मनोज यादव: वो शख्स जिनके दम पर अखिलेश का 'काम बोलता है'

नई दिल्ली: चुनावी रण में उतरे उत्तर प्रदेश के सीएम अखिलेश यादव का नया नारा 'काम बोलता है' हर तरफ छाया हुआ है. अखिलेश की हर चुनावी सभा में यह गाना जोर शोर से बज रहा है. इस नारे के जरिए अखिलेश दिखाना चाहते हैं कि वो विपक्ष के गुंडाराज और जातिवाद की राजनीति के आरोपों से ऊपर उठ कर बात करते हैं.
अखिलेश यादव का यह 'काम बोलता है' वाला नारा आजमगढ़ के रहने वाले मनोज यादव की कलम से निकला है. मनोज यादव ने ही अपने गानों के जरिए अखिलेश के विकासवादी पुरुष की छवि गढ़ी है. अगर आपको रग रहा है कि मनोज यादव भी अखिलेश के परिवार का ही हिस्सा हैं तो आप गलत है, मनोज यादव एक प्रोफेशनल हैं. यही अखिलेश के लिए चुनावी अभियान के गाने और नारे लिख रहे हैं.
कैसे हुई अखिलेश ये मुलाकात! वॉर रूम में बैठकर अखिलेश की छवि गढ़ने वाले मनोज यादव का अखिलेश के साथ सफर तीन साल पहले शुरू हुआ था. बात साल 2014 की है मनोज मुंबई में थे. उन्होंने वहां से दो लाइन का एक नारा लिख कर भेजा. नारा लोकसभा चुनाव में मुलायम के लिए था. पहली नजर में अखिलेश को जंच गया, फौरन मनोज को मुंबई से लखनऊ बुला लिया तब से अखिलेश मनोज की कलम के कायल हैं.
लोकसभा चुनाव बीता गाय इसके बाद विधानसभा चुनाव का मौसम आया तो मनोज याद आए. अखिलेश की छवि चमकाने का जिम्मा मिला. काम कैसे करना है इस पर खूब चर्चा हुई, सिर्फ अखिलेश के काम पर बात हुई तो मनोज ने 'काम बोलता है' लिखा.
अखिलेश खुद एक-एक लाइन देखते हैं मनोज बताते के मुताबिक अखिलेश खुद एक एक लाइन देखते हैं, उसमें बदलाव भी करवाते हैं. अगर उनके लिए कुछ ज्यादा लिख दिया गया तो हटवा भी देते हैं. अखिलेश को महान बताने वाली लाइने अखिलेश को पसंद नहीं हैं, हर जगह से उन्हें हटवा देते हैं.
अखिलेश ने 30 सेकेंड में लिया सही गलत का फैसला! आज अखिलेश की छवि विकास पुरुष की गढ़ी गई है लेकिन ये बात शायद आपको पता नहीं होगी कि इस छवि के लिए जो कुछ बना उसे पसंद और नपंसद करने में अखिलेश ने तीस सेकेंड से ज्यादा नहीं लगाए. मनोज बताते हैं कि अखिलेश के भीतर भी एक कलाकार छिपा है.
कविता से प्रेम इतना की स्कूल में फेंक की कॉपी मनोज को अखिलेश का काम पसंद आया लेकिन क्या आपको पता है इन्हें अपना काम किस हद तक पसंद था. एक बार की बात है, मनोज जब छोटे थे तब इतिहास की क्लास में कविता लिख रहे थे. टीचर ने कॉपी लेकर फाड़ दी थी तब गुस्से में उन्होंने किताब ब्लैकबोर्ड पर फेंक कर रोते हुए कहा था कि मुझे इतिहास नहीं, कविता पसंद है. आज मनोज यूपी में सियासत का इतिहास बदलने के लिए लिख रहे हैं. मनोज पिछले छह सालों में 100 से ज्यादा गाने और जिंगल लिख चुके हैं.
रईस से लेकर पीकू, अजहर, उंगली जैसी फिल्मों के लिए गाने लिखने वाले मनोज यादव को शोहरत वर्ल्ड कप 2011 के एंथम सॉन्ग से मिली थी. मनोज को दूसरी पार्टियों से भी प्रचार के लिए गाने लिखने के ऑफर आए लेकिन उन्होंने अखिलेश का ही दामन थाम रखा है.
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