भारत में बाढ़ से हाहाकार, लेकिन इन देशों का सबसे बेहतरीन है ड्रेनेज सिस्टम; सड़क पर गिरते ही सूख जाता है पानी
उत्तर भारत में बारिश और बाढ़ ने बुनियादी ढांचे की पोल खोल दी है. खराब ड्रेनेज सिस्टम से हालात बिगड़ रहे हैं. वहीं जर्मनी, हांगकांग, इजरायल और सिंगापुर ने तकनीक से ड्रेनेज का बेहतरीन मॉडल खड़ा किया है.

उत्तर भारत इन दिनों मूसलाधार बारिश और बाढ़ से जूझ रहा है. पंजाब में हालत सबसे गंभीर हैं, यहां भारी बारिश और बाढ़ ने जनजीवन अस्त-व्यस्त कर दिया है. राज्य सरकार के अनुसार, अब तक 30 लोगों की जान जा चुकी है और करीब 3.5 लाख लोग प्रभावित हुए हैं. 23 जिलों के लगभग 1400 गांव पानी में डूब चुके हैं. सिर्फ गुरदासपुर जिले में ही 324 गांव बुरी तरह प्रभावित हुए हैं. हजारों हेक्टेयर खेती-बाड़ी नष्ट हो चुकी है और 5000 से ज्यादा राहत कैंप लगाए गए हैं. हालत यह है कि न केवल इंसान बल्कि पशु-पक्षी भी बड़ी मुसीबत में है.
गंभीर बात यह है कि बाढ़ से हाहाकार सिर्फ पंजाब में ही नहीं मचा है. उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश, जम्मू-कश्मीर जैसे शहरों में भी हालात बद से बदतर हो चुके हैं. वहीं, गुरुग्राम जैसी मेट्रो सिटीज में भी जरा सी बारिश बाढ़ जैसे हालात बना देती है. एक तरफ भारत के अलग-अलग हिस्सों में हो रही बारिश सरकार के दावों की पोल खोल रही है तो दूसरी तरफ कुछ देश ऐसे हैं, जिनका ड्रेनेज सिस्टम दुनिया में सबेस बेहरतीन है. चलिए जानते हैं इनके बारे में...
क्यों फेल हो जाता है सिस्टम?
भारत में हर साल बारिश के दौरान सड़कों और गलियों में पानी भर जाता है. इसका सबसे बड़ा कारण खराब ड्रेनेज सिस्टम है. खराब ड्रेनेज सिस्टम से बरसात का पानी सड़क पर जमा हो जाता है, जिससे सड़कें टूटने लगती है और बाढ़ जैसी स्थिति बन जाती है. पंजाब की मौजूदा स्थिति इस कमी को और उजागर करती है. सोशल मीडिया पर सामने आए गुरुग्राम के कई वीडियो भी सिस्टम की नाकामी दिखाते हैं.
इस देश में हैं पानी पीने वाली सड़कें
जर्मनी के इंजीनियरों ने बारिश और बाढ़ का एक अनोखा समाधान निकाला है. वहां ऐसी सड़कें बनाई है जो बारिश का पानी तुरंत सोख लेती है. इन सड़कों की सतह पर पानी टिकता ही नहीं बल्कि सीधा अंडरग्राउंड चला जाता है. इससे न तो सड़कें टूटती है और न ही जलभराव की समस्या होती है.
हांगकांग का सीवॉटर फ्लशिंग सिस्टम
पानी बचाने और ड्रेनेज का बोझ कम करने के लिए हांगकांग ने अनोखा तरीका अपनाया. वहां 1950 के दशक से ही 80% से ज्यादा घरों में टॉयलेट फ्लशिंग के लिए समुद्र पानी का इस्तेमाल होता है. इसके लिए उन्होंने अलग पाइपलाइन सिस्टम बनाया है. इससे शहर का पानी पीने योग्य पानी बचा रहता है और ड्रेनेज पर भी दबाव कम पड़ता है.
इजरायल और सिंगापुर- वेस्टवॉटर को बनाया वरदान
इजरायल दुनिया में सबसे ज्यादा वेस्टवॅाटर रीसायकल करने वाला देश है. यहां 90% से ज्यादा गंदे पानी को साफ करके खेतों की सिंचाई में इस्तेमाल किया जाता है. वहीं सिंगापुर ने न्यूवॉटर तकनीक से सीवेज को इतना साफ कर लिया है कि उसे दोबारा पीने लायक बनाया जा सकता है.
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Source: IOCL
























