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किन कामों में यूज होता है रेयर अर्थ एलिमेंट, चीन के बाद कौन हैं इसके बड़े खिलाड़ी?

Rare Earth Elements: रेयर अर्थ एलिमेंट्स में चीन की वैश्विक पकड़ सबसे मजबूत है, लेकिन कुछ और देश हैं जिनके पास यह मौजूद है. चलिए जानें कि आखिर कौन से देश इसके बड़े खिलाड़ी हैं.

रेयर अर्थ एलिमेंट्स को आधुनिक तकनीक की रीढ़ कहा जाता है. ये 17 खास धातुएं हैं जो हमारी रोजमर्रा की जिंदगी में इस्तेमाल होने वाले लगभग हर हाई-टेक गैजेट, मशीन और हथियारों में अहम भूमिका निभाती हैं. मोबाइल फोन से लेकर इलेक्ट्रिक कार, सोलर पैनल, मिसाइल और सैटेलाइट तक, हर जगह इनका इस्तेमाल होता है. लेकिन चीन की बढ़ती पकड़ ने वैश्विक बाजार में तनाव बढ़ा दिया है. हाल ही में चीन ने रेयर अर्थ एलिमेंट्स के निर्यात पर कड़े नियम लागू कर दिए हैं, जिससे अंतरराष्ट्रीय आपूर्ति श्रृंखला पर गंभीर प्रभाव पड़ा है. इसी क्रम में चलिए जानें कि ये किन कामों में इस्तेमाल होते हैं और किन किन देशों के पास इनके भंडार हैं.

कहां-कहां इस्तेमाल होते हैं रेयर अर्थ एलिमेंट्स?

रेयर अर्थ एलिमेंट्स का यूज हमारे तकनीकी युग के लगभग हर क्षेत्र में होता है. 

  • इलेक्ट्रॉनिक्स में स्मार्टफोन, लैपटॉप, टेलीविजन और कैमरा के माइक्रोचिप्स में इन धातुओं का इस्तेमाल होता है. इनमें नियोडिमियम और प्रासियोडिमियम जैसे एलिमेंट्स खास तौर पर लगते हैं.
  • इलेक्ट्रिक कारों और हाइब्रिड वाहनों के मोटर्स में रेयर अर्थ मैग्नेट्स इस्तेमाल किए जाते हैं, जो उन्हें हल्का और अधिक पावरफुल बनाते हैं.
  • रक्षा क्षेत्र में मिसाइल, जेट इंजन, नाइट विजन डिवाइस और रडार सिस्टम में भी इन धातुओं की बड़ी भूमिका होती है.
  • ऊर्जा क्षेत्र में विंड टर्बाइन, सोलर पैनल और रिचार्जेबल बैटरी में रेयर अर्थ मटेरियल्स का इस्तेमाल तेजी से बढ़ रहा है.
  • मेडिकल टेक्नोलॉजी में MRI मशीन, लेजर सर्जरी और डायग्नोस्टिक उपकरणों में ये तत्व अहम होते हैं.

यानि कि दुनिया की हर आधुनिक तकनीक किसी न किसी रूप में इन 17 रेयर अर्थ एलिमेंट्स पर निर्भर करती है.

कौन से देश हैं इसके बड़े खिलाड़ी?

चीन

चीन दुनिया का सबसे बड़ा रेयर अर्थ भंडार वाला देश है. लगभग 44 मिलियन मीट्रिक टन के साथ यह दुनिया के कुल भंडार का लगभग आधा हिस्सा संभालता है. न केवल खनन, बल्कि प्रोसेसिंग और वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला पर भी चीन का नियंत्रण है. पिछले कुछ दशकों में चीन ने अपने रेयर अर्थ संसाधनों के वैश्विक महत्व को और मजबूत किया है.

ब्राजील

दुनिया में दूसरे स्थान पर ब्राजील है, जहां करीब 21 मिलियन मीट्रिक टन भंडार मौजूद हैं. यह भंडार आकार में विशाल होने के बावजूद अभी तक पूरी तरह से उत्पादित नहीं किया गया है. ब्राजील अपने उत्पादन को बढ़ाने और वैश्विक मांग को पूरा करने के लिए खोज और खनन दोनों क्षेत्रों में लगातार प्रयास कर रहा है.

भारत 

भारत के पास लगभग 6.9 मिलियन मीट्रिक टन रेयर अर्थ का भंडार है. इसके अलावा देश के समुद्री तटों और रेत खनिज क्षेत्रों में भी पर्याप्त मात्रा में आरईई मौजूद है, जो वैश्विक आपूर्ति में महत्वपूर्ण योगदान देते हैं. भारत का उत्पादन लगातार बढ़ रहा है और सरकार इन संसाधनों के औद्योगिक उपयोग को बढ़ावा देने के लिए आधारभूत संरचना में निवेश कर रही है.

ऑस्ट्रेलिया 

ऑस्ट्रेलिया इस सूची में चौथे स्थान पर है. देश में 5.7 मिलियन मीट्रिक टन रेयर अर्थ भंडार हैं और कई खनन परियोजनाएं चल रही हैं. स्थिर खनन नीतियों और समृद्ध भंडारों के कारण ऑस्ट्रेलिया वैश्विक बाजार में एक प्रमुख खिलाड़ी के रूप में उभर रहा है.

रूस 

रूस के पास लगभग 3.8 मिलियन मीट्रिक टन रेयर अर्थ संसाधन हैं. यह पिछले अनुमानित आंकड़ों की तुलना में थोड़ी कम मात्रा है, लेकिन रूस अपने संसाधनों का अन्वेषण और विकास जारी रखे हुए है. वैश्विक बाजार में अपनी स्थिति मजबूत करने के उद्देश्य से रूस टॉप-5 देशों में शामिल है.

वियतनाम 

वियतनाम में 3.5 मिलियन मीट्रिक टन का रेयर अर्थ भंडार है. चीन की सीमाओं के पास और पूर्वी तट पर स्थित ये भंडार इलेक्ट्रिक वाहन, डिस्प्ले और चुम्बकों के लिए महत्वपूर्ण हैं. वियतनाम उत्पादन बढ़ाने और आयात पर निर्भरता कम करने के प्रयास कर रहा है.

अमेरिका 

अमेरिका के पास 1.9 मिलियन मीट्रिक टन आरईई भंडार हैं, जो इसे दुनिया में सातवें सबसे बड़े भंडार वाला देश बनाता है. कैलिफोर्निया की माउंटेन खदान इसका मुख्य स्रोत है, जो 1950 से सक्रिय है. हालांकि अमेरिका बड़ी मात्रा में इन सामग्रियों को चीन से आयात करता है.

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About the author निधि पाल

निधि पाल को पत्रकारिता में छह साल का तजुर्बा है. लखनऊ से जर्नलिज्म की पढ़ाई पूरी करने के बाद इन्होंने पत्रकारिता की शुरुआत भी नवाबों के शहर से की थी. लखनऊ में करीब एक साल तक लिखने की कला सीखने के बाद ये हैदराबाद के ईटीवी भारत संस्थान में पहुंचीं, जहां पर दो साल से ज्यादा वक्त तक काम करने के बाद नोएडा के अमर उजाला संस्थान में आ गईं. यहां पर मनोरंजन बीट पर खबरों की खिलाड़ी बनीं. खुद भी फिल्मों की शौकीन होने की वजह से ये अपने पाठकों को नई कहानियों से रूबरू कराती थीं.

अमर उजाला के साथ जुड़े होने के दौरान इनको एक्सचेंज फॉर मीडिया द्वारा 40 अंडर 40 अवॉर्ड भी मिल चुका है. अमर उजाला के बाद इन्होंने ज्वाइन किया न्यूज 24. न्यूज 24 में अपना दमखम दिखाने के बाद अब ये एबीपी न्यूज से जुड़ी हुई हैं. यहां पर वे जीके के सेक्शन में नित नई और हैरान करने वाली जानकारी देते हुए खबरें लिखती हैं. इनको न्यूज, मनोरंजन और जीके की खबरें लिखने का अनुभव है. न्यूज में डेली अपडेट रहने की वजह से ये जीके के लिए अगल एंगल्स की खोज करती हैं और अपने पाठकों को उससे रूबरू कराती हैं.

खबरों में रंग भरने के साथ-साथ निधि को किताबें पढ़ना, घूमना, पेंटिंग और अलग-अलग तरह का खाना बनाना बहुत पसंद है. जब ये कीबोर्ड पर उंगलियां नहीं चला रही होती हैं, तब ज्यादातर समय अपने शौक पूरे करने में ही बिताती हैं. निधि सोशल मीडिया पर भी अपडेट रहती हैं और हर दिन कुछ नया सीखने, जानने की कोशिश में लगी रहती हैं.

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