अगर रात में नींद ना आने से हैं परेशान तो इन तीन चीजों को करें कंट्रोल, जल्द होगा फायदा
एचसीएफआई के अध्यक्ष डॉ. के. के. अग्रवाल ने बताया कि टहलने, जॉगिंग और तैराकी जैसे एरोबिक व्यायाम में नियमित हिस्सा लेने से गहरी नींद आती है और रात को नींद टूटती भी नहीं है. लेकिन अगर रात के वक्त नींद उचट जाए तो घड़ी को अपनी निगाह से दूर कर दें.
नई दिल्ली: अगर आप मानसिक तनाव, दबी हुई इच्छाएं और मन में तीव्र कड़वाहट लिए हुए बिस्तर पर लेटे हैं तो आप अनिद्रा का शिकार हो सकते हैं. उच्च रक्तचाप, कंजेस्टिव हार्ट फेल्योर, डायबिटीज व अन्य बीमारियों से भी अनिद्रा का सीधा संबंध है. हार्ट केयर फाउंडेशन (एचसीएफआई) के अध्यक्ष डॉ. के. के. अग्रवाल ने कहा, "आयुर्वेद में नींद का वर्णन वात और पित्त दोष के बढ़ने के रूप में मिलता है. इसका सबसे प्रमुख कारण है मानसिक तनाव, दबी हुई इच्छाएं और मन में तीव्र कड़वाहट."
डॉ. के. के. अग्रवाल ने कहा, "इसके अलावा अनिद्रा के अन्य कारणों में कब्ज, अपच, चाय, कॉफी और शराब का अधिक सेवन तथा पर्यावरण में परिवर्तन, यानी अधिक सर्दी, गर्मी या मौसम में बदलाव. ज्यादातर मामलों में ये सिर्फ प्रभाव होते हैं न कि अनिद्रा के कारण. अनिद्रा तीन प्रकार तीव्र, क्षणिक और निरंतर चलने वाली होती है." अनिद्रा से तात्पर्य है सोने में कठिनाई. इसका एक रूप है, स्लीप-मेंटीनेंस इन्सोम्निया, यानी सोये रहने में कठिनाई, या बहुत जल्दी जाग जाना और दोबारा सोने में मुश्किल. पर्याप्त नींद न मिलने पर चिंता बढ़ जाती है, जिससे नींद में हस्तक्षेप होता है और यह दुष्चक्र चलता रहता है. उच्च रक्तचाप, कंजेस्टिव हार्ट फेल्योर, डायबिटीज व अन्य बीमारियों से भी अनिद्रा का सीधा संबंध है.
एयर पॉल्यूशन पर कंट्रोल नहीं हुआ तो हो सकते हैं कई तरह के कैंसर
एक हालिया शोध में पता चला है कि लगभग 93 फीसदी भारतीय अच्छी नींद से वंचित हैं. इसके कारक जीवनशैली से जुड़ी आदतों से लेकर स्वास्थ्य की कुछ स्थितियों तक हैं. अनिद्रा को आमतौर पर एक संकेत व एक लक्षण दोनों रूपों में देखा जाता है, जिसके साथ नींद, चिकित्सा और मनोचिकित्सा विकार सामने आ सकते हैं. इस तरह के व्यक्ति को नींद आने में लगातार कठिनाई होती है.
डॉ. अग्रवाल ने अनिद्रा से निपटने हेतु सुझाव देते हुए कहा, "अगर आप कैफीन के प्रति संवेदनशील हैं तो एक या दो बजे के बाद कैफीनयुक्त पेय पदार्थ लेने से बचें. अल्कोहल की मात्रा सीमित करें और सोने से दो घंटे पहले अल्कोहल न लें. टहलने, जॉगिंग करने या तैराकी करने जैसे नियमित एरोबिक व्यायाम में हिस्सा लें. इसके बाद आपको गहरी नींद आ सकती है और रात के वक्त नींद टूटती भी नहीं है. जितनी देर आप सो नहीं पाते हैं उन मिनटों का हिसाब रखने से दोबारा सोने में परेशानी हो सकती है. नींद उचट जाए तो घड़ी को अपनी निगाह से दूर कर दें."
वक्त रहते मोटापे को करें कंट्रोल, नहीं तो कई गंभीर बीमारियों से होना पड़ सकता है दो-चार
डॉ. अग्रवाल ने कहा, "एक या दो सप्ताह के लिए अपने नींद के पैटर्न को ट्रैक करें. अगर आपको लगता है कि आप सोने के समय में बिस्तर पर 80 फीसदी से कम समय बिना सोये बिता रहे हैं, तो इसका अर्थ है कि आप बिस्तर पर बहुत अधिक समय बिता रहे हैं. बाद में बिस्तर पर जाने की कोशिश करें और दिन के दौरान झपकी न लें. यदि आप शाम को जल्दी सोने लगें, तो रोशनी को तीव्र कर दें."
चेहरे पर ग्लो बढ़ाने के साथ-साथ नींद ना आने की परेशानी में मददगार है शहद
डॉ. अग्रवाल ने कहा कि अगर आपका दिमाग सोच-विचार में लगा है या आपकी मांसपेशियां तनाव में हैं, तो आपको सोने में मुश्किल हो सकती है. दिमाग को शांत करने और मांसपेशियों को आराम देने के लिए, ध्यान करना, गहरी सांस लेना या मांसपेशियों को आराम देने से लाभ हो सकता है.
यह भी देखें:
Check out below Health Tools-
Calculate Your Body Mass Index ( BMI )