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पालघर हत्याकांड मामले में जूना अखाड़ा के साधु पहुंचे SC, जांच CBI को सौंपने की मांग पर नोटिस जारी
सुप्रीम कोर्ट में दायर याचिकाओं में पुलिस की जांच की विश्वसनीयता पर भी सवाल खड़ा किया गया है. इसके बाद अदालत ने महाराष्ट्र सरकार, डीजीपी, केंद्र सरकार और सीबीआई को नोटिस दिया है.

नई दिल्ली. महाराष्ट्र के पालघर में साधुओं की हत्या के मामले में अब जूना अखाड़ा के साधु और मृतकों के रिश्तेदारों ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है. याचिका में महाराष्ट्र पुलिस की तरफ से की जा रही जांच पर संदेह जताते हुए मामला सीबीआई को सौंपने की मांग की गई है. आज सुप्रीम कोर्ट ने इस मसले पर महाराष्ट्र सरकार से जवाब मांगा. कोर्ट ने आज मुंबई के एक वकील की तरफ से इसी मसले पर दाखिल की गई याचिका पर भी नोटिस जारी किया. इस याचिका में जांच एनआईए को सौंपने की मांग की गई है. बच्चा चोर गिरोह के शक में हुई थी हत्या 16 अप्रैल को 72 साल के संत महाराज कल्पवृक्ष गिरी और 35 साल के सुशील गिरी महाराज अपने गुरु के अंतिम संस्कार में हिस्सा लेने के लिए मुंबई से सूरत जा रहे थे. उनकी गाड़ी ड्राइवर निलेश तेलगडे चला रहा था. मुंबई से 140 किलोमीटर दूर पालघर में उग्र भीड़ ने उनकी गाड़ी को घेर लिया. कहा जाता है कि यह भीड़ इलाके में बच्चा चोर गिरोह के सक्रिय होने की अफवाह के चलते जमा हुई थी. भीड़ ने तीनों को गिरोह का सदस्य समझा और पीट कर मार डाला. घटना का वीडियो सामने आने के बाद देशभर में गुस्से की लहर फैल गई. वीडियो में यह देखा गया कि पुलिस के लोग संत की रक्षा करने की बजाय उन्हें भीड़ के हवाले कर रहे हैं. असहाय बुजुर्ग साधु की इस तरह से हत्या पर लोगों ने तीखा विरोध जताया. महाराष्ट्र सरकार ने घटना की जांच सीआईडी को सौंप दी. लेकिन लोग इससे संतुष्ट नहीं हुए. 'पुलिस की विश्वसनीयता पर भी सवाल' जांच किसी निष्पक्ष एजेंसी से करवाने की मांग पर सुप्रीम कोर्ट पहले भी महाराष्ट्र सरकार से जवाब मांग चुका है. इसी तरह की पीआईएल की सुनवाई बॉम्बे हाई कोर्ट में भी चल रही है, लेकिन अब खुद जूना अखाड़े के साधुओं और मृतकों के रिश्तेदार सामने आए हैं. वरिष्ठ संत स्वामी श्रद्धानंद सरस्वती समेत कुल 10 अन्य लोगों ने याचिका दाखिल की है. उन्होंने कहा है, "पूरी घटना में खुद पुलिस की भूमिका संदिग्ध है. अब जिस तरह से मामले के गवाहों की मौत हो रही है, उससे जांच की विश्वसनीयता पर शक और गहराता जा रहा है. इसलिए राज्य सरकार की एजेंसी से जांच लेकर उसे सीबीआई को सौंप देना चाहिए." सुप्रीम कोर्ट ने फिर दिया नोटिस सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस अशोक भूषण की अध्यक्षता वाली बेंच ने मामले पर नोटिस जारी कर महाराष्ट्र सरकार, राज्य के डीजीपी, केंद्र सरकार और सीबीआई से जवाब मांग लिया. याचिकाकर्ताओं ने कोर्ट से अगली सुनवाई की तारीख जल्द देने की प्रार्थना की, लेकिन कोर्ट ने कहा- मामला जुलाई के दूसरे हफ्ते में सुना जाएगा. तब तक सभी पक्ष अपना जवाब दाखिल कर दें. आज कोर्ट ने मुंबई के रहने वाले वकील घनश्याम उपाध्याय की याचिका पर भी सुनवाई की. इस याचिका में साधुओं की हत्या के पीछे गहरी साजिश होने की आशंका जताई गई है. याचिका में कहा गया है कि पालघर में पिछले कुछ समय में देश विरोधी गतिविधियों में शामिल लोगों की सक्रियता बढ़ी है. ऐसे में मामले की जांच राष्ट्रीय जांच एजेंसी यानी एनआईए से करवाई जानी चाहिए, ताकि अगर कोई साजिश है तो उसकी जड़ तक पहुंचा जा सके. कोर्ट ने इस याचिका को भी सुनवाई के लिए स्वीकार करते हुए नोटिस जारी कर दिया. अब दोनों मामलों की सुनवाई जुलाई में होगी.
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Source: IOCL






















