जानें- क्या है सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट, सोनिया गांधी ने पत्र लिखकर पीएम से की है रोक लगाने की मांग
सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट के तहत नया त्रिकोणीय संसद भवन, कॉमन केंद्रीय सचिवालय और तीन किलोमीटर लंबे राजपथ को रीडेवलप किया जाएगा.

नई दिल्लीः कांग्रेस की कार्यकारी अध्यक्ष सोनिया गांधी ने कोरोना वायरस से लड़ने को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को अपना सुझाव दिया है. पत्र लिखकर सोनिया गांधी ने पीएम मोदी का ध्यान कई मुद्दों पर आकर्षित कराया है. अपने पत्र में सोनिया गांधी ने पीएम से आग्रह किया है कि कोरोना संकट को देखते हुए सरकारी खर्च में 30 फीसदी की कटौती और 'सेंट्रल विस्टा' परियोजना को स्थगित किया जाए.
पत्र लिखकर सोनिया गांधी ने यह भी सुझाव दिया कि राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, मंत्रियों और नौकरशाहों के विदेश दौरों को स्थगित करने की जरूरत है. इस पत्र में उन्होंने लिखा कि सरकारी विज्ञापनों पर भी रोक लगाने की जरुरत है.
सोनिया गांधी ने अपने पत्र में सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट परियोजना को स्थगित करने की मांग की है. ऐसे में लोगों के मन में यह सवाल उठने लगा है कि आखिर क्या है यह प्रोजेक्ट? आज हम आपको इस प्रोजेक्ट के बारे में बताते हैं.
'पीएम आवास के पास होगा पीएमओ'
नए संसद भवन का निर्माण जिस जमीन पर किया जा रहा है यह पार्क बनाने के लिए छोड़ा गया था. अब 9.5 एकड़ इस जमीन पर संसद भवन का निर्माण किया जाएगा. इस प्रोजेक्ट को सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट कहा जाता है. इस प्रोजेक्ट को तैयार होने के बाद इसे सत्ता का नया गलियारा कहा जा रहा है.
इस प्रोजेक्ट के तहत प्रधानमंत्री आवास और पीएमओ को साउथ ब्लॉक के पास शिफ्ट किया जा सकता है. इसके साथ ही उपराष्ट्रपति का नया घर नॉर्थ ब्लॉक के आसपास हो सकता है.
इसके अलावा यह भी बताया जा रहा है कि पीएम आवास और कार्यालय दोनों काफी करीब होगा. सेंट्रल विस्टा रीडेवलेपमेंट प्रोजेक्ट के तहत उपराष्ट्रपति आवास समेत लुटियंस दिल्ली की कई बिल्डिंग को तोड़ा जाएगा.
'राजपथ को किया जाएगा रीडेवलप'
सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट के तहत नया त्रिकोणीय संसद भवन, कॉमन केंद्रीय सचिवालय और तीन किलोमीटर लंबे राजपथ को रीडेवलप किया जाएगा. नए संसद भवन में 900 से 1,200 सांसदों की बैठने की क्षमता विकसित की जाएगी.
इस प्रोजेक्ट के तहत उपराष्ट्रपति के आवास को नॉर्थ ब्लॉक और प्रधानमंत्री के आवास को साउथ ब्लॉक के करीब शिफ्ट किया जा सकता है. ऐसा करने से ट्रैफिक स्मूथ हो सकता है. बता दें कि वीवीआईपी मूवमेंट के कारण से अक्सर लुटियंस में लोगों को दिक्कत होती है.
'निर्माण करने वाली कंपनी को होगा 229.75 करोड़ का भुगतान'
इस प्रोजेक्ट के तहत निर्माण करने वाली कंपनी को 229.75 करोड़ का भुगतान किया जाएगा. फर्म की जिम्मेदारी प्रोजेक्ट का मास्टर परियोजना तैयार करने की होगी, जिसमें डिजाइन, लागत अनुमान, लैंडस्केप और ट्रैफिक इंटीग्रेशन प्लान और पार्किंग की सुविधा शामिल है.
इस प्रोजेक्ट के कारण नेशनल म्यूजियम और इंदिरा गांधी नेशनल सेंटर ऑफ आर्ट को भी यहां से हटाना पड़ेगा. इस प्रक्रिया की जद में जनपथ, मान सिंह रोड और विजय चौक के आसपास के बहुत से सांस्कृतिक इमारत भी आ सकते हैं.
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