हिंदी आसानी से UN की आधिकारिक भाषा बन सकती है: सुषमा स्वराज
सुषमा स्वराज ने 11वें विश्व हिन्दी सम्मेलन के दौरान उद्घाटन संबोधन में कहा कि संयुक्त राष्ट्र से हिन्दी में सप्ताहिक समाचार बुलेटिन का प्रसारण शुरू किया गया है.

पोर्ट लुई: विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने आज भरोसा जताया कि हिन्दी को संयुक्त राष्ट्र की आधिकारिक भाषा बनाने के लिए 129 देशों का समर्थन जुटाना कोई कठिन काम नहीं है. उन्होंने यह भी कहा कि विदेशों में हिन्दी भाषा को बचाने की जिम्मेदारी भारत ने ली है.
सुषमा स्वराज ने 11वें विश्व हिन्दी सम्मेलन के दौरान उद्घाटन संबोधन में कहा कि संयुक्त राष्ट्र से हिन्दी में सप्ताहिक समाचार बुलेटिन का प्रसारण शुरू किया गया है. यह प्रतिदिन भी प्रसारित हो सकता है लेकिन इसके लिये दो वर्ष तक इसके प्रसारण को देखा जायेगा, रेटिंग तैयार की जायेगी और प्रतिक्रिया अच्छी होगी तब इसका दैनिक प्रसारण भी हो सकता है. उन्होंने कहा, ''अब हम हिन्दी भाषी लोगों की जिम्मेदारी है, इसे बढ़ावा दें.'' उल्लेखनीय है कि अभी यह हिन्दी समाचार बुलेटिन प्रत्येक शुक्रवार को प्रसारित हो रहा है.
विदेश मंत्री ने कहा कि हिन्दी में संयुक्त राष्ट्र में ट्विटर अकाउंट भी खोला गया है. इसके साथ ही वेबसाइट पर प्रमुख दस्तावेज हिन्दी में डाल दिये गए हैं. उन्होंने बताया कि विश्व हिन्दी सचिवालय का स्थायी भवन बनकर तैयार हो गया है और राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद इसका उद्घाटन कर चुके हैं. इसमें एक स्थायी अधिकारी को नियुक्त किया जा चुका है.
भाषा और संस्कृति एक-दूसरे से जुड़ी हैं. ऐसे में जब भाषा लुप्त होने लगती है तब संस्कृति के लोप का बीज उसी समय रख दिया जाता है. उन्होंने कहा कि जरूरत है कि भाषा को बचाया जाए. उसे आगे बढ़ाया जाए. साथ ही भाषा की शुद्धता को बचाये रखा जाए.
विदेश मंत्री ने कहा कि हिन्दी भाषा को बचाने, बढ़ाने और उसके संवर्द्धन के बारे में कई देशों में चिंताएं सामने आई. ''ऐसे में इन देशों में लुप्त हो रही इस भाषा (हिन्दी) को बचाने की जिम्मेदारी भारत की है.''
उन्होंने कहा कि इस बार विश्व हिन्दी सम्मेलन का शुभंकर ‘मोर के साथ डोडो’ है. पिछली बार मोर था, इस बार इसमें डोडो को भी जोड़ दिया गया है. डोडो (विदेशों में) लुप्त होती हिन्दी का प्रतीक है और भारत का मोर आयेगा और उसे बचायेगा. संरा में हिन्दी को आधिकारिक भाषा की मान्यता दिलाने की चर्चा करते हुए सुषमा ने कहा कि इसमें कुछ बाधाएं हैं.
उन्होंने कहा कि संयुक्त राष्ट्र की आधिकारिक भाषा के रूप में मान्यता प्रदान करने के लिए प्रस्ताव को दो तिहाई बहुमत से पारित करने के साथ समर्थन करने वाले सभी सदस्य देशों को इस पर होने वाले खर्च के लिए अंशदान करना होता है.
उन्होंने कहा, ''हिन्दी को आधिकारिक भाषा का दर्जा दिलाने के संदर्भ में संयुक्त राष्ट्र में 129 देशों का समर्थन जुटाना कठिन काम नहीं है. हमने योग दिवस को मान्यता दिलाने में 177 देशों का समर्थन जुटाया है.''
विदेश मंत्री ने कहा, ''लेकिन आधिकारिक भाषा के संदर्भ में सदस्य देशों को वोट से समर्थन देने के साथ आर्थिक खर्च भी साझा करना पड़ता है. अगर इसका पूरा खर्च भी हमें देना पड़े, तब भी हम इसके लिए तैयार हैं.''
उन्होंने कहा, ''मैंने संसद में भी कहा था कि 40 करोड़ रूपये तो क्या 400 करोड़ रूपये खर्च आएगा, तो देने को तैयार हैं. लेकिन संयुक्त राष्ट्र का नियम है कि समर्थन करने वाले देशों को ही व्यय बांटना होता है.'' सुषमा स्वराज ने कहा कि यही स्थिति जर्मनी और जापान के समक्ष भी है. ये दोनों देश भी अपनी भाषा को इस विश्व निकाय की आधिकारिक भाषा बनाना चाहते हैं, लेकिन उनके समक्ष भी यही बाधा आ रही है.
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Source: IOCL























