कम स्पर्म काउंट वाले पिता के बच्चों में कैंसर का रिस्क हो जाता है 150 गुना, चौंका देगी यह स्टडी
हाल ही में किए गए एक हैरान कर देने वाले शोध ने इस बात की पुष्टि की है कि जिन पुरुषों में स्पर्म काउंट बहुत कम हैं या बिल्कुल नहीं हैं, उनके बच्चों में कैंसर होने का खतरा कई गुना बढ़ जाता है.

आजकल की खराब लाइफस्टाइल और तनाव भरी जिंदगी के बीच कम स्पर्म काउंट की समस्या आम हो गई है. क्या आप जानते हैं कि एक पिता की फर्टिलिटी बच्चों की हेल्थ पर भी असर डाल सकती है. हाल ही में किए गए एक हैरान कर देने वाले शोध ने इस बात की पुष्टि की है कि जिन पुरुषों के स्पर्म बहुत कम हैं या बिल्कुल नहीं हैं, उनके बच्चों और परिवार के अन्य सदस्यों में कम उम्र में कैंसर होने का खतरा कई गुना बढ़ जाता है. तो चलिए जानते हैं कि कम स्पर्म काउंट वाले पिता के बच्चों में कैंसर का रिस्क 150 गुना क्यों हो जाता है.
शोध में क्या पाया गया?
यूटा विश्वविद्यालय (University of Utah) के वैज्ञानिकों ने इस विषय पर अब तक का सबसे बड़ा और पहला अध्ययन किया. उन्होंने 1996 से 2017 के बीच यूटा के प्रजनन क्लीनिकों में इलाज कराने वाले 786 पुरुषों के आंकड़ों का विश्लेषण किया. इन पुरुषों में से 426 पुरुषों में स्पर्म पूरी तरह अनुपस्थित यानी Azoospermia थे. 360 पुरुषों में स्पर्म की संख्या बहुत कम यानी Oligospermia थी. इनकी तुलना उन्होंने सामान्य पुरुषों से की, जिनके बच्चे थे और जिनकी स्पर्म संख्या सामान्य थी.
कम स्पर्म काउंट वाले पिता के बच्चों में कैंसर का रिस्क 150 गुना
शोध में पाया गया कि जिन पुरुषों में स्पर्म काउंट बहुत कम था, उनके परिवारों में कैंसर का खतरा 150 प्रतिशत तक ज्यादा पाया गया. वहीं, जिन पुरुषों में स्पर्म की संख्या बहुत कम थी, उनके रिश्तेदारों में भी कई तरह के कैंसर का खतरा बढ़ा हुआ पाया गया. स्पर्म न होने वाले पुरुषों के परिवार में हड्डी और जोड़ों के कैंसर का खतरा 156 प्रतिशत तक बढ़ा, लिम्फोमा का खतरा 60 प्रतिशत तक बढ़ा, सॉफ्ट टिश्यू कैंसर का खतरा 56 प्रतिशत बढ़ा, थायराइड कैंसर का खतरा 54 प्रतिशत बढ़ा और गर्भाशय कैंसर का खतरा 27 प्रतिशत बढ़ा है.
इसके अलावा कम स्पर्म वाले पुरुषों के परिवार में हड्डी और जोड़ों के कैंसर का खतरा 143 प्रतिशत बढ़ा, टेस्टीक्युलर कैंसर का खतरा 134 प्रतिशत बढ़ा और कोलोन कैंसर का खतरा 16 प्रतिशत बढ़ा, लेकिन एक कैंसर ऐसा था जिसका खतरा कम पाया गया. यह ईसोफेगल कैंसर था, जिसमें रिस्क 61 प्रतिशत घटा है.
क्यों बढ़ रहा है यह खतरा?
वैज्ञानिकों का मानना है कि जब किसी परिवार के कई सदस्यों में एक जैसी बीमारियां दिखाई देती हैं, तो इसके पीछे जेनेटिक या पर्यावरणीय कारण हो सकते हैं. यूटा विश्वविद्यालय की शोधकर्ता जोमी रामसे (Joemy Ramsey) कहती हैं कि अगर परिवारों में कैंसर का एक जैसा पैटर्न दिखता है, तो इसका मतलब यह हो सकता है कि उनके जीन या लाइफस्टाइल की आदतें एक जैसी हैं. इससे हमें यह समझने में मदद मिलती है कि इनफर्टिलिटी और कैंसर दोनों के पीछे कौन से जैविक कारण काम करते हैं. वैज्ञानिक अब इन परिवारों के जीनों का डीएनए सीक्वेंसिंग कर रहे हैं ताकि यह पता लगाया जा सके कि कौन-से जीन म्यूटेशन इस संबंध को जन्म देते हैं.
कम स्पर्म का मतलब क्या है?
सामान्य रूप से किसी पुरुष के स्पर्म में 1 मिलीलीटर में 15 मिलियन या उससे ज्यादा स्पर्म होते हैं. अगर संख्या 15 मिलियन से कम है, तो इसे ओलिगोस्पर्मिया कहा जाता है. अगर स्पर्म पूरी तरह अनुपस्थित हैं, तो यह एजोस्पर्मिया (Azoospermia) कहलाता है. कम स्पर्म वाले पुरुषों में अक्सर स्पर्म की स्पीड और क्वालिटी भी खराब होती है, जिससे प्रेगनेंसी की संभावना कम हो जाती है. अनुमान लगाया गया है कि हर 20 में से 1 पुरुष इनफर्टिलिटी का सामना करता है. कई बार यह जेनेटिक कारणों से होता है, लेकिन कुछ मामलों में इसका कारण लाइफस्टाइल भी होती है, जैसे ज्यादा शराब सेवन, धूम्रपान, नशीले पदार्थों का सेवन, रेडिएशन, हाई टेंपरेचर या हार्मोनल इंबैलेंस
कम स्पर्म काउंट का कैसे दिखा असर?
शोध में यह भी पाया गया कि जिन परिवारों के पुरुषों में स्पर्म की संख्या बहुत कम थी, उनमें कई पीढ़ियों में कैंसर का खतरा बढ़ा हुआ पाया गया. कुछ ग्रुप में युवाओं में कैंसर का खतरा बढ़ा, वहीं कई मामलों में बचपन में कैंसर का रिस्क भी बढ़ा, कुछ परिवारों में कई प्रकार के कैंसर एक साथ पाए गए.
इसका मतलब है कि कम स्पर्म काउंट सिर्फ एक व्यक्ति की समस्या नहीं है, बल्कि यह पूरे परिवार की जेनेटिक हेल्थ से जुड़ी हो सकती है. ऐसे में शोधकर्ताओं का कहना है कि इस अध्ययन से डॉक्टरों को यह समझने में मदद मिलेगी कि किन परिवारों में कैंसर का खतरा ज्यादा है और उन्हें रोकथाम और समय पर जांच की सलाह दी जा सकेगी.
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Disclaimer: यह जानकारी रिसर्च स्टडीज और विशेषज्ञों की राय पर आधारित है. इसे मेडिकल सलाह का विकल्प न मानें. किसी भी नई गतिविधि या व्यायाम को अपनाने से पहले अपने डॉक्टर या संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें.
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Source: IOCL























