क्या होता है स्प्लैशडाउन और शुभांशु शुक्ला की वापसी में कितनी जरूरी है यह प्रक्रिया, जानिए स्पेसक्राफ्ट की लैंडिंग का पूरा प्रॉसेस
15 जुलाई को दोपहर करीब 3 बजे कैलिफोर्निया तट पर शुभांशु शुक्ला का स्पेसक्राफ्ट स्प्लैशडाउन करेगा. ऐसे में बहुत से लोग जानना चाहते हैं कि यह स्प्लैशडाउन क्या होता है और किस तरह होता है.

इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन में पहुंचने वाले पहले भारतीय अंतरिक्ष यात्री शुभांशु शुक्ला तीन अन्य अंतरिक्ष यात्रियों के साथ धरती पर वापस लौट रहे हैं. नासा के एक्सिओम-4 मिशन के तहत शुभांशु शुक्ला और उनकी टीम ने 18 दिन अंतरिक्ष में बिताए. 14 जुलाई की शाम करीब 4:30 (भारतीय समयानुसार) उनका स्पेसक्राफ्ट स्पेस स्टेशन से अनडॉक हुआ. अब यह स्पेसक्राफ्ट धरती तक पहुंचने से पहले करीब 22 घंटे का सफर तय करेगा.
जानकारी के मुताबिक, 15 जुलाई (मंगलवार) को भारतीय समयानुसार दोपहर करीब 3 बजे कैलिफोर्निया तट पर उनका स्पेसक्राफ्ट स्प्लैशडाउन करेगा. ऐसे में बहुत से लोग जानना चाहते हैं कि यह स्प्लैशडाउन क्या होता है? इसकी पूरी प्रक्रिया क्या है और शुभांशु शुक्ला की सुरक्षित वापसी के लिए यह प्रक्रिया कितनी जरूरी है? चलिए आज हम आपको इसके बारे में बताते हैं.
क्या होता है स्प्लैशडाउन?
स्प्लैशडाउन शब्द का प्रयोग अंतरिक्ष मिशनों में किया जाता है. यह प्रक्रिया तब होती है जब किसी स्पेसक्राफ्ट को पानी में उतारा जाता है. पृथ्वी के वायुमंडल मे प्रवेश करने के बाद जब अंतरिक्ष यान पानी में उतरता है तो इस प्रक्रिया को स्पलैशडाउन कहा जाता है. यह प्रक्रिया पैराशूट के जरिए होती है, जो पूरी तरह ऑटोमेटिक होती है. पृथ्वी के वायुमंडल में प्रवेश करने के बाद अंतरिक्ष यान की गति को धीरे-धीरे कम किया जाता है. इस दौरान उसके पैराशूट दो चरणों में खुलते हैं. पहले 5.7 किमी ऊंचाई पर और दूसरे चरण में करीब लैंडिंग से दो किलोमीटर ऊपर. इससे पानी में अंतरिक्ष यान की लैंडिंग सुरक्षित होती है. नासा के मर्करी, जेमिनी, अपोलो,ओरियन मिशन के दौरान इसी तरीके से स्पेसक्राफ्ट को लैंड कराया गया था.
पानी पर ही क्यों होता है स्प्लैशडाउन?
दरअअसल, जब भी कोई स्पेसक्राफ्ट वायुमंडल में प्रवेश करता है तो उसकी स्पीड काफी ज्यादा होती है, जिस कारण ईंधन काफी तेजी से जलता है, जिससे गर्मी भी बहुत ज्यादा पैदा होती है. ऐसी स्थिति में एयरक्राफ्ट को नुकसान पहुंच सकता है, जिससे स्पेशल हीट शील्ड उसकी सुरक्षा करते हैं. इस दौरान पानी किसी भी स्पेसक्राफ्ट के लिए नेचुरल कुशन की तरह काम करता है और पानी की सतह पर उसे झटका कम लगता है, जिससे स्पेसक्राफ्ट के साथ-साथ एस्ट्रोनॉट्स भी सुरक्षित रहते हैं.
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