World Strongest Navy: नेवी के मामले में किस नंबर पर है भारत, पहले-दूसरे और तीसरे नंबर पर कौन सा देश
World Strongest Navy: नौसेना की ताकत कई पैरामीटर से मापी जाती हैं. आइए जानते हैं दुनिया में कौन से देश की नेवी है सबसे ज्यादा ताकतवर और भारत कौन से स्थान पर आता है.

World Strongest Navy: जैसे-जैसे इंडो पैसिफिक और उससे आगे समुद्री सुरक्षा जरूरी होती जा रही है दुनिया का ध्यान नौसेना की ताकत पर तेजी से बढ़ रहा है. नौसेना की ताकत बेड़े के आकार, टनेज, टेक्नोलॉजी और युद्ध क्षमता जैसे पैरामीटर का इस्तेमाल करके मापी जाती है. आइए जानते हैं इस ग्लोबल दौड़ में भारत कहां खड़ा है और कौन से देश टॉप तीन पोजीशन पर हावी हैं.
2025 में भारत की नौसेना रैंकिंग
ग्लोबल फायर पावर 2025 इंडेक्स के मुताबिक बेड़े की ताकत के मामले में भारत वर्तमान में दुनिया की छठी सबसे बड़ी नौसेना है. जब कुल जहाज टनेज से मापा जाता है, जो जहाज के आकार और वजन को दिखाता है, तो भारत विश्व स्तर पर पांचवें स्थान पर आता है. इसी के साथ वर्ल्ड डायरेक्टरी ऑफ मॉडर्न मिलिट्री वॉरशिप्स भारत को अपनी ट्रू वैल्यू रेटिंग के आधार पर सातवें स्थान पर रखता है. इसमें मारक क्षमता, आधुनिकीकरण, जीवित रहने की क्षमता और युद्ध प्रभावशीलता को शामिल किया गया है.
संख्या के हिसाब से दुनिया की सबसे बड़ी नौसेना
इस लिस्ट में सबसे ऊपर चीन आता है. 2025 में चीन के नौसैनिक बेड़े में अनुमानित रूप से 700 से 754 जहाज शामिल थे. इनमें एयरक्राफ्ट कैरियर और डिस्ट्रॉयर से लेकर कार्वेट और पेट्रोल शिफ्ट तक शामिल हैं. लगभग 2.86 मिलियन टन के कुल टनेज के साथ चीन ने अपनी नौसैनिक उपस्थिति का तेजी से विस्तार किया है.
तकनीकी रूप से सबसे शक्तिशाली नौसेना
हालांकि जहाज की संख्या के मामले में यूएई दूसरे स्थान पर है लेकिन संयुक्त राज्य अमेरिका को तकनीकी रूप से दुनिया की सबसे शक्तिशाली नौसेना माना जाता है. अमेरिकी नौसेना लगभग 440 जहाज का संचालन करती है. लेकिन जो चीज इसे अलग बनाती है वह है इसकी शानदार मारक क्षमता और टेक्नोलॉजी. लगभग 4.17 मिलियन टन के विशाल टनेज और 11 परमाणु संचालित एयरक्राफ्ट कैरियर के साथ अमेरिका के पास शानदार पनडुब्बियां और एडवांस्ड नौसैनिक विमानन क्षमता है.
तीसरे नंबर पर रूस
तीसरे स्थान पर रूस आता है. इसके पास लगभग 419 नौसैनिक जहाज हैं. इनका कुल टनेज लगभग 1.26 मिलियन टन है. हालांकि रूस की नौसेना चीन और अमेरिका के छोटी है लेकिन यह अपनी न्यूक्लियर पनडुब्बियों, मिसाइल क्रूजर और आर्कटिक और अटलांटिक में तैनाती की वजह से रणनीतिक रूप से जरूरी है.
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