रेरी के हैं जिसमें पुलिस लाइब्रेरी के अंदर घुसकर छात्रों पर बर्बरता कर रही है. हालांकि हर वीडियो अलग-अलग चीजें दर्शाती है. वहीं आज चार मिनट 46 सेकेंड एक और नया वीडियो सामने आया. इस वीडियो को भी जामिया लाइब्रेरी का ही बताया जा रहा है.
वायरल वीडियो को लेकर जामिया को-ऑर्डिनेशन कमेटी ने साफ कर दिया कि जो लेटेस्ट वीडियो वायरल हो रहा है वह मखतूब मीडिया ने किया है, जामिया कॉर्डिनेशन कमिटी ने यह वीडियो रिलीज नहीं किया है. यह बात भी स्पष्ट है कि हमारे पास इसकी कोई रॉ-फुटेज नहीं है.
जामिया को-ऑर्डिनेशन के मेंबर और जामिया के छात्र शोएब पाशा ने एबीपी न्यूज़ को बताया, "पुलिस ने लाइब्रेरी और कैंपस में घुसने से पहले टीयर गैस के इतने गोले छोड़े कि वहां खड़ा होना मुश्किल हो गया था. जो छात्र बाहर थे, यहां तक कि जो बटला हाउस तक लोगों ने आंखों में जलन महसूस हो रही थी. जलन की वजह से और सांस लेने की वजह से ज्यादातर छात्रों ने अपने चेहरे पर रुमाल बांध लिया था, पुलिस वाले भी रुमाल बांधे हुए हैं. उन्होंने सवाल किया कि पुलिस वालों ने रुमाल क्यों बांधा हुआ था?"
छात्र शोएब पाशा ने आगे कहा, "कानून व्यवस्था तो कोई अपने हाथ में नहीं ले सकता. पुलिस वालों ने कानून व्यवस्था अपने हाथ में ली है. सवाल दिल्ली पुलिस से यह है कि आपको किसने सा अधिकार दिया है कि आप छात्रों पर डंडे बसाएंगे, आपका अधिकार गिरफ्तार करने का है. पुलिस को इतना अधिकार दिया जा रहा है कि पुलिस छात्रों पर हाथ छोड़ दे रही है. हाथ तोड़ दे रही है. पुलिस जो घायल छात्रों को होली फैमिली से उठाकर थाने ले जाती है वह पुलिस उसे गिरफ्तार करके थाने नहीं ले जा सकती थी."
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