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Mahua Moitra Expelled: बीजेपी के किस नेता ने खोल रखा था महुआ के खिलाफ मोर्चा, पढ़ें पूरी कहानी
Mahua Moitra News: महुआ मोइत्रा को संसद के शीतकालीन सत्र के दौरान शुक्रवार को लोकसभा की सदस्यता से निष्कासित कर दिया गया. उन पर पैसे लेकर संसद में सवाल पूछने के आरोप लगे हैं.
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Mahua Moitra Lok Sabha Membership: पैसे लेकर सवाल पूछने के मामले में टीएमसी नेता महुआ मोइत्रा को शुक्रवार (8 दिसंबर) को लोकसभा की सदस्यता से निष्कासित कर दिया गया. संसदीय कार्य मंत्री प्रह्लाद जोशी की ओर से प्रस्ताव पेश किए जाने के बाद करीब आधा घंटे सदन में उस पर चर्चा हुई और फिर उसे ध्वनिमत से मंजूरी दे दी गई.
इससे पहले पिछले 9 नवंबर को बीजेपी सांसद विनोद कुमार सोनकर की अध्यक्षता वाली एथिक्स कमेटी (आचार समिति) ने मोइत्रा को पर लगे आरोपों को देखते हुए उन्हें लोकसभा से निष्कासित करने की सिफारिश वाली रिपोर्ट स्वीकार की थी. जिस मामले को लेकर महुआ मोइत्रा को लोकसभा की सदस्यता से निष्कासित किया गया है, उसकी शुरुआत बीजेपी सांसद निशिकांत दुबे की ओर से लगाए गए आरोपों से हुई थी.
दोनों नेताओं के बीच विवाद की टाइमलाइन से पता चलता है कि महुआ मोइत्रा ने निशिकांत दुबे और दुबे ने मोइत्रा के खिलाफ मोर्चा खोल रखा था. आखिर क्या पूरा मामला आइये जानते हैं.
महुआ मोइत्रा बनाम निशिकांत दुबे विवाद
इसी साल 10 मार्च को महुआ मोइत्रा ने बीजेपी सांसद निशिकांत दुबे पर फर्जी डिग्री का आरोप लगाया था. निशिकांत दुबे ने फरवरी 2021 में संसद में न्यायपालिका पर की गई टिप्पणी पर महुआ मोइत्रा के खिलाफ कार्रवाई करने की मांग की थी. वहीं, 28 जुलाई 2021 को आईटी मंत्रालय से जुड़ी संसद की स्थायी समिति की एक बैठक में निशिकांत दुबे ने आरोप लगाया था कि महुआ मोइत्रा ने उनको 'बिहारी गुंडा' कहा था.
निशिकांत दुबे ने अक्टूबर में महुआ मोइत्रा पर संसद में सवाल पूछने के लिए रिश्वत लेने का सनसनीखेज आरोप लगाया था. उन्होंने 15 अक्टूबर को लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला को पत्र लिखा था. दुबे ने मामले में जांच समिति गठित करने और मोइत्रा को सदन से तत्काल निलंबित करने की मांग की थी.
दुबे ने सुप्रीम कोर्ट के वकील जय अनंत देहाद्राई के एक पत्र के आधार पर आरोप लगाए थे, जो उन्हें प्राप्त हुआ था. दावा किया गया था कि मोइत्रा और रियल एस्टेट समूह हीरानंदानी समूह के सीईओ और कारोबारी दर्शन हीरानंदानी के बीच रिश्वत के आदान-प्रदान के सबूत मिले हैं. हालांकि, महुआ मोइत्रा ने आरोपों को खारिज किया था.
क्या था आरोप?
निशिकांत दुबे ने जय अनंत देहाद्राई के पत्र का हवाला देते हुए आरोप लगाया था कि हाल तक महुआ मोइत्रा की ओर से संसद में पूछे गए 61 में से 50 प्रश्न दर्शन हीरानंदानी और उनके समूह के व्यावसायिक हितों की रक्षा या उन्हें कायम रखने के इरादे से पूछे गए थे. पत्र में आरोप लगाया गया था कि ये सवाल अक्सर हीरानंदानी के प्रतिद्वंद्वी समूह अडानी समूह पर केंद्रित होते हैं और नकदी और उपहारों के बदले में पूछे जाते हैं.
देहाद्राई ने दावा किया था कि मोइत्रा ने पिछले कुछ वर्षों में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह पर जोरदार निशाना साधा है. वह अक्सर अडानी समूह का संदर्भ देती थी ताकि यह धारणा दिखाई दे कि वह सरकार की आलोचना करती हैं लेकिन ऐसा शायद उनके गुप्त आपराधिक ऑपरेशन के खिलाफ कवर पाने के इरादे से किया गया था.
इसी के साथ पत्र में यह भी कहा गया था कि जब 14वीं लोकसभा के दौरान 12 दिसंबर 2005 को भी ऐसा ही मामला सामने आया था तब तत्कालीन अध्यक्ष ने तुरंत 12 दिसंबर 2005 को ही एक जांच समिति गठित कर दी थी और इसके बाद 23 दिसंबर 2005 को 10 सदस्यों को लोकसभा की सदस्यता से निष्कासित कर दिया गया था.
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