कृषि कानूनों पर चार बाद स्थगित हुई लोकसभा की कार्यवाही, कांग्रेस समेत विपक्षी दलों का लगातार तीसरे दिन भी हंगामा
लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने विपक्षी दलों की नारेबाजी पर नाराजगी व्यक्त करते हुए कहा, ‘‘आपके कई नेताओं के महत्वपूर्ण प्रश्न हैं. मैं चाहता हूं कि प्रश्नकाल चले.

कांग्रेस, डीएमके समेत कई विपक्षी दलों के सदस्यों ने लोकसभा में लगातार तीसरे दिन विवादों में घिरे तीन कृषि कानूनों को वापस लेने की मांग को लेकर भारी हंगामा किया जिसके कारण गुरुवार को सदन की कार्यवाही चार बार स्थगित करनी पड़ी. रात 8.30 बजे बैठक शुरू होने पर विपक्षी सदस्यों के शोर-शराबे के बीच ही पीठासीन सभापति मीनाक्षी लेखी ने शून्यकाल चलाया और 9 बजे कार्यवाही पूरे दिन के लिये स्थगित कर दी.
विपक्षी दलों के सदस्यों के हंगामे के कारण निचले सदन में प्रश्नकाल बाधित रहा. हालांकि, रात साढ़े आठ बजे शोर-शराबे में ही सदस्यों ने शून्यकाल में अपने क्षेत्र के एवं महत्वपूर्ण मुद्दे उठाये. इससे पहले शाम 4 बजे कार्यवाही शुरू होने पर कांग्रेस, द्रमुक, वामदलों के सदस्य आसन के समीप आकर कर नारेबाजी करने लगे और कई विपक्षी दल के सदस्य अपने स्थान से ही विरोध दर्ज करा रहे थे.
लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने विपक्षी दलों की नारेबाजी पर नाराजगी व्यक्त करते हुए कहा, ‘‘आपके कई नेताओं के महत्वपूर्ण प्रश्न हैं. मैं चाहता हूं कि प्रश्नकाल चले. जनता ने आपको जिस लिए चुनकर भेजा है उसे देखते हुए आपका यह व्यवहार उचित नहीं है.’’ उन्होंने सदस्यों से कहा कि वे अपनी सीट पर जाएं ताकि सदन सुचारू रूप से चले। उन्होंने कहा कार्यवाही के दौरान नारेबाजी करना और तख्तियां उछालना उचित नहीं है.
हंगामे के बीच ही लोकसभा अध्यक्ष ने कुछ प्रश्न लिये और केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने इनके उत्तर दिये. हंगामे के बीच अध्यक्ष बिरला ने बैठक को शाम पांच बजे तक स्थगित कर दिया. शाम पांच बजे कार्यवाही शुरू होने पर पीठासीन सभापति मीनाक्षी लेखी ने आवश्यक कागजात सभापटल पर रखवाये. लेखी ने सदन को बताया कि केरल के मलप्पुरम से सांसद पी के कुन्हालीकुट्टी ने सदन की सदस्यता से इस्तीफा दिया है और उनका त्यागपत्र लोकसभा अध्यक्ष ने स्वीकार कर लिया है.
विधि एवं न्याय मंत्री रविशंकर प्रसाद ने सदन में माध्यस्थम एवं सुलह संशोधन विधेयक 2021 पेश किया जिसमें संस्थागत मध्यस्थता को बढ़ावा देने में उत्पन्न कठिनाइयों को दूर करने और भारत को अंतरराष्ट्रीय वाणिज्यिक मध्यस्थता के केंद्र के रूप में बढ़ावा देने की बात कही गई है. तीन नये कृषि कानूनों पर कुछ विपक्षी दलों के सदस्यों के शोर-शराबे के बीच केंद्रीय विधि एवं न्याय मंत्री रविशंकर प्रसाद ने सदन में विधेयक पेश किया.
हालांकि बीजू जनता दल के बी महताब ने विधेयक पुरस्थापित किये जाने का विरोध किया. उन्होंने पूछा कि मंत्री बताएं कि विधेयक लाने की इतनी हड़बड़ी क्या है? इस पर रविशंकर प्रसाद ने कहा कि विधेयक को पेश किये जाते समय इस संबंध में सदन के अधिकार पर प्रश्न उठाया जा सकता है, ना कि विधेयक के गुण-दोषों पर. उन्होंने कहा कि महताब ने विधेयक के गुण-दोषों की बात की है, जिस पर वह बाद में विस्तार से अपनी बात रखेंगे.
इस दौरान विपक्षी सदस्यों का शोर-शराबा जारी रहा। विपक्षी सदस्य हाथों में तख्तियां लिये हुए थे और ‘किसान विरोधी कानून वापस लो’ के नारे लगा रहे थे. वे ‘वी वांट जस्टिस’ के नारे भी लगा रहे थे. इस बीच लेखी ने हंगामा कर रहे सदस्यों से सीट पर जाने का आग्रह करते हुए कहा, ‘‘इससे कुछ हासिल होने वाला नहीं है और ऐसा करके हम जनता के बीच उपहास का पात्र बन रहे हैं.’’ लेकिन विपक्षी सदस्य नारेबाजी करते रहे। हंगामा थमता नहीं देख पीठासीन सभपति लेखी ने सदन की कार्यवाही शाम छह बजे तक स्थगित कर दी.
दो बार के स्थगन के बाद शाम छह बजे कार्यवाही शुरू होने पर पीठासीन सभापति राजेंद्र अग्रवाल ने नारेबाजी कर रहे सदस्यों से कहा कि कृपया अपनी सीट पर वापस जाइए और चर्चा आरंभ कराइए. प्रत्येक विषय पर चर्चा आपका अधिकार है. उस अधिकार का उपयोग करिए. हालांकि, सदस्यों का शोर-शराबा जारी रहा। हंगामा थमता नहीं देख अग्रवाल ने सदन की कार्यवाही शाम सात बजे तक के लिये स्थगित कर दी.
सात बजे बैठक शुरू होने पर स्थिति ज्यों की त्यों बनी रही और विपक्षी सदस्य आसन के समीप आकर नारेबाजी करते रहे. पीठासीन सभापति राजेन्द्र अग्रवाल ने सदस्यों से अपने स्थान पर लौटने और राष्ट्रपति के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव पर चर्चा में हिस्सा लेने की अपील की. व्यवस्था बनता नहीं देख अग्रवाल ने सदन की कार्यवाही रात 8.30 बजे तक स्थगित कर दी. साढ़े आठ बजे से नौ बजे तक शोर-शराबे में शून्यकाल संचालित किया गया और बैठक को दिनभर के लिए स्थगित कर दिया गया.
विपक्षी सदस्य पिछले कुछ दिनों से तीन कृषि कानूनों को वापस लेने की मांग और दिल्ली के कई सीमा क्षेत्रों में किसानों के आंदोलन का मुद्दा उठा रहे हैं. कांग्रेस सहित कुछ विपक्षी दलों ने राष्ट्रपति के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव पर चर्चा से पहले सदन में किसानों के मुद्दे पर अलग से चर्चा कराने की मांग की है. हालांकि राज्यसभा में गुरुवार को भी कामकाज सुचारू रूप से चला और सदस्यों ने राष्ट्रपति के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव पर चर्चा में हिस्सा लिया.
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Source: IOCL























