Gupt Navratri 2022: आषाढ़ गुप्त नवरात्रि का प्रथम दिन आज, अर्गला स्तोत्र पाठ से होते हैं ये सारे लाभ
Ashadh Gupt Navratri 2022: आषाढ़ गुप्त नवरात्रि (Gupt Navratri) का व्रत आज से शुरू हो चुका है. इसमें अर्गला स्तोत्र (Argla Strot) का पाठ करने कई प्रकार के लाभ होते हैं.
Ashadh Gupt Navratri 2022 Argla Strot Path: पंचांग के मुताबिक़, आज 30 जून को प्रातःकाल से आषाढ़ गुप्त नवरात्रि का व्रत प्रारंभ हो गया है. आज गुप्त नवरात्रि का पहला दिन है. इस नवरात्रि में दुर्गा सप्तशती अर्गला स्त्रोत का पाठ विशेष महत्त्व रखता है. आज गुप्त नवरात्रि व्रत का प्रारंभ कलश स्थापना से हुई है. साधक प्रातः काल शुभ मुहूर्त में घट स्थापना करके 10 महाविद्याओं का पूजन प्रारंभ कर चुके हैं. साधकों को गुप्त नवरात्रि के पूजन के दौरान अर्गला स्त्रोत का पाठ जरूर करना चाहिए. साधकों को चाहिए कि अर्गला स्त्रोत का पाठ सुबह पूजा के दौरान करें या फिर रात में 12 बजे के बाद करें. इसके पाठ से शत्रुओं पर विजय प्राप्त होती है. अर्गला स्त्रोत पाठ के समय मां चामुंडा देवी का ध्यान करना होता है. दुर्गा सप्तशती अर्गला स्त्रोत नीचे दिया गया है.
आषाढ़ गुप्त नवरात्रि अर्गलास्तोत्रं पाठ (Gupt Navratri 2022 Argla Strot Path)
ऊं जयन्ती मङ्गला काली भद्रकाली कपालिनी। दुर्गा शिवा क्षमा धात्री स्वाहा स्वधा नमोऽस्तु ते।।1।।
जय त्वं देवी चामुण्डे जय भूतार्तिहारिणी। जय सर्वगते देवी कालरात्रि नमोSस्तु ते।।2।।
मधुकैटभविद्रावि विधातृवरदे नमः। रूपं देहि जयं देहि यशो देहि द्विषो जहि।।3।।
महिषासुरनिर्णाशि भक्तानां सुखदे नमः। रूपं देहि......... ।।4।।
रक्तबीजवधे देवि चण्डमुण्डविनाशिनि। रूपं देहि......... ।।5।।
शुम्भस्यैव निशुम्भस्य धूम्राक्षस्य च मर्दिनि। रूपं देहि......... ।।6।।
वन्दिताङ्घ्रियुगे देवि सर्वसौभाग्यदायिनि। रूपं देहि......... ।।7।।
अचिन्त्यरूपचरिते सर्वशत्रुविनाशिनि। रूपं देहि......... ।।8।।
नतेभ्यः सर्वदा भक्त्या चण्डिके दुरितापहे। रूपं देहि......... ।।9।।
स्तुवद्भ्यो भक्तिपूर्वं त्वां चण्डिके व्याधिनाशिनि। रूपं देहि......... ।।10।।
चण्डिके सततं ये त्वामर्चयन्तीह भक्तितः। रूपं देहि......... ।।11।।
देहि सौभाग्यमारोग्यं देहि मे परमं सुखम्। रूपं देहि......... ।। 12।।
विधेहि द्विषतां नाशं विधेहि बलमयच्चकैः। रूपं देहि......... ।।13।।
विधेहि देवि कल्याणं विधेहि परमां श्रियम्। रूपं देहि......... ।।14।।
सुरासुरशिरोरत्ननिघृष्टचरणेऽम्बिके। रूपं देहि......... ।।15।।
विद्यावन्तं यशस्वन्तं लक्ष्मीवन्तं जनं कुरु। रूपं देहि......... ।।16।।
प्रचण्डदैत्यदर्पघ्ने चण्डिके प्रणताय मे। रूपं देहि......... ।।17।।
चतुर्भुजे चतुर्वक्त्रसंस्तुते परमेश्वरि। रूपं देहि......... ।।18।।
कृष्णेन संस्तुते देवि शश्वद्भक्त्या सदाम्बिके। रूपं देहि जयं .........।।19।।
हिमाचलसुतानाथसंस्तुते परमेश्वरि। रूपं देहि जयं देहि .........।।20।।
इन्द्राणीपतिसद्भावपूजिते परमेश्वरि।रूपं देहि जयं .........।।21।।
देवि प्रचण्डदोर्दण्डदैत्यदर्पविनाशिनि। रूपं देहि जयं देहि .........।।22।।
देवि भक्तजनोद्दामदत्तानन्दोदयेऽम्बिके। रूपं देहि जयं .........।।23।।
भार्यां मनोरमां देहि मनोवृत्तानुसारिणीम्। तारिणीं दुर्गसंसारसागरस्य कुलोद्भवाम्।।24।।
इदं स्तोत्रं पठित्वा तु महास्तोत्रं पठेन्नरः। स तु सप्तशतींसंख्या वरमाप्नोति सम्पदाम्।।ॐ।। 25।।
अर्गला स्त्रोत पाठ से लाभ
गुप्त नवरात्रि में मां दूर्गा की पूजा के साथ -साथ श्री दुर्गा सप्तशती के अर्गला स्तोत्र (Argla Strot) का पाठ भी करना चाहिए. इसके पाठ से अनेक प्रकार के लाभ होते हैं. हिन्दू धर्म शास्त्रों के मुताबिक, अर्गला स्त्रोत पाठ करने से शत्रुओं पर विजय प्राप्त होती है. साधकों को हर प्रकार के कार्यों में सफलता मिलती है. इससे मां दुर्गा की असीम कृपा मिलती है. जिससे जीवन में की सारी बाधाएं दूर हो जाती है. सभी प्रकार के सारे संकटों का नाश हो जाता है तथा कष्ट से भी मुक्ति मिल जाती है. सारी मनोकामनाएं पूर्ण होती. गुप्त शक्तियां जागृत हो जाती है.
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