शरिया कानून में कैसे काम करती है ब्लड मनी, जिससे बच सकती है निमिषा प्रिया की जान
Blood Money in Sharia Law: इस्लामी कानून के अनुसार अपराध से पीड़ितों को यह तय करने का अधिकार है कि अपराधी को कैसे दंड दिया जाए. चलिए जानें कि इस्लाम में ब्लड मनी क्या होता है और कैसे काम करता है.

केरल की रहने वाली निमिषा प्रिया को अपने बिजनेस पार्टनर तलाल अब्दो महदी की हत्या का दोषी पाया गया है. यमन की अदालत ने उनको इस मामले में साल 2018 में मौत की सजा सुनाई थी. निमिषा को आज यानि 16 जुलाई को फांसी दी जानी थी, लेकिन फिलहाल इसे टाल दिया गया है. यमन के राष्ट्रपति रशद अल-अलीमी ने इसी साल जनवरी में उनकी सजा को मंजूरी दी थी. भारत सरकार उनको बचाने के पूरे प्रयास कर रही है. केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट को बताया है कि यमन में मौत की सजा काट रहीं निमिषा प्रिया को बचाने के लिए ब्लड मनी ही एकमात्र रास्ता है. कई इस्लामी देशों में प्रचलित शरिया कानून के तहत इस तरह के पेमेंट की अनुमति है. चलिए जानें कि यह कैसे काम करता है.
शरिया कानून में कैसे काम करता है ब्लड मनी
शरिया कानून में बदला लेने की भावना Qisas नाम के शरिया लॉ पर आधारित है. जिसका अर्थ होता है मौत के बदले में मौत की सजा. हत्या के मामले में इसका मतलब है कि पीड़ित के परिजन अपराधी के लिए सजा के रूप में मौत की मांग कर सकते हैं. इस्लामी शरिया कानून में ब्लड मनी को दिया भी कहा जाता है. जैसे कि हत्या या फिर किसी अन्य गंभीर अपराध में अभियुक्त पीड़ित के परिवार को आर्थिक मुआवजा देता है. शरिया कानून की मानें तो हत्या दो तरह से होती है, एक होती है जानबूझकर की गई हत्या और दूसरी होती है गलती से हुई हत्या. शरिया कानून के अनुसार जानबूझकर की गई हत्या के मामले में तो इसकी सजा मौत या फिर अपराध किस तरीके से किया गया है, उसके अनुसार जो भी सजा हो वो लागू होती है.
अगर हत्या गलती से हुई है तो फिर आयत (4:92) के अनुसार सजा फिरौती यानि ब्लड मनी है. लेकिन अगर जो शख्स मर गया है, उसके वारिस अपनी मर्जी से सजा को माफ कर देते हैं, तो उनको ऐसा करने की इजाजत है. ऐसे मामले में हत्यारे का फर्ज बनता है कि वो तय की गई रकम का पालन करे और उसे उचित तरीके से अदा करे. विद्वानों की मानें तो इसके पीछे का विचार क्षमा को बढ़ावा देना है और पीड़ित के परिवार को क्षतिपूर्तिपूर्ण न्याय देना होता है.
इससे पहले कब काम आया ब्लड मनी
इससे पहले एक अपराधी पर मौत का मामला हटा दिया गया था, लेकिन दीया के भुगतान के बाद उसे जेल में रखा गया है. ऐसा एक उदाहरण केरल के अब्दुल रहीम का भी मामला है. उसने अपने एंप्लॉयर के बेटे की मृत्यु के कारण सऊदी अरब में दोषी पाया गया था. रहीम को पीड़ित परिवार ने एक भारी रकम अदा करने के बाद माफी दे दी थी. हालांकि, इसके बाद भी उसका मामला बंद नहीं किया गया था और उसे 20 साल जेल की सजा सुनाई गई थी. हालांकि वो इससे पहले भी इस मामले में जेल में रह चुका था, तो उसके समय को ध्यान में रखा गया. यह अपराध 2006 में हुआ था और उसे 2018 में माफी मिली थी. इसके बाद भी अगले साल ही उसे रिलीज किया गया था.
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