भारत में कितने बच्चे अब भी कर रहे मजदूरी, ऐसा कराने वालों को कितनी मिलती है सजा?
World Day Against Child Labour: आज पूरे विश्व में बाल श्रम निषेध दिवस मनाया जा रहा है. इस दौरान बाल मजदूरी करने वाले बच्चों को रोकना और उनका बचपन वापस लौटाना है.

12 जून आज वह दिन है जब हम एक पल को रुककर उन नन्हें हाथों को याद करते हैं, जो कि अब खिलौने और किताबों की जगह पर औजार उठा रहे हैं. इन बच्चों के कानों में स्कूल की घंटियों की जगह अब मशीन की आवाज गूंजती है. भारत में कितना भी बाल श्रम पर रोक लगाने की कोशिश की जाए, लेकिन वो खत्म होने का नाम नहीं लेता. आज बाल श्रम के खिलाफ आवाज उठाने और ऐसे बच्चों का बचपन लौटाकर उनके हाथ में किताब थमाने का संकल्प लेने का दिन है. इसीलिए हर साल 12 जून को दुनियाभर में बालश्रम निषेध दिवस मनाया जाता है. इसके लिए सरकार से लेकर कई संगठन अपने स्तर पर कोशिश कर रहे हैं, लेकिन बिना जागरूकता के यह संभव नहीं है.
भारत में कितने बाल मजदूर
एक रिसर्च की मानें तो विश्व में हर दस में से एक बच्चा काम करने के लिए मजबूर है. अंतरराष्ट्रीय श्रम संगठन के अनुसार दुनियाभर में लगभग 16 करोड़ बच्चे बाल मजदूरी कर रहे हैं. इनमें से लाखों बच्चे तो भारत में ही हैं. NCRB और UNICEF की रिपोर्ट की मानें तो भारत में आज भी लगभग 1 करोड़ से ज्यादा बच्चे अलग-अलग तरह से बाल मजदूरी में लगे हुए हैं. कोई खेतों में काम कर रहा है, कोई चाय की दुकान पर जूठे बर्तन धो रहा है, तो कोई फैक्ट्रियों की खतरनाक मशीनों की आवाजों के बीच अपना बचपन खो रहा है.
भारत में कहां सबसे ज्यादा बाल मजदूर
भारत में मजदूरी करने वाले बच्चों की बड़ी संख्या ग्रामीण इलाकों से ताल्लुक रखती है. आंकड़े बताते हैं कि लगभग 80 प्रतिशत बाल मजदूरी की जड़ें ग्रामीण क्षेत्रों में फैली हैं. भारत के पांच राज्यों में सबसे ज्यादा बाल मजदूर आज भी पाए जाते हैं, जिसमें उत्तर प्रदेश, बिहार, राजस्थान, मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र शामिल हैं. इन जगहों पर बाल मजदूरों की कुल संख्या लगभग 55 प्रतिशत है. सबसे ज्यादा बाल मजदूर तो उत्तर प्रदेश और बिहार में हैं. यूपी में 21.5 फीसदी यानि करीब 21.80 लाख, बिहार में 10.9 लाख और राजस्थान में 8.5 लाख बाल मजदूरों की संख्या है.
बाल मजदूरी के खिलाफ कितनी है सजा
भारत में बाल श्रम के खिलाफ सजा भी तय की गई है. अगर कोई 14 साल से छोटे बच्चे के काम कराता है तो उसके खिलाफ भारतीय दंड संहिता 1860, बंधुआ श्रम प्रणाली (उन्मूलन) अधिनियम 1976, बाल श्रम (निषेध और विनियमन) अधिनियम 1986, किशोर न्याय (देखभाल और संरक्षण) अधिनियम 2000 के तहत कार्रवाई हो सकती है. इस दौरान अगर कोई 14 साल से कम या 14 से 18 साल के बच्चे को किसी खतरनाक व्यवसाय या प्रणाली में शामिल करता है तो उसे 1-6 महीने की सजा या 20 हजार से 50 हजार तक का जुर्माना या फिर दोनों सजा मिल सकती है.
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Source: IOCL






















