क्या है अमेरिका का गोल्डन डोम सिस्टम, रूस के S-400 और इजरायल के आयरन डोम से कितना अलग?
Golden Dome System: अमेरिका एक ऐसे एयर डिफेंस सिस्टम का विकास करने जा रहा है जो कि एयर स्पेस को अभेद्य, अजेय और अखंडनीय बनाएगा. इसका नाम है गोल्डन डोम. यह एस-400 और आयरन डोम से कितना अलग होगा.

अमेरिका दुनिया का सबसे ताकतवर देश है और अब वह लगातार अपनी ताकत बढ़ाने में लगा हुआ है. अमेरिका गोल्डन डोम के नाम से एक मिसाइल डिफेंस सिस्टम बनाने की तैयारी कर रहा है. अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने इस परियोजना का एलान किया है और इसकी अनुमानित कीमत 175 बिलियन डॉलर बताई जा रही है. अगर अमेरिका इस मिसाइल डिफेंस सिस्टम को बना लेता है तो वह दुनिया के नापाक मंसूबों को नाकाम कर सकता है. चलिए जानें कि यह क्या है और यह रूस के S-400 और इजरायल के आयरन डोम से कितना अलग होगा.
क्या है गोल्डन डोम और अमेरिका को इसकी जरूरत क्यों
गोल्डन डोम अमेरिका का एक प्रस्तावित अत्याधुनिक मिसाइल डिफेंस सिस्टम है. इसका मकसद बैलिस्टिक मिसाइलों, ड्रोन हमले और हवाई हमले का खात्मा करके अमेरिका की रक्षा करते हैं. इस मिसाइल सिस्टम की बदौलत अमेरिका अपने चारों ओर एक ऐसी दीवार तैनात करेगा जिसे दुश्मन चाहकर भी उसे भेद नहीं पाएगा. लेकिन अमेरिका जब सबसे शक्तिशाली देश है तो उसे खतरा किससे है? आखिर किसलिए उसने इस सिस्टम को बनाना चाहा? अमेरिका अभी किसी से भी जंग नहीं लड़ रहा है. दुनिया में जहां कहीं भी उसका मिलिट्री एंगेजमेंट है तो वहां पर दुश्मन छोटे हैं, जो कि अमेरिका का कुछ बिगाड़ नहीं सकते हैं. लेकिन ट्रंप ने यह फैसला आने वाली लड़ाइयों और इलेक्ट्रॉनिक वॉरफेयर को ध्यान में रखकर लिया है.
यह सिस्टम इजराइल के आयरन डोम से कितना अलग
इजराइल का आयरन डोम छोटे देश की रक्षा के लिए बनाया गया है, लेकिन क्षेत्रफल के मामले में अमेरिका, इजराइल से 430 गुना और जनसंख्या के मामले में 30 गुना बड़ा है. इसलिए अमेरिका जैसे बड़े देश में इजराइल की तरह छोटे एयर डिफेंस सिस्टम को हर जगह तैनात करना एक चुनौती थी. इसीलिए अमेरिका ने इसे चुना है. गोल्डन डोम लंबी दूरी की मिसाइलों, ड्रोन और एआई के खतरों से निपटने का भी काम करेगा. अमेरिका का गोल्डन डोम किसी भी खतरे को तेजी से ट्रैक करेगा और अमेरिका को तत्काल चेतावनी देगा.
गोल्डन डोम रूस के S-400 से कैसे अलग
इस वक्त रूस का एस-400 दुनिया का सबसे बेहतरीन एयर डिफेंस सिस्टम है. अभी भारत इस मिसाइल का इस्तेमाल कर रहा है. यह मुख्य रूप से ग्राउंड बेस्ड है और शॉर्ट टू-मीडियम रेंज (400 किमी) की मिसाइलों को रोकने के लिए डिजाइन किया गया है. वहीं गोल्डन डोम की बात करें तो यह एक स्पेस-बेस्ड, मल्टी-लेयर सिस्टम है जो कि लॉन्ग रेंज, बैलिस्टिक और हाइपरसोनिक मिसाइलों के अलावा किसी भी दिशा से आने वाले खतरे को खत्म कर देगा. गोल्डन डोम 360 डिग्री थ्रेट डिटेक्शन और इंटरसेप्शन देगा जबकि एस-400 की क्षमता अभी सीमित है और यह ग्राउंड बेस्ड राडार पर निर्भर है.
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Source: IOCL





















