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New IT Rules 2022: सोशल मीडिया कंपनियों के नियमों में बदलाव की तैयारी में सरकार, उठाएगी ये कदम

केंद्रीय इलेक्ट्रानिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय ने 6 जून को आईटी रूल्स-2021 में संशोधनों का एक मसौदा जनता के सुझावों और टिप्पणियों के लिए जारी किया है. इसके तहत मुख्यतः चार बदलाव किए गए हैं.

New Rules For Social Media: सोशल मीडिया पर विभाजनकारी मुद्दों को लेकर बढ़ते घमासान के बीच केंद्र सरकार (Central Government) ने सूचना प्रौद्योगिकी (Information Technology) कानून के लिए जारी आईटी रूल्स-2021 (IT Rules 2021) में नए संशोधनों का प्रस्ताव रखा है. प्रस्तावित बदलावों के तहत ट्विटर, फेसबुक, गूगल समेत बिग-टैक कंपनियों के लिए जवाबदेही और पारदर्शिता बढ़ाने पर जोर दिया गया है. साथ ही इन कंपनियों के लिए नियमों के अनुपालन के प्रावधान भी सख्त किए जाने हैं.

केंद्रीय इलेक्ट्रानिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय ने 6 जून को आईटी रूल्स-2021 में संशोधनों का एक मसौदा जनता के सुझावों और टिप्पणियों के लिए जारी किया है. इसके तहत मुख्यतः चार बदलाव किए गए हैं. संबंधित पक्षों के लिए इस पर जवाब देने के लिए 30 दिन का समय दिया गया है. ऐसे में अनुमान है कि प्रस्तावित संशोधनों को संसद की मंजूरी के लिए आगामी मानसून सत्र के दौरान पेश किया जा सकता है.

आईटी रूल्स-2021 में प्रस्तावित बदलावों के मुताबिक

1. माध्यम या इंटरमीडियरी के तौर पर काम करने वाली बिग-टेक कंपनियों को नियम 3(1)(a) और 3(1)(b) अपनी जवाबदेही सुनिश्चित करनी होगी. यानी कंपनियों को अपनी वेबसाइट, मोबाइल ऐप्लिकेशन या दोनों पर सेवा नियमों और निजता नीति से जुड़ी जानकारी को उपलब्ध कराना होगा. साथ ही उनका अनुपालन भी सुनिश्चित करना होगा.

साथ ही इंटरमीडियरी को यह भी सुनिश्चित करना होगा कि उसके कंप्यूटर संसाधन सेवाओं का उपयोग करने वाला व्यक्ति किसी भी ऐसी सामग्री को न होस्ट करें, न वितरित करें, न प्रदर्शित करें और न अपलोड करे, न प्रकाशित करें और न शेयर करें, जो

  • किसी दूसरे व्यक्ति की हो और जिस पर यूजर का अधिकार न हो
  • अश्लील, अपमानजनक, बाल यौन शोषण, दूसरे की निजता भंग करने वाली, जाति-वर्ण-जन्म के आधार पर उत्पीड़न करने वाली या मनी लॉन्ड्रिंग के लिए प्रेरित करने वाली, अथवा देश के किसी भी कानून का उल्लंघन करने वाली हो;   
  • बच्चों को नुकसान पहुंचाने वाली हो; 
  • पेटेंट नियमों या कॉपी राइट अधिकारों का उल्लंघन करने वाली हो;
  • किसी लागू कानून का उल्लंघन करती हो;
  • जानबूझकर तथ्यों को छुपाने वाली, भ्रामक और तथ्य की तरह पेश करते हुए तैयार की गई छूठी सामग्री हो;
  • दूसरे व्यक्ति की पहचान चुराने वाली हो;
  • भारत की एकता, अखंडता, रक्षा, सुरक्षा, संप्रभुता को नुकसान पहुंचाने वाली हो. साथ ही भारत के मित्रतापूर्ण विदेश संबंधों को खराब करने वाली, किसी दूसरे देश का अपमान करने वाली, लोक व्यवस्था बिगाड़ने वाली और किसी अपराध की जांच को बाधित करने वाली हो;
  •  कंप्यूटर वायरस को फैलाने वाली सामग्री हो;
  • ऐसी झूठी सामग्री हो जिसे वित्तीय फायदे कमाने के लिए तैयार किया गया हो और जिसमें किसी व्यक्ति या संस्था को ठगने, नुकसान पहुंचाने की मंशा हो;

2. प्रस्तावित बदलावों में इंटरमीडियरी कंपनियों के लिए भारतीय संविधान में प्रदत्त नागरिक अधिकारों का सम्मान करना भी जरूरी होगा. इसके लिए आईटी रूल्स 2021 में 3(1)(m) और 3(1)(n) के तहत जरूरी संशोधन किए गए हैं.

इसका अर्थ होगा कि इंटरमीडियरी कंपनी को अपने प्लेटफार्म पर भारत में  नागरिकों को मिले अभिव्यक्ति की आजादी जैसे मौलिक अधिकारों का सम्मान सुनिश्चित करना होगा. यानी सोशल मीडिया कंपनियां अपनी वैचारिक सुविधा के अनुसार कंटेंट का नियमन नहीं कर सकेंगी. बल्कि उनको इस बारे में जवाबदेही भी निभानी होगी.

3. शिकायतों के निस्तारण के लिए 72 घंटे की व्यवस्था होगी.इंटरमीडियरी कंपनी को किसी भी आपत्तिजनक कंटेंट को हटाने के संबंध में मिली शिकायत के प्राप्त होने पर उसके बारे में प्राथमिक कार्रवाई 72 घंटे के भीतर करनी होगी.साथ ही अन्य किसी शिकायत के संबंध में 15 दिनों के भीतर कार्रवाई करनी होगी.ताकि आपत्तिजनक कंटेंट वायरल न हो सके. साथ ही इंटरमीडियरी को यह भी देखना होगा कि इस शिकायत व्यवस्था का दुरुपयोग न हो जिसमें बेतुकी और झूठे मामलों की शिकायतों का सहारा लिया जा सके.

4. शिकायतों की निराकरण के लिए एक नई अपील कमेटी का गठन किया जाएगा.यह कमेटी ग्रीवांस ऑफिसर के फैसलों के विरुद्ध उपयोगकर्ताओं की शिकायतों का निपटारा करेगी.आईटी एक्ट के सेक्शन 79 के तहत के तहत एक अपील कमेटी बनाने का प्रावधान किया है.साथ ही यह कमेटी 30 दिनों में शिकायत का निस्तारण का प्रावधान किया है.

नए नियमों पर इंटरनेट फ्रीडम फाउंडेशन ने इसे इंटरनेट और सोशल मीडिया पर सरकार के नियंत्रण की कोशिश बताते हुए इसका विरोध किया है.संगठन ने अन्य यूजर्स से भी इसके खिलाफ अपनी टिप्पणियां मसौदा प्रस्ताव पर देने का आग्रह किया है.

क्या बोली साइबर कानूनों की वकील खुशबू जैन?
हालांकि साइबर कानूनों की जानकार और सुप्रीम कोर्ट वकील खुशबू जैन के मुताबिक आईटी नियम 2021 में किए जा रहे बदलाव स्पष्टीकरण की कवायद के तौर पर अधिक नजर आते हैं. इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता कि फरवरी 2021 में इन नियमों के आने के बावजूद बड़ी सोशल मीडिया इंटरमीडियरी उसे ठीक तरीके से लागू नहीं कर रहीं थी. ऐसे बहुत सारे मामले थे जिनमें शिकायतों का निस्तारण सही तरीके से नहीं हो रहा है. क्रियान्वयन की  इन कमियों को दूर करने की कोशिश देखी जा सकती है.

भारतीय संविधान के नियमों को नहीं किया जाए प्रभावित
उनका कहना है कि प्रस्तावित बदलावों के जरिए प्रयास है कि जवाबदेही मानक को इस अनुसार बनाया जाए ताकि नागरिकों को भारत के संविधान में हासिल अधिकारों का उल्लंघन न हो. यह जरूरी है कि बड़ी संख्या में लोग जिन सोशल मीडिया माध्यमों (Social Media Platforms) का इस्तेमाल करते हैं वहां शिकायतों के निपटारे के लिए समानता के प्रावधान हों. वरिष्ठ वकील खुशबू के मुताबिक इसे सोशल मीडिया कंपनियों (Social Media Company) पर सरकारी नियंत्रण की कवायद नहीं कहा जा सकता. बल्कि इसे व्यापक इस्तेमाल के प्लैटफॉर्म में अधिक जवाबदेही, पारदर्शिता और शिकायतों के निपटारे की समान व्यवस्था बनाने की कोशिश के रूप में देखा जाना चाहिए.

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