भारत में कौन-कौन से जैन मनाते हैं मुहर्रम, जानें इस्लाम को लेकर क्या होती है उनकी राय?
Muharram 2025: मुहर्रम इस्लाम धर्म में बहुत महत्व रखता है. इस दौरान वे गम मनाते हैं और कोई शुभ काम नहीं होता है. देश में जैन समुदाय के कुछ लोग मोहर्रम मनाते हैं, चलिए जानें कि वे कहां के हैं.

आशूरा 2025 रविवार को भारत में कई जगहों पर मुहर्रम मनाया गया. वहीं कुछ जगहों पर आज भी यह मनाया जा रहा है. कई जगहों पर आज भी मुहर्रम की छुट्टी है. यह दिन मुसलमानों के लिए गहरा भावनात्मक और आध्यात्मिक महत्व रखता है. यह न्याय, बलिदान और अटूट विश्वास की याद दिलाता है. मुहर्रम का 10वां दिन आशूरा के नाम से जाना जाता है. वैसे तो यह मुस्लिमों का ही त्योहार है, लेकिन देश में एक जगह ऐसी भी है, जहां पर कुछ हिंदू धर्म के लोग भी इसे मनाते हैं. चलिए जानें कि वो कौन हैं और इस्लाम को लेकर उनकी क्या राय होती है.
मुस्लिम क्यों और कैसे मनाते हैं मुहर्रम
शिया और सुन्नी मुसलमानों दोनों के लिए मुहर्रम गहरा आध्यात्मिक और ऐतिहासिक महत्व रखता है. शिया के लिए मुहर्रम पैगंबर मोहम्मद के पोते हजरत इमाम हुसैन की शहादत की शोक में मनाया जाता है. ये 680 ई. में कर्बला की लड़ाई में मारे गए थे. इस दौरान मुस्लिम धर्म के लोग मजलिस, मर्सिया और जुलूसों में हिस्सा लेते हैं. इस दौरान वे ताजिया के साथ सड़कों पर जुलूस निकालते हैं और खाने-पीने की चीजें दूसरों में बांटकर जनसेवा करते हैं.
कौन से जैन क्यों मनाते हैं मुहर्रम
पंजाब के होशियारपुर में रहने वाले हुसैनी ब्राह्मण और जैन बिरादरी के कई खानदान मोहर्रम में शरीक होते हैं. हुसैनी ब्राह्मण पंजाब के मोहयाल ब्राह्मण समुदाय का एक हिस्सा हैं. इन्होंने अपनी हिंदू परंपरा के दायरे में रहते हुए गैर-भारतीय परंपरा को भी अपना लिया है. इसीलिए वे इस्लाम के प्रति भी अपनी श्रद्धा रखने लगे हैं. ये भी हर साल मोहर्रम पर ताजिया बनाते हैं और कर्बला में शहीद होने वालों को याद करते हैं.
इस्लाम को लेकर क्या है उनकी राय
मुहर्रम मनाने वाले जैन धर्म के लोगों का मानना है कि कर्बला और मुहर्रम कोई एक ऐसा नहीं है, जिसे सिर्फ एक धर्म के द्वारा मनाया जाए. मोहर्रम वो वक्त है, जो कि अन्याय के खिलाफ आवाज उठाने के लिए जाना जाता है, तो इसे एक धर्म से नहीं जोड़ा जाना चाहिए. इनका मानना है कि जब भी आप कर्बला को सुनें तो अपने नजरिए से धर्म को अलग कर दें. हुसैन को इंसानियत का देवता माना जाता है, वो किसी एक कौम के नहीं हैं. वो पूरी मानवता और इंसानियत के देवता है. इसलिए धर्म को छोड़कर इंसानियत की तरफ कदम बढ़ाएं.
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