जैन धर्म को मानने वाले मौत आने से पहले क्यों करते हैं उपवास? नहीं जानते होंगे यह परंपरा
Santhara Ritual: यह तो सभी जानते हैं कि मृत्यु अनंत है. हर किसी को यहां तक पहुंचना है. लेकिन जैन धर्म में एक प्रथा है, जिसमें लोग मौत आने से पहले उपवास करते हैं. चलिए जानें कि आखिर वो क्या है.

हर धर्म के लोगों में जन्म से लेकर मृत्यु तक अलग-अलग प्रथाएं होती हैं. लोगों के घरों में कोई बच्चा जन्म लेता है तो पूरा घर खुश हो जाता है. हम भी अपने जीवन में अपना जन्मदिन धूमधाम से मनाते हैं. जैन धर्म में एक प्रथा होती है, जहां पर मृत्यु के बाद मृत्यु को महोत्सव के रूप में मनाया जाता है. जैन धर्म में लोग शांत मन से मौत का स्वागत करते हुए अन्न और जल का त्याग कर उपवास करते हैं. इस प्रथा को वहां संथारा कहा जाता है. चलिए इसके बारे में थोड़ा और विस्तार से जानें.
क्या होती है संथारा प्रथा
जैन धर्म की मानें तो जब किसी शख्स या फिर जैन मुनी को लगता है कि उनकी मौत करीब है तो वो खुद को एक कमरे में बंद करके अन्न-जल का त्याग कर देते हैं. जैन धर्म ग्रंथों में संथारा प्रथा को संलेखना, समाधिमरण, संन्यासमरण आदि के तौर पर भी दर्शाया गया है. कोई भी शख्स ऐसे ही संथारा ग्रहण नहीं कर सकता है. इसके लिए जैन धर्म के धर्मगुरु की आज्ञा का पालन करना होता है. बूढ़े हो चुके लोग या फिर अगर कोई लाइलाज बीमारी से जूझ रहा है तो ऐसी स्थिति में संथारा ग्रहण किया जाता है. संथारा लेने के बाज लोग अन्न-जल का त्याग कर देते हैं. इस दौरान पर सारी मोह-माया छोड़कर सिर्फ ईश्वर को याद करते हैं.
अन्य धर्मों में मिलता है इस तरह की प्रथा का उल्लेख
संथारा का फैसला पूरी तरह से लोगों के लिए खुद पर निर्भर होता है. इसके लिए किसी पर कोई जोर-जबरदस्ती नहीं की जा सकती है और न की कोई दबाव बनाया जा सकता है. हालांकि बच्चों और युवाओं को इसकी अनुमति नहीं होती है. संथारा की परंपरा सिर्फ जैन धर्म में नहीं बल्कि अन्य धर्मों में भी दिखाई देती हैं.
राजस्थान हाईकोर्ट ने लगा दी थी रोक
साल 2006 में कुछ लोगों ने संथारा को आत्महत्या बताते हुए राजस्थान हाईकोर्ट में एक जनहत याचिका दर्ज की थी. इन लोगों का कहना था कि अन्न-जल का त्याग करके मौत का इंतजार करना अमानवीय है और संविधान के अधिकारों का उल्लंघन भी है. साल 2015 में राजस्थान हाईकोर्ट ने संथारा की प्रथा पर संज्ञान लेते हुए उस पर रोक लगा दी थी. लेकिन बाद में जैन धर्म के लोगों ने इसके लिए सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था. जिसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने संथारा पर से रोक हटा दी थी.
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Source: IOCL





















