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क्या होता है एक्ट ऑफ वॉर, जानें कैसे एक गलती से छिड़ जाता है दो देशों में युद्ध

What Is Act Of War: क्या युद्ध लड़ने के भी कुछ नियम होते हैं. आपके मन में भी यही सवाल आ रहा होगा. जी हां युद्ध भी नियम के दायरे में रहकर लड़ा जाता है. यहां हम आपको युद्ध के नियम से रुबरु कराएंगे.

जम्मू कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद भारत सरकार पाकिस्तान को किसी भी हाल में बख्शने के मूड में नहीं है. सरकार ने नापाक इरादे रखने वालों के खिलाफ कड़े फैसले लिए हैं. बुधवार को हुई पीएम मोदी की अध्यक्षता वाली CCS की बैठक में सिंधु नदी जल समझौता रोके जाने के समेत पांच बड़े फैसले लिए हैं. जिसके बाद पाकिस्तान में भी इसके अगले दिन यानि कल (गुरुवार) को NSC की बैठक बुलाई गई. 

पाकिस्तान में भारत द्वारा अटारी वाघा बॉर्डर बंद किए जाने के जवाब में वाघा बॉर्डर बंद करने की घोषणा की. वहीं पाकिस्तान ने भी सभी भारतीयों को 30 अप्रैल तक पाकिस्तान छोड़कर अपने देश चले जाने के लिए कहा है. इसके अलावा पाकिस्तान का यह भी कहना है कि अगर भारत ने सिंधु नदी का पानी रोका तो इसके एक्ट ऑफ वॉर माना जाएगा. लेकिन यह एक्ट ऑफ वॉर आखिर होता क्या है. आइए थोड़ा इस बारे में जानें.

क्या है एक्ट ऑफ वॉर

  • कहा जाता है कि युद्ध में सब कुछ जायज होता है, लेकिन ऐसा नहीं होता है. द्वितीय विश्व युद्ध के बाद जेनेवा में एक कन्वेंशन का आयोजन हुआ था. इस कन्वेंशन में युद्ध को लेकर नियम बनाए गए थे. इनके बारे में जानते हैं. 
  • 1939 से 1945 तक द्वितीय विश्व युद्ध चला था, जिसमें पांच करोड़ से भी ज्यादा लोग मरे थे. पहली बार इस युद्ध में परमाणु बम का इस्तेमाल हुआ था. इतनी भारी तबाही हुई थी कि दुनियाभर के कई देशों के राष्ट्राध्यक्ष ने मिलकर 1949 में जेनेवा कन्वेंशन में युद्ध के नियम तय किए थे. 
  • इन नियमों में यह बताया गया था कि जंग कैसे लड़ी जाएगी और युद्ध में हमला किन लोगों पर किया जा सकता है. युद्ध में किन हथियारों का इस्तेमाल होगा और किन चीजों को टारगेट किया जाएगा. इसको ही लॉ ऑफ वॉर कहा गया है.
  • इस कन्वेंशन के दौरान 161 नियम बनाए गए हैं और इनको 196 देशों ने मान्यता दे रखी है. ये सभी देश इन नियमों का पालन करने के लिए बाध्य हैं. ये नियम तभी लागू होंगे जब दो या दो से अधिक देशों के बीच हथियारों के बल पर युद्ध लड़ा जा रहा हो. 

किन पर नहीं किया जा सकता हमला

  • लॉ ऑफ वॉर में साफ तौर पर लिखा है कि जंग के दौरान आम नागरिकों को निशाना नहीं बनाया जा सकता है. इसके अलावा पत्रकारों और स्वास्थ्यकर्मियों को भी निशाना नहीं बना सकते हैं.
  • रिहायशी इलाकों, स्कूल, कॉलेज, आम घर, इमारतों, अस्पतालों और मेडिकल यूनिट्स पर भी हमला नहीं किया जा सकता है.
  • किसी देश के सांस्कृतिक, ऐतिहासिक और धार्मिक स्थलों पर भी हमला नहीं किया जा सकता है. इसके अलावा आम नागरिकों के लिए बने शेल्टर पर भी हमला नहीं कर सकते हैं. 

नियम तोड़ना है युद्ध अपराध

  • बिना चेतावनी के कोई देश किसी दूसरे देश पर हमला नहीं कर सकता है. युद्ध प्रभावित इलाकों से निकालने की जिम्मेदारी भी देश की ही होती है. ऐसे में आम नागरिकों को वहां से जाने से रोका नहीं जा सकता है.
  • युद्ध के दौरान सैन्य ठिकानों को निशाा बनाया जा सकता है. लेकिन अगर युद्ध के वक्त दुश्मन देश की सेना आत्मसमर्पण कर रही है तो उसके साथ मानवीय व्यहार किया जाएगा. युद्धबंदी सैनिकों के साथ भी मानवीय व्यवहार रखना है.
  • लॉ ऑफ वॉर के अनुसार अगर कोई देश इन नियमों का उल्लंघन करता है तो यह युद्ध अपराध माना जाएगा और उस देश के खिलाफ लॉ ऑफ चैप्टर 44 के अनुसार अंतरराष्ट्रीय न्यायालय में मुकदमा चलता है.

यह भी पढ़ें: पाकिस्तानियों को भारत छोड़कर चले जाने का आदेश, अब मेडिकल वीजा वालों का क्या होगा?

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