Vinayak Chaturthi 2021: विनायक चतुर्थी व्रत पर पढ़ें शिव -पार्वती की यह रोचक कथा, पूरे होंगे सभी काम
Vinayak Chaturthi 2021 Katha: विनायक चतुर्थी का व्रत, वैशाख मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को आता है. इस साल यह 15 मई 2021 को पड़ रही है. आइये जानें इस दिन की शिव-पार्वती की यह रोचक कथा.
Vinayak Chaturthi 2021 Pauranik Katha: अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार आज वर्ष 2021 का 15 मई दिन शनिवार है. हिंदू पंचाग के अनुसार, आज वैशाख महीने के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि है. हिंदू धर्म में इसे विनायक चतुर्थी भी कहते हैं. इस दिन दो बार गणेश की पूजा की जाती है. एक बार दोपहर में और दूसरी बार दोपहर बाद. मान्यता है कि इस दिन गणेश भगवान का व्रत रखने और पूजा करने से सभी काम पूरे होते हैं. मनोरथी की मनोकामनाएं पूरी होती हैं और समस्त सुख-सुविधाएं भी प्राप्त होती हैं.
विनायक चतुर्थी व्रत की पौराणिक कथाएं:
हिंदू धर्म ग्रंथों के मुताबिक़, एक बार की बात है कि समय बिताने के लिए भगवान शिव और पार्वती चौपड़ खेलने के लिए तत्पर हुए. परंतु हर जीत का फैसला करने वाला कोई नहीं था. तब भगवान शिव ने घास-फूस से एक बालक बनाकर उसमें प्राण प्रतिष्ठा की. उसके बाद उस बालक को फैसले का कार्य सौंपा गया. खेल प्रारंभ हुआ. इस खेल में माता पार्वती जी तीन बार जीती. परन्तु जब फैसला सुनाने के लिए बालक से कहा गया तो बालक ने भगवान शिव को विजेता घोषित किया. इस पर पार्वती जी बहुत नाराज हुई और उस बालक को कीचड़ में रहने का शाप दे दिया. बालक ने इस गलती की मां पार्वती से क्षमा मांगी. मां को दया आ गई. तब उन्होंने कहा कि एक साल बाद गणेश पूजा के लिए यहां नाग कन्याएं आएंगी. उन्हीं के अनुसार बताये गए विधि से गणेश चतुर्थी का व्रत रखना और गणेश भगवान की पूजा करना. तब तुम्हारा कष्ट दूर हो जाएगा.
फिर नाग कन्याओं द्वारा बताई गई पूजा विधि से बालक ने गणेश चतुर्थी का व्रत रखकर गणेश भगवान का पूजन किया. बालक के पूजा से भगवान गणेश जी प्रसन्न हुए. इस पर भगवान गणेश प्रसन्न होकर बालक से वरदान मांगने को कहा. बालक ने कैलाश पर्वत पर जाकर अपने माता- पिता से मिलने का वर मांगा. वर के मुताबिक बालक कैलाश पर्वत पर पहुंचा. वहां भगवान शिव से पार्वती नाराज थी. तब बालक ने नाग कन्याओं द्वारा बताया गया उपाय भगवान शिव को भी बताया.
अब भगवान शिव ने 21 दिन तक गणेश की पूजा की, इसे मां पार्वती की नाराजगी दूर हो गई. उसके बाद मां पार्वती ने भी 21 दिन का व्रत किया. इससे उनकी पुत्र से मिलने की इच्छा पूरी हुई. माना जाता है वो बालक ही भगवान कार्तिकेय हैं.
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