कबाड़ में पड़ा धूल फांक रहा देश का पहला इलेक्ट्रिक इंजन! भारतीय रेलवे मनाने जा रहा विद्युतीकरण के 100 साल पूरे होना का जश्न
दुनिया भर में कई देशों ने अपनी रेलवे विरासत को संरक्षित करने के लिए कई बड़े कदम उठाए हैं, लेकिन भारतीय रेलवे के ऐतिहासिक विरासत को पुनर्विकास योजनाओं के बीच अनदेखा किया जा रहा है.

Railway Heritage Conservation: भारतीय रेलवे में पुनर्विकास की बयार तो बह रही है, लेकिन साथ ही ऐतिहासिक संरक्षण को भी नजरअंदाज किया जा रहा है. भारत का पहला इलेक्ट्रिक लोकोमोटिव सर लेस्ली विल्सन कई वर्षों से सेंट्रल रेलवे की हेरिटेज गैलरी में संरक्षित है, लेकिन उसी हेरिटेज गैलरी के जगह पर सीएसएमटी स्टेशन का पुनर्विकास अब पूरे जोरों पर है. इसलिए यह ऐतिहासिक इंजन सीमेंट, बजरी, कूड़े-कचरे और मिट्टी में दबा हुआ है. इस इंजन की दुर्दशा यह सवाल खड़ा करती है कि क्या भारत अपनी विरासत और इतिहास को पुनर्विकास की आंधी में खो रहा है?
सर लेस्ली विल्सन, जो भारत का पहला इलेक्ट्रिक इंजन है, कई वर्षों तक मुंबई के सीएसएमटी (छत्रपति शिवाजी महाराज टर्मिनस) की हेरिटेज गैलरी में संरक्षित था. यह इंजन न केवल भारतीय रेलवे के विद्युतीकरण का प्रतीक है, बल्कि तकनीकी नवाचार की एक ऐतिहासिक निशानी भी है.
रेलवे अधिकारियों ने इस मामले में जानकारी दी है कि लोनावाला में ऐतिहासिक चीजों के लिए रेलवे की तरफ से म्यूजियम बनाने के लिए जगह उपलब्ध करवाई गई है, लेकिन उसकी प्रकिया अब तक शुरू नहीं है, उससे पहले स्टेशन पर रेनोवेशन का काम शुरू हो गया. जैसे ही म्यूजियम का काम पूरा होगा. इसे वहां भेजा जाएगा. जानकारी के मुताबिक, इस इंजन को 2018 से यहां csmt स्टेशन पर रखा गया है, लेकिन स्टेशन पर 8 से 9 महीनों से जारी रेनोवेशन के काम के चलते इसकी हालत ऐसी है.
हेरिटेज संरक्षण पर खतरा
भारतीय रेलवे वर्तमान में कई प्रमुख स्टेशनों को आधुनिक और विश्व स्तरीय बनाने के लिए पुनर्विकास परियोजनाएं चला रहा है. सीएसएमटी स्टेशन का पुनर्विकास भी इसी का हिस्सा है. हालांकि, इन परियोजनाओं में ऐतिहासिक स्थलों और वस्तुओं का संरक्षण प्राथमिकता में नहीं दिख रहा.
हेरिटेज गैलरी की स्थापना
18 अप्रैल 2018, को विश्व विरासत दिवस के अवसर पर मध्य रेलवे के तत्कालीन महाप्रबंधक डीके शर्मा ने सीएसएमटी में हेरिटेज कॉरिडोर का उद्घाटन किया था. इसमें राज्य के विभिन्न हिस्सों से एकत्र किए गए रेलवे के ऐतिहासिक अवशेष शामिल किए गए थे.
पहला इलेक्ट्रिक इंजन सर लेस्ली विल्सन, पहली टिकट छपाई मशीन और ऐतिहासिक भाप क्रेन
ये अवशेष रेलवे के गौरवशाली इतिहास का प्रतीक हैं. लेकिन पुनर्विकास के चलते इनमें से कई ऐतिहासिक संरक्षण को भी नजरअंदाज किया जा रहा है.
3 फरवरी: विद्युतीकरण के सौ साल का जश्न
3 फरवरी 2025 को भारतीय रेलवे अपनी विद्युतीकरण यात्रा के सौ साल पूरे कर रहा है. इस अवसर पर सेंट्रल रेलवे ने कई कार्यक्रम आयोजित किए हैं. हालांकि, यह विडंबना है कि जहां रेलवे विद्युतीकरण का जश्न मना रहा है, वहीं सर लेस्ली विल्सन जैसे ऐतिहासिक अवशेषों को अनदेखा किया जा रहा है. बता दें कि सर लेस्ली विल्सन और अन्य ऐतिहासिक वस्तुएं सीएसएमटी में कूड़े और मलबे में दबी हुई हैं. यदि इन अवशेषों को समय रहते संरक्षित कर लिया जाता, तो यह स्थिति नहीं बनती.
भारतीय रेलवे का इतिहास
1853 में पहली ट्रेन के परिचालन से लेकर आधुनिक विद्युतीकरण तक, रेलवे ने भारत के विकास में अहम भूमिका निभाई है. इसके ऐतिहासिक अवशेष हमारे सांस्कृतिक और टेक्नोलॉजिकल डेवलपमेंट की कहानी बयां करती हैं. रेलवे की ऐतिहासिक वस्तुएं पर्यटन और शिक्षा का प्रमुख स्रोत बन सकती हैं.
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