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सरहद पर सेना-सुरक्षा एजेंसियों के लिए बड़ा सिरदर्द साबित हो रही आतंक की ड्रोन- डिलीवरी

पकिस्तान की तरफ से ड्रोन के जरिए हथियार और नारकोटिक्स भारत में धकेलने का तरीका इन दिनों सेना और सुरक्षा एजेंसियों के लिए सिरदर्द बन रहा है.

नई दिल्ली: जम्मू कश्मीर के अखनूर इलाके में एक नीले रंग की थर्मोकोल पैकिंग में रखा पार्सल सुरक्षा बलों ने बरामद किया है. यह पार्सल आतंकियों को हथियारों की रसद के तौर पर पहुंचाया गया है जिसमें दो AK47 रायफल, एक पिस्टल, तीन मैगज़ीन और 90 राउंड गोलियां शामिल हैं. यह पैकेज किसी इंसानी घुसपैठिये के साथ नहीं बल्कि आसमान के रास्ते ड्रोन के जरिए भेजा गया है.

जम्मू-कश्मीर पुलिस के सीनियर सुप्रिंटेंडेंट श्रीधर पाटिल के मुताबिक आतंकियों को हथियार पहुंचाने के इस प्रयास को नाकाम किया गया. ड्रोन के जरिए सीमा पार हथियारों की खेप पहुंचाना सीमावर्ती इलाकों में एक नया ट्रेंड बन गया है.

जाहिर है पकिस्तान की तरफ से ड्रोन के जरिए हथियार और नारकोटिक्स भारत में धकेलने का यह तरीका इन दिनों सेना और सुरक्षा एजेंसियों के लिए सिरदर्द बन रहा है. बीते तीन महीनों में ही ऐसे आधा दर्जन से अधिक मामले समने आ चुके हैं. वहीं इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता कि ऐसी कई ड्रोन पार्सल डिलीवरी सुरक्षा एजेंसियों की पकड़े में आने से पहले ही निकल गई होंगी.

सरहद पर सेना-सुरक्षा एजेंसियों के लिए बड़ा सिरदर्द साबित हो रही आतंक की ड्रोन- डिलीवरी

इसके मद्देनजर सेना की उत्तरी कमान ने अपने सभी फॉर्मेशन्स को सीमा के करीब उड़ती किसी भी आनजान वस्तु को लेकर खास सतर्कता बरतने और उसे फौरन मार गिराने का आदेश दिया है. श्रीनगर स्थित 15वीं कोर के प्रमुख ले.जनरल बीएस राजू ने बीते दिनों कहा था कि कश्मीर घाटी में आतंकी हथियारों की किल्लत से जूझ रहे हैं. इसके लिए ही वो सीमापार से मदद हासिल करने को बेताब हैं. हथियारों की ड्रोन डिलीवरी के मद्देनजर नियंत्रण रेखा पर सेना की सभी यूनिट्स को पाक प्रायोजित आतंकवाद के इस नए आयाम को लेकर आगाह किया गया है. साथ ही LoC पार करने वाले किसी भी ड्रोन को मार गिराने के ऑर्डर हैं.

अखनूर इलाके में हुई हथियार बरामदगी एक हफ्ते के भीतर सामने आया ड्रोन के जरिए डिलीवरी का दूसरा मामला है. गत 19 सितंबर को जम्मू कश्मीर के पुलिस महानिदेशक दिलबाग सिंह ने लश्कर-ए-तैयबा के तीन आतंकियों की गिरफ्तारी का ऐलान करते हुए कहा था कि नियंत्रण रेखा से करीब पाकिस्तानी ड्रोन के जरिए हथियारों की खेप हासिल करने के बाद इन्हें राजौरी जिले से गिरफ्तार किया गया. इनके पास से दो AK56 राइफल, दो पिस्टल, 4 ग्रेनेड और 1 लाख रुपए की भारतीय करेंसी बरामद हुई थी.

जम्मू-कश्मीर पुलिस प्रमुख ने माना भी कि ड्रोन के जरिए सीमापार से हो रही हथियार डिलीवरी एक बड़ी चुनौती है. क्योंकि कम ऊंचाई पर उड़ने वाले यह ड्रोन क़ई बार नियंत्रण रेखा पर सेना और सुरक्षा बलों की तैनाती के बीच गुंजाइश का गलियारा तलाश अपने काम को अंजाम देकर फरार हो जाते हैं.

इस कड़ी में एक अहम हथियार बरामदगी गत 8 सितंबर की भी है जिसमें कुलगाम इलाके में जवाहर टनल के करीब एक ट्रक से भारी गोला-बारूद पकड़ा गया था. इसमें एक एम4 अमेरिकी कार्बाइन, एक AK47 रायफल, 6 चीनी पिस्टल समेत अन्य असलहा शामिल था जिसे ट्रक ड्राइवर ने ड्रोन डिलीवरी के जरिए हासिल किया था.

बीते कुछ महीनों के दौरान बढ़ी चौकसी के चलते ड्रोन डिलीवरी को धर दबोचने के क़ई मामलों में भी सेना और सुरक्षा बलों को कामयाबी मिली है. सुरक्षा बलों ने 20 जून को एक पाकिस्तानी ड्रोन को मार गिराया था. इसके अलावा जासूसी के लिए उड़ाए गए क़ई क्वाडकोप्टर भी सेना और बीएसएफ ने सीमा के करीब मार गिराए गए.

जून के महीने में अंतरराष्ट्रीय सीमा के करीब हीरानगर सेक्टर में मार गिराए गए पाकिस्तानी ड्रोन के साथ एक एम4 कार्बाइन, 7 चाइनीज ग्रेनेड, दो मैगजीन(60 राउंड) बरामद किए गए थे. इस बरामदगी के बाद उम्मीद की जा रही थी कि मार गिराया गया ड्रोन अपने ऑपरेटर के बारे में कुछ जानकारियां उगलेगा. लेकिन महीनों के मशक्कत के बावजूद 6 पंखों वाले इस ड्रोन से न तो कोई इलैक्ट्रॉनिक निशानदेही हासिल हो पाई और न ही कोई खास जानकारी.

इस मामले की तफ्तीश से जुड़े सूत्रों के मुताबिक कठुआ इलाके में मार गिराए गए इस ड्रोन से सूचनाएं हासिल करने की कोशिशों में कोई खास कामयाबी नहीं मिल सकी. ड्रोन के इलेक्ट्रॉनिक सर्किट से न तो कोई जीपीएस जानकारी मिल पाई और न ही इसमें कोई कैमरा था. बैटरियों से केवल इतना पता लग पाया कि यह ड्रोन मार गिराए जाने से पहले 30 घंटे की उड़ान कर चुका था.

कोनियन जैसे मोबाइल ऐप का भी हो रहा इस्तेमाल खुफिया सूत्रों के मुताबिक पंजाब और फिर जम्मू-कश्मीर को जोड़ने वाले राजमार्ग के रास्ते से लगे सीमावर्ती इलाके में एक बड़ा क्षेत्र ऐसा है जहां अंतरराष्ट्रीय सीमा सड़क के करीब है. इस इलाके में कई नाले भी हैं जहां रास्ते से नीचे उतरकर आसानी से पहुंचा जा सकता है. रात के अंधेरे में इन्ही इलाकों का इस्तेमाल ड्रोन डिलिवरी के लिए किया जाता है. अब तक हुई बरामदगियों में पाई गई पैराशूट डोरियां बताती हैं कि ड्रोन हथियारों के पैकेट को गिराकर वापस लौट जाते हैं.

सैन्य सूत्रों के मुताबिक बीते दिनों कुलगाम से पकड़े गए ट्रक ड्राइवर और उसके सहयोगियों की पूछताछ में कोनियन जैसे ऐप के इस्तेमाल की बात भी सामने आई है. सूत्रों के मुताबिक बिना सिम कार्ड के केवल इंटरनेट के सहारे काम करने वाले इस डार्कनेट एप्लीकेशन के जरिए डिलिवरी हासिल करने वाला शख्स अपनी लोकेशन सीमा-पार भेजता है. इसके बाद कुछ ही मिनटों में सीमा-पार के सरहदी इलाकों से उड़ान भरने वाले ड्रोन हथियारों की डिलिवरी करने पहुंच जाते हैं. पार्सल को ड्रॉप करने के बाद ड्रोन वापस चला जाता है. वहीं डिलिवरी लेने वाला शख्स जम्मू-श्रीनगर हाइवे पर होने वाली वाहनों की भारी-आवाजाही के बीच निकल भागता है. इतना ही नहीं सर्दियों के समय धुंध का सहारा लेकर भी यह छोटे उड़नखटोले अपनी कारगुजारियों को अंजाम दे जाते हैं.

मामला केवल हथियारों की डिलिवरी का ही नहीं है. बीते कुछ सालों में गुजरात, से लेकर पंजाब और जम्मू-कश्मीर के सीमावर्ती इलाकों में ड्रोन के सहारे हथियार और नशीली दवाएं भेजे जाने का गोरखधंधा बढ़ रहा है. कई तकनीकी कारणों के चलते बीएसएफ, सेना और वायुसेना की पारंपरिक क्षमताएं इस बीमारी की नकेल कसने में मुश्किल महसूस कर रही हैं. धीमी रफ्तार, निचली उड़ान और महज कुछ देर के इस मिशन के कारण सीमा पर लगे रडार औऱ टैक्टिकल एयर डिफेंस सिस्टम इन शातिर उड़नखटोलों को मार गिराने में सफल नहीं होते. इसके चलते सेना, वायुसेना और सुरक्षा एजेंसियों ने सीमावर्ती इलाकों में इलैक्ट्रॉनिक सर्विलेंस बढ़ाया है. साथ ही सूचना से लेकर संत्री के इंसानी नेटवर्क को भी इन छोटे घुसपैठियों के खिलाफ मजूबत किया जा रहा है.

ड्रोन के जरिए आतंकी हमले का भी है खतरा कुछ माह पहले सऊदी अरब के अरामको तेल रिफायनरी पर टिड्डीदल की तरह आए ड्रोन से हुए हमले ने भारत में भी सुरक्षा एजेंसियों के लिए ऐसे किसी खतरे को लेकर चुनौती बढ़ा दी है.

बीते दिनों बीएसएफ की खुफिया विंग ने इस बारे में भेजी अपनी रिपोर्ट में आगाह किया था कि आतंकी सेना और सुरक्षा बलों के ठिकानों को निशाना बनाने के लिए ड्रोन का भी इस्तेमाल कर सकते हैं.

नया ड्रोन किल सिस्टम हासिल करने में जुटी सेना बहरहाल, स्टेट और नॉन स्टेट एक्टर्स के हाथों में मौजूद ड्रोन के खतरों से निपटने के लिए सेना इन शैतानी उड़नखटोलों के खिलाफ कारगर हथियार तलाशने में भी जुटी है. सेना इसके लिए नए और प्रभावी ड्रोन किलर सिस्टम हासिल कर रही है जिनके सहारे इन मानवरहित घुसपैठियों को हवा में ही मार गिराया जाए.

सैन्य सूत्रों के मुताबिक भारतीय सेना ने एक नए ड्रोन किल सिस्टम परियोजना पर काम कर रही है जो 4 किमी के दायरे और 4500 मीटर की उंचाई पर उड़ने वाले किसी भी मानव रहित विमान को मार गिराने में सक्षम होगा. सेना की तैयारी स्वदेशी तकनीक से ऐसे ड्रोन किल सिस्टम तैनात करने की है जो 6 किमी के दायरे में किसी भी ड्रोन की जानकारी ग्राउंड कंट्रोल सिस्टम को देगा. साथ ही 4 किमी के दायरे में आने वाले ड्रोन को मार गिरा सकेगा.

आधिकारिक जानकारी के मुताबिक सेना 200 किमी प्रतिघंटा की रफ्तार से वार करने में सक्षम और 350 किमी प्रति घंटा की गति से डाइव लगा सकने वाला ड्रोन किलर चाहती है. फिलहाल सेना की योजना 50-60 ड्रोन किल सिस्टम हासिल करने की है जो समुद्र तल से 4500 मीटर ऊंचे सरहदी इलाकों में भी आसानी से तैनात किए जा सकें. योजना के मुताबिक सेना अपने डिजाइन ब्यूरो और देसी रक्षा उत्पादकों की मदद से इस प्रणाली को हासिल करने में जुटी है.

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