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जलपाईगुड़ी हादसे में क्यों काम नहीं आया कवच सिस्टम, यह क्या होता है और कैसे रोकता है हादसे?

Kavach System: कवच सिस्टम एक प्रणाली है जो रेल हादसों को रोकती है. लेकिन पश्चिम बंगाल के जलपाईगुड़ी में हुए ट्रेन हादसे में कवच सिस्टम रोकने में नाकाम रहा.

Kavach System: आज यानी 17 जून की सुबह पश्चिम बंगाल के जलपाईगुड़ी में एक ट्रेन हादसा हुआ है. जलपाईगुड़ी में एक मालगाड़ी ने कंचनजंगा एक्सप्रेस को पीछे से टक्कर मार दी. इस ट्रेन हादसे में अब तक 15 लोगों की मौत हो चुकी है तो वहीं 60 से ज्यादा लोग घायल हो चुके हैं. ट्रेन हादसे के बाद से ही चारों ओर भारतीय रेलवे के कवच सिस्टम को लेकर बातें हो रही है.

दरअसल कवच सिस्टम एक प्रणाली है जो की रेल हादसों को रोकती है. लेकिन पश्चिम बंगाल के जलपाईगुड़ी में हुए ट्रेन हादसे में कवच सिस्टम रोकने में नाकाम रहा. आखिर क्या होता है यह कवच सिस्टम कैसे करता है काम और जलपाईगुड़ी में हुए ट्रेन हादसे को क्यों नहीं रोक पाया. चलिए जानते हैं. 

क्या होता है कवच सिस्टम?

भारतीय रेलवे द्वारा रेल हादसों को रोकने के लिए रिसर्च डिजाइन एंड स्टैंडर्ड ऑर्गेनाइजेशन ने एक ऑटोमेटिक ट्रेन प्रोटक्शन सिस्टम बनाया. जिसे कवच सिस्टम का नाम दिया गया. साल 2012 में इस कवच सिस्टम पर काम करना शुरू किया गया. वहीं साल 2016 में इसका पहला ट्रायल किया गया. पूरे भारत में इंस्टॉल करने का प्लानिंग की जा रही है. 

कवच सिस्टम इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस का सेट होता है. जो ट्रेन हादसों को रोकता है. इसमें ट्रेन, रेलवे ट्रैक, रेलवे सिग्नल सिस्टम और हर स्टेशन पर एक किलोमीटर के डिस्टेंस पर रेडियो फ्रीक्वेंसी आईडेंटिफिकेशन डिवाइसेज इंस्टॉल की जाती है. सिस्टम में मौजूद सभी चीज अल्ट्रा हाई रेडियो फ्रीक्वेंसी के जरिए काम करती है. 

कैसे काम करता है कवच?

ट्रेन में कोई ड्राइवर अगर किसी सिग्नल को तोड़कर आगे निकल जाता है. तो उसके बाद ऑटोमेटेकली कवच सिस्टम एक्टिवेट हो जाता है. कवच सिस्टम एक्टिवेट होने के तुरंत बाद ही ट्रेन के पायलट को अलर्ट पहुंचा देता है. इसके बाद कवच सिस्टम खुद ही ट्रेन के ब्रेक्स पर कंट्रोल कर लेता है. इस दौरान अगर कवच सिस्टम को यह पता चल जाता है कि सामने के ट्रैक पर दूसरी ट्रेन आ रही है. 

तो वह खुद ब खुद ही पहली ट्रेन को रोक देता है. अगर आसान शब्दों में आपको समझाएं तो भारतीय रेलवे के किसी एक ट्रैक पर एक ही समय अगर दो ट्रेन आ रही है तो कवच सिस्टम एक्टिवेट हो जाता है. और दोनों ट्रेनों को एक दूसरे से टकराने से रोक देता है. 

जलपाईगुड़ी में क्यों काम नहीं आया कवच?

पश्चिम बंगाल के जलपाईगुड़ी में हुए रेल हादसे के बाद कई लोगों का यह सवाल है कि भारतीय रेलवे द्वारा तैयार किया गया ऑटोमेटिक ट्रेन प्रोटक्शन सिस्टम यानी कवच सिस्टम जो रेल हादसे रोकता है. वह जलपाईगुड़ी में काम क्यों नहीं आया. तो बता दें साल  2020 में कवच सिस्टम को ऑटोमेटिक ट्रेन प्रोटेक्शन के रूप में लगाना शुरू किया गया है.

फिलहाल भारत के कई रेलवे रूट कवच सिस्टम को इंस्टॉल नहीं किया गया है. जलपाईगुड़ी के रूट पर भी कर सिस्टम इंस्टॉल नहीं है. सरकार द्वारा दी गई जानकारी के अनुसार कवच सिस्टम को फिलहाल दक्षिण मध्य रेलवे में 1465 किलो मीटर के रूट पर औऱ 139 इंजनों में इंस्टाॅल किया गया है. 

यह भी पढ़ें: इस गलती की वजह से जलपाईगुड़ी में टकरा गईं दो ट्रेनें, जानें कैसे आ गईं एक ही रेलवे ट्रैक पर?

About the author नीलेश ओझा

नीलेश ओझा पिछले पांच साल से डिजिटल पत्रकारिता में सक्रिय हैं. उनकी लेखन शैली में तथ्यों की सटीकता और इंसानी नजरिए की गहराई दोनों साथ-साथ चलती हैं.पत्रकारिता उनके लिए महज़ खबरें इकट्ठा करने या तेजी से लिखने का काम नहीं है. वह मानते हैं कि हर स्टोरी के पीछे एक सोच होनी चाहिए.  

कुछ ऐसा जो पाठक को सिर्फ जानकारी न दे बल्कि सोचने के लिए भी मजबूर करे. यही वजह है कि उनकी स्टोरीज़ में भाषा साफ़ होती है.लिखने-पढ़ने का शौक बचपन से रहा है. स्कूल की नोटबुक से शुरू हुआ यह सफर धीरे-धीरे पेशेवर लेखन और पत्रकारिता तक पहुंचा. आज भी उनके लिए लेखन सिर्फ पेशा नहीं है यह खुद को समझने और दुनिया से संवाद करने का ज़रिया है.

पत्रकारिता के अलावा वह साहित्य और समकालीन शायरी से भी गहराई से जुड़े हुए हैं. कभी भीड़ में तो कभी अकेले में ख्यालों को शायरी की शक्ल देते रहते हैं. उनका मानना है कि पत्रकारिता का काम सिर्फ घटनाएं गिनाना नहीं है. बल्कि पाठक को उस तस्वीर के उन हिस्सों तक ले जाना है. जो अक्सर नजरों से छूट जाते हैं.

उन्होंने स्पोर्ट्सविकी, क्रिकेट एडिक्टर, इनशॉर्ट्स और जी हिंदुस्तान जैसे प्रमुख प्लेटफॉर्म्स के साथ काम किया है.

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