ग्राउंड रिपोर्ट: उन घंटों की पूरी कहानी, जब घिर गये 300 कायरों के बीच 99 जांबाज

नई दिल्ली/सुकमा: छत्तीसगढ़ के सुकमा नक्सलियों की कायराना हरकत से देश ने 25 बहादुर जवानों खो दिए हैं. नक्सलियों की कारयता इसी से बयां होती है कि उन्होंने खाना खा कर आराम कर रहे जवानों पर घात लगातार हमला किया.
सुकमा में जिस जगह पर हमला हुआ वहां दोरनापाल से जगरगुंडा के बीच 56 किलोमीटर सड़क निर्माण का काम चल रहा है. जवान इसी सड़क निर्माण कार्य को सुरक्षा दे रहे थे. एबीपी न्यूज़ ने ग्राउंड जीरो पर जाकर जायजा लिया.
एबीपी न्यूज़ ने ग्राउंड जीरो पर क्या देखा? सुकमा के जिस इलाके में साल का सबसे बड़ा नक्सली हमला हुआ वो प्रदेश की राजधानी रायपुर से करीब 500 किलोमीटर दूर है. एबीपी न्यूज़ जब ग्राउंड जीरो पर पहुंचा उस वक्त सीआरपीएफ के जवान इलाके की छानबीन के काम में लगे थे.
सीआरपीफ के बस्तर और दंतेवाड़ा के डीआईजी भी मौके पर मौजूद थे. आला अधिकारियों के मुताबिक मुठभेड़ में कई नक्सली भी मारे गए. जिस जगह पर हमला हुआ वहां पर घसीटने के निशान मौजूद थे.
जहां पर हमला हुआ वहां पर घना जंगल और जंगल के आगे एक पहाड़ी है. नक्सली हमेशा ऐसे इलाके को ही चुनते हैं जहां आस पास कोई पहाड़ी हो. ये पहाड़ी से हमला करते हुए नीचे आते हैं और हमले के बाद वापस जंगल में छिप कर पहाड़ी पर वापस लौट जाते हैं.
कहां पर हुआ हमला? हमला हुआ वहां दोरनापाल से जगरगुंडा के बीच 56 किलोमीटर सड़क निर्माण का काम चल रहा है. सीआरपीएफ के 74वीं बटालियन के 36 जवान रोड ओपनिंग के लिए निकले थे. जिस जगह कल मुठभेड़ हुई है उसे इलाके को छत्तीसगढ़ में नक्सलियों की राजधानी कहा जाता है.
एबीपी न्यूज़ जब ग्राउड जीरो पर पहुंचा तो वहां इधर उधर खून के धब्बे भी दिखायी दिए रहे थे. एबीपी न्यूज़ को सीआरपीएफ के दंतेवाड़ा के डीआईजी दिनेश उपाध्याय ने बताया, ''माओवादियों हमेशा धोखे से हमला करते हैं. वो कभी आमने सामने की लड़यी नहीं लड़ते. जनता को ढाल बनाकर उनका इस्तेमाल करते हैं.'' डीआईजी दिनेश उपाध्याय ने बताया, ''कल हुए हमले में हथगोले का इस्तेमाल भी किया गया. इससे जवानों को परेशानी का सामना करना पड़ा.''
गांव के सरपंच को कुलहाड़ी से मार दिया था- डीआईजी डीआईजी दिनेश उपाध्याय ने बताया, ''पहले गांव के सरपंच को भी किछ दिन को मार दिया था. सरपंच जब जिंदा थे तब माओवादियों को लेकर सूचना आती रहती थीं. नक्सलियों ने सरपंच को कुल्हाड़ी से काट दिया था.''
हमले में गांव वालों की क्या भूमिका? डीआईजी दिनेश उपाध्याय ने बताया, ''गांव वालों का इस्तेमाल नक्सली बंदूक के दम पर करते है. वो गांव वालों को ब्लैकमेल करते हैं, उन्हें सुरक्षा कवच के तौर पर इस्तेमाल करते हैं. हम गांव वालों पर गोली नहीं चला सकते.'' गांव वाले उनका सहयोग नहीं करना चाहते लेकिन मजबूरी में उन्हें ऐसा करना पड़ता है.''
क्या है पूरा मामला? छत्तीसगढ़ के सुकमा इलाके में कल सीआरपीएफ के जवानों को नक्सलियों ने घात लगाकर निशाना बनाया. दोपहर के 12.30 बजे चिंतागुफा के पास काला पत्थर इलाके में ये हमला हुआ. जब हमला हुआ उस वक्त सीआरपीएफ की 74वीं बटालियन के जवान सड़क बनाने के काम में लगे मजदूरों की सुरक्षा में तैनात थे.
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