किसानों ने साथ बैठक में सरकार ने कहा- कृषि कानून वापस नहीं ले सकते, NIA की कार्रवाई पर संज्ञान लेने की बात कही
सूत्रों के मुताबिक, दसवें दौर की बातचीत में सरकार ने किसान संगठनों से कहा है कि वो कृषि कानूनों को वापस नहीं ले सकते क्योंकि देश के ज्यादातर किसान इसके पक्ष में हैं. वहीं किसान नेताओं ने एक बार फिर कानून को वापस लेने की अपनी मांग को दोहराया.
नई दिल्ली: सरकार और किसानों संगठनों के बीच दसवें दौर की बैठक दिल्ली के विज्ञान भवन में जारी है. किसान अपनी मांग पर अड़े हैं कि तीनों कृषि कानून रद्द किए जाएं. वहीं सूत्रों के मुताबिक, सरकार ने कहा कि वे कानून वापस नहीं ले सकते क्योंकि देश का ज्यादातर हिस्सा इसके पक्ष में है. वहीं किसान नेताओं ने कानून वापस लेने की मांग दुहराई. सूत्रों के मुताबिक, किसान नेताओं ने एनआईए की कार्वाई और शिमला में कुछ किसान नेताओं की गिरफ्तारी का मुद्दा भी उठाया. इस पर सरकार ने संज्ञान लेने का भरोसा दिया.
बैठक में शामिल होने विज्ञान भवन पहुंचे भारतीय किसान यूनियन के प्रवक्ता राकेश टिकैत ने आज कहा, "हम बैठक और आंदोलन भी करेंगे. किसान यहां से वापस नहीं जाएगा. जब तक एमएसपी पर कानून, तीन कानूनों की वापसी और स्वामीनाथन कमेटी की रिपोर्ट को लागू नहीं करेंगे."
केंद्रीय कृषि मंत्री नरेन्द्र सिंह तोमर, रेल, वाणिज्य और खाद्य मंत्री पीयूष गोयल और केंद्रीय वाणिज्य राज्य मंत्री सोमप्रकाश लगभग 40 किसान संगठनों के प्रतिनिधियों के साथ यहां विज्ञान भवन में वार्ता कर रहे हैं. दसवें दौर की बातचीत 19 जनवरी को होनी थी लेकिन यह स्थगित कर दी गई थी. केंद्र सरकार और प्रदर्शन कर रहे किसान संगठनों के प्रतिनिधियों के बीच नौ दौर की वार्ता में मुद्दे को सुलझाने की कोशिश बेनतीजा रही थी. सरकार ने पिछली बातचीत में किसान संगठनों से अनौपचारिक समूह बनाकर अपनी मांगों के बारे में सरकार को एक मसौदा प्रस्तुत करने को कहा था. हालांकि, किसान संगठन तीनों कृषि कानूनों को निरस्त करने की अपनी मांग पर अड़े रहे.
बता दें कि सरकार और किसान संगठनों के बीच चल रही बातचीत के बीच सुप्रीम कोर्ट ने 11 जनवरी को गतिरोध खत्म करने के लिए चार सदस्यीय समिति का गठन किया था. लेकिन प्रदर्शनकारी किसानों ने नियुक्त सदस्यों द्वारा पूर्व में कृषि कानूनों को लेकर रखी गई राय पर सवाल उठाए. इसके बाद एक सदस्य भूपिंदर सिंह मान ने खुद को इस समिति से अलग कर लिया. दिल्ली के अलग-अलग बॉर्डर पर हजारों की संख्या में किसान पिछले 56 दिनों से नए कृषि कानूनों के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे हैं. प्रदर्शनकारी किसानों का आरोप है कि इन कानूनों से मंडी व्यवस्था और न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर खरीद की प्रणाली समाप्त हो जाएगी और किसानों को बड़े उद्योग घरानों की कृपा पर रहना पड़ेगा. हालांकि, सरकार इन आशंकाओं को खारिज कर चुकी है.
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