चाणक्य नीति: बड़े लक्ष्यों के लिए हल्के होकर रहना सीखें, सुविधाओं में भी छिपा होता है बंधन
Chankya Niti: चाणक्य यात्राओं में सहज थे. उन्होंने भारत के विभिन्न हिस्सों की कई यात्राएं कीं. इस दौरान उनकी जीवनशैली ऐसी रही कि तनिक भी कठिनाई का अनुभव उन्होंने नहीं किया.
आचार्य विष्णुगुप्त चाणक्य चिंतन और चरित्र सभी के लिए अनुकरणीय है. वे विचारों में जितने अधिक स्थिर और दृढ़ थे उतने ही अधिक साामाजिक जीवन में सक्रिय थे. वे स्वयं को किसी भी क्षण कहीं भी निकलने के लिए तैयार रखते थे. उन्होंने जीवनशैली को इस प्रकार ढाला हुआ था कि कुछ भी बोझिल नहीं रह गया था.
मगध से त़क्षशिला के बीच उन्होंने तीन से अधिक बार यात्रा की. सिकंदर से युद्ध में उन्होंने सीमांत राज्यों की कई यात्राएं कीं. इन यात्राओं में स्वयं इस प्रकार रहे कि जैसे आम दिनों में रहा जाता है. यात्राओं ने उनके चिंतन को मजबूती दी. चाणक्य चाहते तो असंख्य हाथी घोड़ों और सैन्यबल के साथ कहीं भी आ जा सकते थे. समस्त सीमाई राज्य उनके समक्ष नतमस्तक थे. चाणक्य ने सुविधाओं से समानांतर दूरी रखकर अपनी विचार शैली और कार्यशैली का धारदार बनाए रखा.
आज के दौर में चाणक्य की जीवनशैली अत्यंत मायने रखती है. लोग छोटे बड़े घरेलू सामानों से लेकर बड़ी सुविधाओं तक से गहरे जुड़ते जा रहे हैं. ऐसे में उन्हें कहीं भी निकलने अथवा अचानक महत्वपूर्ण निर्णय लेने से पहले कई चरणों में सोचना पड़ता है. सुविधाओं का आधिक्य बढ़ने से जीवन में अदृश्य बंधन का प्रभाव दिखाई पड़ने लगा है. इससे चिंतन प्रक्रिया तक प्रभावित होती है. लोग जीवन जीने मात्र की उधेड़बुन में जुटे नजर आते हैं. सुविधायुक्त तय जीवनशैली से निकलने की कल्पना तक वे नहीं कर पाते हैं. ऐसे में इन सबसे बाहर निकलकर बड़े प्रयासों में खुद को खपा देना लोगों के लिए लगभग असंभव सा है.
ट्रेडिंग न्यूज
टॉप हेडलाइंस
and tablets