सुंदरकांड के बहाने बीजेपी की राम भक्ति के मुकाबले में टीम केजरीवाल की हनुमान भक्ति
ग्रेटर कैलाश से विधायक सौरभ भारद्वाज ने आज सुंदरकांड का पाठ कराया. दिल्ली के उप-मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया भी आने वाले दिनों में सुंदरकांड का पाठ करवाएंगे.

नई दिल्ली: दिल्ली में जीत के बाद भी आम आदमी पार्टी (AAP) हनुमान भक्त बने रहने के मूड में है. सीएम अरविंद केजरीवाल के सामने भी इस पर चर्चा हो चुकी है. सरकार बनने के बाद पहले मंगलवार को सौरभ भारद्वाज ने सुंदरकांड का पाठ करवाया. वे दिल्ली के पॉश इलाक़ा ग्रेटर कैलाश से विधायक हैं. मंगल के दिन उन्होंने शिव मंदिर में सुंदरकांड का पाठ करवाया. उन्होंने कहा कि बजरंगबली का पूजा पाठ होता रहेगा. तय हुआ है कि हर महीने के पहले मंगलवार को सुंदरकांड का पाठ होगा. शाहीन बाग का समर्थन देने वाले बयान से पार्टी को नुक़सान हुआ. ये कहने वाले सौरभ भारद्वाज आम आदमीं पार्टी के पहले नेता हैं. मनीष सिसोदिया का ज़िक्र करते हुए उन्होंने ये बात कही थी. पटपड़गंज से बीजेपी के उम्मीदवार के मुक़ाबले मनीष बड़ी मुश्किल से जीत पाए थे.
दिल्ली के डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया ने कहा का मैं शाहीन बाग के लोगों के साथ हूं. उनके इस बयान के बाद आम आदमी पार्टी के लोगों को अपनी लाईन बदलनी पड़ी थी. अरविंद केजरीवाल ने शाहीन बाग पर बोलने से अपने नेताओं के मना कर दिया था. एक कहावत है- दूध का जला छॉंछ भी फूंक फूंक कर पीता है. तो केजरीवाल और उनकी पार्टी के नेता अब सॉफ़्ट हिंदुत्व से हटना नहीं चाहते हैं. पता चला है कि मनीष सिसोदिया भी अपने इलाक़े में हनुमान चालीसा और सुंदरकांड का पाठ करवाने की तैयारी में हैं. ये वही मनीष सिसोदिया हैं, जिनके बारे में कहा जाता है कि उन्होंने शिक्षा के क्षेत्र में बढ़िया काम किया है. लेकिन हनुमान की भक्ति अब राजनीतिक मजबूरी बन गई है. खबर मिली है कि आम आदमी पार्टी के कुछ और विधायक इसी राह पर हैं. वे भी बजरंगबली की भक्ति दिखाना और बताना चाहते हैं.
आपको बता दें कि दिल्ली के चुनाव में हनुमान की एंट्री किसी और ने नहीं अरविंद केजरीवाल ने कराई थी. किसी ने उनसे बस इतना पूछा था कि हनुमान चालीसा आती है क्या ? तो केजरीवाल हनुमान चालीसा गाने लगे. बजरंगबली के मंदिर जाने लगे. बीजेपी वालों ने फिर असली और नक़ली हनुमान भक्त की बहस छेड़ दी.
लेकिन एक सवाल तो बनता है. काम की राजनीति करने वाले आख़िर हनुमान की राजनीति में कैसे फंस गए. तय तो अरविंद केजरीवाल को ही करना है कि काम के नाम पर उन्हें वोट मिला. या फिर हनुमान के नाम पर. वे तो काम की राजनीति के फ़ॉर्मूले का ढिंढोरा देश भर में पीटना चाहते हैं. तो फिर बजरंगबली जी की भक्ति और उससे मिलने वाली शक्ति का प्रदर्शन क्यों ? केजरीवाल और उनकी टीम तो राजनीति बदलने के लिए राजनीति में आए थे. अब वही बीजेपी की राजनीति करने लगे हैं. मामला राम भक्त बनाम हनुमान भक्त का हो गया है.
AAP नेता सौरभ भारद्वाज ने कराया सुंदरकांड पाठ, कहा- हम हिंदू हैं लेकिन हिंदुत्व को नहीं मानते
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